वास्तविक संकट मोचन प्रभु कौन है? | Spiritual leader Saint Rampal Ji Maharaj

वास्तविक संकट मोचन प्रभु कौन है? | Spiritual leader Saint Rampal Ji Maharaj


संकट मोचन कष्ट हरण हो, मंगल करन कबीर, कि आ गए शरण तेरी।

संकट मोचन कष्ट हरण हो, मंगल करन कबीर, कि आ गए शरण तेरी।।



खबरों की खबर कार्यक्रम में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है। दर्शकों, आज हम बात करेंगे संकट मोचन प्रभु की। संकट मोचन का नाम लेते ही हम सबके दिलों दिमाग मे छाए हुए भगवान श्री कृष्ण जी और हनुमान जी का स्वरूप सामने आ जाता है। श्री हनुमान जी, श्री राम चन्द्र जी के रूप में आये भगवान विष्णुजी के परम् भक्त माने गए हैं। उस परम भक्त के पास इतनी शक्तियां थी कि बड़े बड़े पहाड़ भी आसानी से उठा लिया करते थे और सबकी मदद करने में भी सबसे आगे पाए जाते थे। भगवान श्री कृष्ण जी ने भी बहुत से राक्षसों को मारकर जनता की रक्षा करके अपना शक्तिशाली रूप दिखाया जिससे पूरा मानव समाज प्रभावित होकर उन्हें पूर्णत्या संकट मोचन मानने लगा। 

वास्तविक संकट मोचन प्रभु कौन है? | Spiritual leader Saint Rampal Ji Maharaj


संकट मोचन का अर्थ है दुखों व कष्टों का निवारण करके सुखी करने वाला भगवान , किन्तु दर्शकों यदि देखा जाये तो वास्तविक संकट मोचन तो वो है जो कभी विनाश में नहीं आता। जो अमर पुरुष है, और वो सबका रखवाला कोई और नही कबीर परमात्मा है। 


भक्त प्रहलाद को अग्नि से बचाने वाला, मीरा बाई के विष को अमृत में तब्दील करने वाला, मोरध्वज के पुत्र ताम्रध्वज को जीवन दान देने वाला, लंका जाने के लिए समुंदर पर पुल बनाने वाला, नरसिंह भगत की हुंडी सफल करने वाला, बादशाह सिंकंदर लोधी का असाध्य जलन का रोग ठीक करने वाला, भक्त सेऊ का जीवन बख्शने वाला, संकट के समय हर एक पल अपने भक्तों की रक्षा करने वाला  एक कबीर परमेश्वर ही  है जिन्हें वास्तविक संकट मोचन कहा जाता है। जो अपने भक्तों के दुखों का निवारण करके, उनका भला करते हैं। और सांसारिक सुख के साथ साथ पूर्ण मोक्ष प्रदान करने वाले भी अमरपुरुष परमात्मा भी कबीर साहेब जी ही हैं। 


अब यहाँ समस्या ये आती है कि पौराणिक कथाओं के अनुसार देखा जाए तो आज तक भक्तों की रक्षा करने वाले भगवान श्री कृष्ण जी, गणेश जी, शिव जी, ब्रह्मा जी दुर्गा जी, हनुमान जी व अन्य देवी देवता व अवतार हुए हैं। तो कबीर जी संकट मोचन कैसे हुए? 

दर्शकों हमें पता है कि ये प्रश्न  आप सभी के मन मे भी जरूर आ रहा होगा , लेकिन अब आपको इस बारे में ज्यादा सोचने की आवश्यकता बिल्कुल नहीं है। आप बस वीडियो को अंत तक देखते रहिये उत्तर आपको खुद ब खुद ही मिल जाएगा।


दर्शकों, प्रसिद्ध सन्त, श्री दादू साहेब जी अपनी वाणी में कहते हैं-

जीन मोकू नीज नाम दिया सोई सतगुरु हमार।

दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सिरजनहार।।


 दादू साहेब जी को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी मिले थे और उन्हें तत्वज्ञान समझाकर उनका कल्याण किया था। परमात्मा को जानने के बाद दादू जी ने अपनी अमृतवाणी में उस पूर्ण परमात्मा की महिमा गाते हुए स्पष्ट किया है कि कबीर जी ही पूर्ण परमात्मा है और सबकुछ करने धरने वाले भी वही हैं। वाणी इस प्रकार है-


"कबीर कर्ता आप है, दूजा न कोए।

दादू पूर्ण जगत को, भक्ति दृढ़ावे सोए।।"


फिर आगे उन्होंने बताया है कि सबकुछ पूर्ण परमात्मा ही करते हैं और लीला करते हुए परमात्मा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। वाणी इस प्रकार है-


"करे करावे साईंया, मन मे लहर उठाये।

दादू सिर धर जीव के, वो आप बगल हो जाये।।"


यहाँ दादू जी स्पष्ट कर रहे हैं कि सब कुछ कर्ता धरता अर्थात सब कुछ करने वाला पूर्ण परमात्मा ही है। परमात्मा किसी के भी मन मे प्रेरणा करके या सूक्ष्म रूप धारण करके किसी के भी माध्यम से कार्य कर जाते हैं। और उस जीव को वो महिमा देकर आप स्वयं अंतर्ध्यान (बगल) हो जाते हैं। परमात्मा स्वयं लीला करके दूसरे को महिमा का पात्र बना देता है। इस तरह पूर्ण परमात्मा ही अपने पूर्व जन्मों के पुण्यकर्मी आत्माओं व जीवों की रक्षा करते हैं। 


वो पूर्ण परमात्मा कविर्देव अर्थात कबीर साहेब जी हैं जो सूक्षम रूप में सबकी रक्षा करते हैं। वो ही संकट मोचन, कष्ट हरण करने वाले प्रभु हैं।


