शीतल परमार (Sheetal Parmar) जी की आप बीती, संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद सच्ची भक्ति से हुए लाभ

संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा नाम जो आध्यात्मिक जगत के सच्चे संत हैं और सबसे बड़ी बात समाज सुधार के लिए प्रयत्नशील समाज सुधारक (Social reformer) हैं। संत रामपाल जी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। साथ ही, उनका ज्ञान अद्वितीय है और सबसे बड़ी बात यह है कि वे सभी पवित्र धर्मग्रंथों के अनुसार सही भक्ति विधि बताते हैं।



सतभक्ति से लाभ प्रोग्राम द्वारा समाज के ऐसे लोगों को सामने लाया गया जो न जाने कितनी समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सद्भक्ति से उनकी सभी समस्याएं खत्म हो गईं और उन्हें एक नई ज़िंदगी मिली जो आज लाखों लोगों के लिए उदाहरण हैं। तो आज हम आपको एक ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी से परिचित करवाएंगे जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ बल्कि शारीरिक और आर्थिक लाभ भी मिला।

ये मुख्य बिन्दु इस लेख में पढ़ने को मिलेंगे


1. शीतल परमार (Sheetal Parmar) जी की आपबीती

2. संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा

3. नाम दीक्षा लेने के बाद शीतल परमार की जिंदगी में आये बदलाव

4. शीतल जी का नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव

5. शीतल परमार जी का समाज को संदेश

6. सारांश


शीतल परमार (Sheetal Parmar) जी की आपबीती 

मेरा नाम शीतल परमार (Sheetal Parmar) है मैं मुंबई की रहने वाली हूँ। संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने से पहले मैं जय गुरुदेव पन्थ से जुड़ी हुई थी। जयगुरुदेव पंथ में हमने 12-13 साल तक भक्ति करी लेकिन इस भक्ति से हमें कुछ विशेष लाभ नहीं मिला।

मेरे बेटे को भी समस्या थी जिस कारण मैं जयगुरुदेव पन्थ से जुड़ने के बावजूद भी मंदिरों में यह दुआ मांगने जाया करती थी कि मेरा बेटा ठीक हो जाए, तो वहां से भी कोई राहत नहीं मिली और जय गुरुदेव पंथ में हमें जो भक्ति बता रखी थी, उस भक्ति को एक जगह बैठकर करना होता था जिस वजह से मेरे घुटनों में भी दर्द होने लगा था और जब डॉक्टरों को दिखाया तो उन्होंने बताया कि मेरे घुटनों में गैप आ गया है। मैं 34 साल की ही हूं और इतनी उम्र में ऐसी समस्या आना गंभीर बात थी। इस भक्ति से हमें लाभ तो मिला नहीं बल्कि समस्याएं बढ़ती गईं।

संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा

संत रामपाल जी महाराज से नाम उपदेश मैंने 20 फरवरी 2012 को लिया था। मुझे संत रामपाल जी महाराज से नाम उपदेश लेने की प्रेरणा सत्संग सुनकर हुई। हमारे गांव में ही एक संत रामपाल जी महाराज जी के भगत रहते हैं वह मेरे ससुर जी को संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में लेकर गए थे। जब मेरे ससुर जी संत रामपाल जी महाराज की शरण में गए तो हम उन्हें देख देख कर हंसते थे कि जयगुरुदेव पंथ में इतने साल भक्ति करने के बाद अब यह कहाँ जा रहे हैं।

फिर कुछ समय बाद मेरे ससुर जी जब संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रम में गए तो वहां से सत्संग की मेमोरी कार्ड लेकर आए और घर में लाकर लगा दी। जिससे धीरे-धीरे हमारी सत्संग को सुनने में रुचि बनी और मैंने वह सत्संग लगातार तीन महीने तक सुना। लेकिन मेरे अंदर जयगुरुदेव पंथ के प्रति इतनी दृढ़ता थी कि मैं इतना ज्ञान सुनी उसके बाद भी मुझे अंदर से यह उत्सुकता नहीं हो रही थी कि संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में जाऊं।

मैंने एक धारणा बना रखी थी कि गुरु बदलो या खसम बदलो एक ही बात है इसलिए गुरु नहीं बदलना चाहिए। फिर धीरे-धीरे और ज्ञान सुना तब ज्ञान हुआ कि गुरु बदलने में कोई बुराई नहीं है और फिर 20 फरवरी 2012 को संत रामपाल जी महाराज से नाम उपदेश ले लिया।

नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी में आये बदलाव

संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने के बाद मेरे घर में जो तकलीफ थी और मेरे बेटे को जो समस्या थी वह ठीक हो गई। जयगुरुदेव पन्थ से जुड़ने के बाद भी हम मंदिरों में जाते थे ताकि हमारे घर की समस्याओं का समाधान हो लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। जब संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली तो यह सारी समस्याएं अपने आप ठीक हो गईं और जय गुरुदेव पंथ में हमें जो भक्ति बताई जाती थी वह भक्ति मैं पूरी रात करती थी। कब सुबह हो जाती थी हमें पता भी नहीं लगता था और एक जगह बैठे रहकर साधना करने से मेरे घुटने भी खराब हो गए थे।

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बहुत दर्द रहता था जब डॉक्टरों को दिखाया तो उन्होंने फाइनल बता दिया था कि आपके घुटनों में गैप हो चुका है और इसका ऑपरेशन करना पड़ेगा। फिर जब मैं संत रामपाल जी महाराज जी के पास गई तो मैं गुरुजी के सामने रोने लगी और बोली कि गुरु जी मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं, मुझे ऑपरेशन नहीं करवाना हैं तो गुरु जी ने मेरे सिर पर आशीर्वाद भरा हाथ रखा और बोले कि बेटा इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी और गुरु जी की दया से आज मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं। किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं है।

नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव 

जयगुरुदेव पंथ में 5 नाम ज्योति निरंजन, ररंकार, सोहम्, ओम्, सतनाम नाम देते थे। हम इनकी भक्ति तो करते थे लेकिन यह शास्त्र विरुद्ध भक्ति थी, जिससे हमें कोई लाभ नहीं मिला। जब संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग सुना तो संत रामपाल जी महाराज सारे ग्रंथ वेद, गीता आदि खोल खोलकर दिखाते हैं तो फिर मैंने सोचा कि यह क्या है? फिर मैं ब्राह्मण के घर जाकर सारे ग्रंथ लेकर आई और संत रामपाल जी महाराज जो भी सत्संग में बताते थे सब शास्त्रों से मिलान किया। तब जाकर पता लगा कि आज तक हम जो भक्ति कर रहे थे, वह शास्त्रों के विरुद्ध भक्ति थी। सही भक्ति संत रामपाल जी महाराज बता रहे हैं।

मैंने जय गुरुदेव पंथ में इतने साल गवा दिए लेकिन संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुनने के बाद पता लगा कि अब सही भक्ति मिली है। पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज हैं और अब इनके सानिध्य में रहकर ही भक्ति करेंगे।

मेरा समाज को सन्देश

मैं भगत समाज से यही प्रार्थना करना चाहती हूँ कि प्रतिदिन साधना टीवी पर 7:30 से 8:30 तक संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग आता है। आप वह सत्संग सुनकर देखो। संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि हमें इस लोक में कितने दिन रहना हैं, हम क्यों माया के पीछे भाग रहे हैं। इस लोक में एक पल का भी भरोसा नहीं है। हमें तो यहां से भक्ति करके उस स्थाई लोक सतलोक में जाना हैं। वहां पर हमारे महल बने हुए हैं। हमें वहां पर रहना है इसलिए संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग सुनो और उनकी शरण में आकर अपना कल्याण करवाओ।

सारांश

"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" प्रोग्राम में बताया गया कि "संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद लोगों को लाभ हो रहे हैं" पूर्णतः सत्य हैं। जिसका आप चाहें तो निरीक्षण भी कर सकते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ों अनुयाई हैं और ऐसे लाखों उदाहरण हैं जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद बहुत सारे लाभ मिले हैं। 

संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति से कैंसर, एड्स व अन्य लाइलाज बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथ ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, 5, सूक्त 162 मंत्र 5 और सूक्त 163 मंत्र 1-3 में प्रमाण है कि हर बीमारी का इलाज सतभक्ति से ही संभव है, साथ ही वह परमात्मा अपने साधक की अकाल मृत्यु तक टाल सकता है और उसे 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है तथा उस परमात्मा की सतभक्ति से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान पवित्र वेद, पवित्र शास्त्रों के अनुसार है और पवित्र गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में जिस तत्वदर्शी संत के बारे में जिक्र आया है वह तत्वदर्शी संत कोई ओर नहीं संत रामपाल जी महाराज ही हैं। तो देर ना करते हुए आप भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझे और उनसे नाम दीक्षा लेकर मोक्ष मार्ग प्राप्त करें और 84 लाख योनियों के जन्म मरण से छुटकारा पाएं।

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