जानिए परमात्मा साकार है या निराकार? चारों धर्मों के धर्मग्रंथों से प्रमाण सहित | Spiritual Leader Saint Rampal Ji

जानिए परमात्मा साकार है या निराकार? चारों धर्मों के धर्मग्रंथों से प्रमाण सहित | Spiritual Leader Saint Rampal Ji

नमस्कर दर्शकों, आधात्मिक ज्ञान के इस एपिसोड में आपका स्वागत हैं। आज का विषय है, परमात्मा साकार है या निराकार? 

जैसा की सामाजिक जीवन मे हम कुछ भी करे उसका अंत नही आता हैं लेकिन हमारा अंत जरूर आता हैं।  जब अपने अंत की  बारी आती है तब कुछ नही दिखता सिवाय आध्यात्मिक  सहारे के। वर्तमान परिस्तिथिया ही ऐसी है कि आखिर आध्यात्मिक सहारा कैसे ले और क्या करे की जीवन की डूबती नाव बच सके।  वर्तमान का आध्यात्मिक मार्ग उस उलझे हुए सुत के समान हैं जिसको सुलझाने के लिए  जुलाहों (पुराने समय के बुनकर )  को एक महीना लग जाता था, ठीक वैसा ही जानो। हम बिना ज्ञान के कष्ट निवारण हेतु न जाने कहाँ कहाँ चले जाते है। 

Form of God in Hindi


बात जब आधात्मिक ज्ञान की आती हैं तो अलग अलग धर्मो के मानने वाले अनुयायी अपने अपने स्वार्थ के अनुसार तर्क देकर अपने धर्म को श्रेष्ठ मानते हैं जो कि प्रत्येक मनुष्य का स्वाभाविक गुण होता हैं।  कुछ लोग इस सृष्टि के निर्माता यानी परमेश्वर को आकार रहित, निराकार मानते हैं जिसका प्रमाण एक स्लोकः के माध्यम से देकर सिद्ध करना चाहते हैं। लेकिन क्या  एक श्लोक या मंत्र से परमेश्वर निराकार साबित हो सकता हैं? यह प्रश्न चिन्ह आज तक नही हटा था?  लेकिन जिस तरह आज विज्ञान का अविष्कार होने के  कारण प्रत्येक मानव शिक्षित है वह स्वम हमारे धर्म ग्रन्थ पढ़कर यह समझ सकता हैं जो उन धर्म ग्रन्थों में लिखा है।  


दोस्तो, हमारे पूर्वज पढ़े लिखे नही थे इसलिए इस  परमेश्वर के निराकार होने के मिथ्यक ज्ञान को नही समझ पाए । समाज पहले से  अब तक वर्तमान में चली आ रही परम्पराओं में क्यो जकड़ा हुवा था ? इसका कारण यही था, उनका शिक्षित न होना, लेकिन आज परिस्तिथि विपरीत हैं,  अब हम स्वंम ही जांच कर सकते है कि वास्तव में सास्त्रों में परमेश्वर के विषय मे क्या कहा गया हैं।  


अगर हम जानना चाहे की परमेश्वर कैसा है? कहाँ रहता है? कैसे मिलेगा? तो सास्त्रों का रुख करना अनिवार्य हैं न कि किसी के कहने मात्र से साकार, या निराकार मान ले।  इसके लिए किसी एक ग्रन्थ को साक्ष्य के तौर पर नही लेना चाहिए बल्कि सभी धर्म ग्रन्थों से साक्ष्य लेना है। आखिर शिक्षा का भी महत्व हैं।  सबसे पहले लेते हैं वेद जिनमे परमेश्वर की स्तिथि के बारे में प्रमाण मिलता हैं। 



ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 


"ऋषिम्ना या ऋषिकृत स्वरः सहस्त्रनीतः पदवीः कविनं| 

तृतीं धाम महिषः शीश संत सोमः विराजमानु राजति स्तूप" ||18|| 


ऋग्वेद  के इस स्लोकः में बताया  हैं कि परमपिता परमात्मा जो असाधारण बालक के रूप में आकर प्रसिद्ध कवियों की उपाधि प्राप्त करता है अर्थात संत या ऋषि (ऋषि) की भूमिका निभाता है, हजारों भाषणों की रचना करता है उस भगवान द्वारा, जो एक संत के रूप में प्रकट हुए हैं, संत प्रकृति के व्यक्तियों यानी भक्तों को स्वर्ग के समान सुख प्रदान करने वाले हैं। वह सनातन पुरुष/ईश्वर अर्थात् सतपुरुष मोक्ष के तीसरे लोक अर्थात् सत्यलोक की स्थापना कर मानव-रूपी तेजोमय शरीर में एक राजा के समान सिंहासन विराजमान है। 


यह प्रमाण एक साक्ष्य ही नही बल्कि पक्का सबूत भी हैं कि हमारा मूल मालिक, परमेश्वर मनुष्य आकार जैसा है। 


अब जानते है बाइबल में परमेश्वर/ परमात्मा के विषय मे क्या लिखा है।  र्कुआन शरीफ में पवित्र बाईबल का भी ज्ञान है, इसलिए इन दोनों पवित्र सद्ग्रन्थों ने मिल-जुल कर प्रमाण किया है कि कौन तथा कैसा है सृष्टी रचनहार तथा उसका वास्तविक नाम क्या है?

पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1ः20 - 2ः5 पर)

छटवां दिन:- प्राणी और मनुष्य के विषय मे बताया हैं जिसका कुछ अंश जो महत्वपूर्ण हैं बता रहे है। 


अन्य प्राणियों की रचना करके (26). फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाऐं, जो सर्व प्राणियों को काबू रखेगा। 27. तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टी की।

फिर इससे आगे सातवां दिन:- विश्राम का दिन: बताया हैं 

परमेश्वर ने छः दिन में सर्व सृष्टी की उत्पत्ति की तथा सातवें दिन विश्राम किया।

पवित्र बाईबल ने सिद्ध कर दिया कि परमात्मा मानव सदृश शरीर में है, जिसने छः दिन में सर्व सृष्टी की रचना की तथा फिर सातवें दिन सिंहासन पर विराजमान हुए यानी विश्राम किया।  अब दोस्तो विचार करो सृष्टि उत्तपत्ति करने वाला मनुष्य जैसा है तभी तो अपने जैसा ही इंसान बनाये हैं। 


भगवान/ परमात्मा मनुष्य जैसा है इसका प्रमाण पवित्र मुसलमान धर्म मे  प्रचलित कुरान में भी मिलता हैं जिसका अंस आपके सामने हैं। कुरान सरीप - सूरत फुरकाम - 25 , आयत 52 से 59 तक हिंदी अनुवाद करके देखेंगे तो उनमें लिखा है कि परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार बनाया है। 6 दिन में सृष्टि की तथा 7 वे दिन सिंहासन पर विराजमान हुए।   इससे स्वसिद्ध। हैं कि परमेश्वर मनुष्य जैसा है। 


दोस्तो सुना ही होगा कि मानव जन्म 84 लाख योनिया भोगने के बाद मिलता हैं। अगर हम अच्छे कर्म करते हैं तो कई बार लगातार मनुष्य जीवन भी पा सकते है लेकिन यह अपने कर्म अनुसार हैं।  इसलिए आध्यात्मिक ज्ञान होने से हमे पता चलेगा कि हम वर्तमान समय मे किस स्तिथि में हैं।

Also Read: Form of God in Gita, Quran, Bible & Guru Granth Sahib


दर्शकों  परमात्मा पाना जितना मुश्किल समझा जाता हैं इतना मुश्किल नही है। जैसे पवित्र गीता जी मे बताया गया हैं कि अर्जुन तत्वदर्शी सन्त की सरण में जाओ उन्हें दण्डवत प्रणाम करके सरलतापूर्वक प्रश्न करने से वे तुम्हे परमात्म तत्व का उपदेश करेंगे  यानि परमात्मा की वास्तविक जानकारी व भक्ति बताएंगे जिससे आप परमात्मा को पा जाओगे।  


अब आपके सामने एक सवाल यह भी होगा कि आखिर कैसे तत्त्वदर्शी सन्त की पहचान करेंगे जबकि वर्तमान में अनेकों सन्तो की बाढ़ सी आई हुई हैं।। इसके निर्णय भी हम सास्त्रों के माध्यम से करेंगे।   पवित्र गीता जी मे सच्चे संत के बारे में बताया हैं कि  जो ज्ञानी महात्मा ऊपर को जड़ व नीचे को शाखा वाले अविनाशी पेड़ के सभी विभाग पृथक पृथक बता दे वही वेदों के तातपर्य को जानने वाले है यानी पूर्ण अध्यात्म की जानकारी होगी।। 

यह भी पढ़ें: कौन है आपका सच्चा साथी , जो आप की हर पल करता है रक्षा | Spiritual Leader Saint Rampal Ji

वर्तमान समय मे एकमात्र तत्वदर्शी सन्त, रामपाल जी महाराज हैं जिन्होंने गीता जी के अनुसार उल्टे लटके अविनाशी पेड़ के विभाग  प्रमाण सहित बताये हैं। - संत रामपाल जी महाराज जी ने एक ही स्लोकः में सर्व अध्यात्म ज्ञान की शंका समाधान कर दिए है - 


कबीर अक्षर पुरूष एक पेड़ हैं, निरंजन वाकी डार।

तीनो देवा शाखा हैं पात रूप संसार।।


दर्शकों,  समझदार को इशारा ही काफी होता हैं, हम जिसे कबीर दास कहकर उनकी फ़ाइल ही बंद कर रखी थी लेकिन असल मे वही परमेश्वर हैं आज हम सन्त रामपाल जी महाराज जी के बताये ज्ञान से प्रमाण मिला कि यकीनन यही हैं वह परमात्मा जिसके लिए ऋषि महर्षि लाखो वर्ष जंगल मे, पहाड़ो में भूखे रहकर साधना की । 


पूर्व काल मे हुए सन्त महात्माओं ने भी कबीर साहेब जी को परमात्मा बताया था लेकिन हमारी मंद बुद्धि के चलते हम उन्हें परमात्मा स्वीकार नही कर पाए। 

आदरणीय नानक देव जी ने बताया,  


फाई सूरत मलूकी वेश, ए ठगवाड़ा ठग्गी देश।

खरा सियाणा बहुताभार धानक रूप रहा करतार। ।


आदरणीय दादू दयाल जी ने बताया,-

जिन मोकू निज नाम दिया सोई सतगरू हमार।

दादू दूसरा कोई नही कबीर सृजनहार।।


अब चाहिए कि समाज जल्द ही सन्त रामपाल जी महाराज जी के बताये ज्ञान आधार पर चले और मानव जीवन का कल्याण करवाये।

Post a Comment

0 Comments