प्रमाण के लिए महाभारत से बहन द्रोपदी की कथा भी ले सकते हैं। जिस समय द्रोपदी जी का चीर हरण हो रहा था उस समय भगवान ने उनके चीर को यानी साड़ी को अनन्त गुना बढ़ा दिया था। द्रोपदी जी भगवान कृष्ण जी को पूर्ण परमात्मा मानती थी और उन्ही की भक्ति करती थी। उस समय चीर हरण होता देख द्रोपदी ने अंतरात्मा से पूर्ण परमात्मा को याद किया, समर्थ शक्ति से मदद की गुहार की। तब पूर्ण परमात्मा वहाँ कृष्ण रूप में पहुंचे और अपने आशीर्वाद से द्रोपदी का चीर बढ़ा दिया। 


जबकि उस समय भगवान कृष्ण जी तो अपनी पत्नी रुक्मणि देवी के साथ शतरंज खेलने में व्यस्त थे और जब परमात्मा कृष्ण जी के माध्यम से द्रोपदी की रक्षा कर रहे थे तो अचानक कृष्ण जी के पासा डालने के बाद उनका हाथ आशीर्वाद रूप में अकड़ गया और मुख से अनन्त अनन्त कह रहे थे जिसके विषय मे रुक्मणि ने उनसे पूछा कि क्या पासा डाला है, ये अनन्त क्यों बोल रहे हो? तब कृष्ण जी के शरीर मे सूक्ष्म रूप में विराजमान कबीर परमात्मा ने जवाब देते हुए कहा कि दुशाशन ने द्रौपदी को पकड़ लिया है और मेरी भक्ति समाज मे सबसे शिखर में रहे उसके लिए मैं द्रोपदी को अनन्त चीर का आशीर्वाद दे रहा हूं। यदि आज मैंने अपने भक्त की रक्षा नहीं की तो कोई मेरा नाम नहीं लेगा, मेरी भक्ति नहीं करेगा। 

कृष्ण जी तो अपने शरीर से पासा डाल रहे हैं और सूक्ष्म रूप में परमात्मा उनके शरीर मे प्रवेश करके द्रोपदी की सहायता कर रहे हैं। इस प्रकार बहन द्रोपदी जी का चीर हरण होने से भगवान ने उनकी रक्षा की। इस कथा को शब्द के रूप में भी परमेश्वर ने बताया है जो इस प्रकार है-

द्रोपद सुता को दीन्हें लीर, जाके अनन्त बढ़ाये चीर।

रुक्मणि कर पकड़ा मुस्काई, अनन्त कहा मोकू समझाई।

दुशाशन कु द्रोपदी पकड़ी, मेरी भक्ति सकल में सीखरी।

जो मेरी भक्त पिछोड़ि होई, हमरा नाम न लेवे कोई।

तन देही से पासा डारि, पहुंचे सूक्ष्म रूप मुरारी।

खेंचत खेंचत खैंच कसीशा कसीशा, सिर पर बैठे हैं जगदीशा।

संखो चीर पीताम्बर झिन्हें, द्रोपदी कारण साहेब किन्हें।

संखो चीर पीताम्बर डारे, दुःशासन से योद्धा हारे।

द्रोपड सुता के चीर बढ़ाये, संख असंखो पार न पाए।

नित बुन कपड़ा देते भाई, जाके नो लख बालद आयी।

अविगत केशव नाम कबीर, ताते टूटे जम जंजीर।।


इस कथा के माध्यम से यह बात स्पष्ट होती है कि कबीर साहेब जी ही वास्तव में संकट मोचन व कष्ट हरण करने वाले पूर्ण परमात्मा हैं। मीरा बाई की रक्षा भी पूर्ण परमात्मा ने ही की थी और इसी प्रकार भक्त प्रहलाद की रक्षा करने वाले भी पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ही हैं। उस पूर्ण परमात्मा से राहत पाने के लिए हमें उनकी (कबीर परमेश्वर जी की) भक्ति करनी चाहिए जिससे इस लोक में सम्पूर्ण सुख व मोक्ष प्राप्त किया जा सके।


परमेश्वर कबीर साहेब जी की सतभक्ति करने के लिए सर्व प्रथम सतगुरु की शरण ग्रहण करनी होगी। सतगुरु पूर्ण परमात्मा का भेजा हुआ अधिकारी सन्त होता है जिसकी शरण मे आने से भगवान से मिलने वाले सम्पूर्ण लाभ प्राप्त होते हैं। परमात्मा यहां कहते हैं-


"कबीर, सतगुरु शरण मे आने से, आयी टले बला।

जे मस्तिष्क में सूली हो, वो कांटे में टल जाय।।"


सतगुरु की शरण मे आने से भयंकर से भयंकर बला टल जाएगी और हमारी रक्षा होगी। वर्तमान में पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी के भेजे हुए अधिकारी सन्त, जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी है जो सम्पूर्ण विश्व को तत्वज्ञान, सतभक्ति एवं पूर्ण मोक्ष प्रदान करने आये हैं। अपने अनमोल मनुष्य जन्म को सफल करने का अब समय आ गया है। तो बिना देर किए और अनमोल मानव जीवन को व्यर्थ न करके सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की शरण मे आकर अपना व अपने परिवार का कल्याण करवाएं। अध्यात्म से जुड़ी हर शंका का समाधान करने वाले हमारे इस विशेष कार्यक्रम में आज के लिए बस इतना ही। अगले रविवार फिर मिलते हैं एक और नए पहलू के साथ तब तक देखते रहिए SA न्यूज़, सच जो आप जानना चाहते हैं

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