कौन है आपका सच्चा साथी , जो आप की हर पल करता है रक्षा | Spiritual Leader Saint Rampal Ji

कौन है आपका सच्चा साथी , जो आप की हर पल करता है रक्षा | Spiritual Leader Saint Rampal Ji


"साथी हमारे चले गए, हम भी चालन हार।

कोई कागज में बाकी रह रही, तात लाग रही वार।।"


नमस्कार दर्शकों, खबरों की खबर के हमारे इस कार्यक्रम में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है। दर्शकों, हमारे आज के कार्यक्रम में हम बात करने जा रहे हैं मनुष्य के वास्तविक साथी की। दर्शकों, यूं तो साथी का अर्थ है साथ निभाने या साथ देने वाला। परंतु पूर्वजों द्वारा कहीं यह बात भी सत्य है की अंधेरे में परछाई भी साथ छोड़ देती है तो सही मायने में साथी वह हुआ जो हमारा किसी भी मुसीबत में दर्द में दुख में साथ ना छोड़े, जो हमेशा साथ रहे व हर पल हमारी रक्षा करे। दर्शकों, जीवन में हमारा साथ किसी न किसी के साथ तो होता है किंतु वह सभी अस्थायी ही होता है। किसका साथ कब छूट जाए पता नहीं । कोई भी कभी भी, कहीं भी, किसी भी समय, किसी भी वजह से साथ छोड़कर जा सकता है…. 




किष्किंधा कांड में तुलसीदास जी की चौपाई है-


सुर नर मुनि सब कै यह रीती।

स्वारथ लागि करहिं सब प्रीती।।


अर्थात दुनिया के सभी बंधन स्वार्थ पर टिके होते हैं वे भी अस्थाई हैं। यही मनुष्य का स्वभाव है यह जानवरो के साथ उसके व्यवहार में दिखता है। मनुष्य के लिए जब तक कोई भी पालतू पशु कार्य कर रहा होता है तब तक वह उनकी देखभाल करता है भोजन देता है परंतु जब पशु असक्षम हो जाता है तो मनुष्य उससे अपना पीछा छुड़ा लेता है। गाय, बैल, बकरी कसाई खाने तक भेज दिए जाते हैं। ऐसे विश्व में कौन हमारा अपना है।


दर्शकों, इस विश्व में कुछ भी चिरस्थाई यानी सदा के लिए नहीं है….सब कुछ ख़त्म होता है। ऐसे में सच्चा साथी? आज हम आपको बताएंगे। ज़रा विचार करें हमारे सबसे बुरे, अंधेरे, दुखद वक्त में आत्मा किसे पुकारती है? जब विज्ञान असफल होने लगता है तो किसके भरोसे जीव को छोड़ा जाता है? जब लगता है सब खत्म हो गया तब नए दरवाजे खोलने की उम्मीद किससे होती है?……. परमात्मा, आत्मा का सदा का साथी परमात्मा है। वही हमें मुश्किल वक्त में भी थामे रहता है। परमात्मा वही है जो वृक्ष को बीज में और इंसान को गर्भ में छिपा रखता है। उसके लिए कोई कार्य असम्भव नहीं।

लेकिन दर्शकों यहाँ एक बात बताना आवश्यक है। कि परमेश्वर आपके साथ तब तक नहीं होगा जब तक आप उसके साथ नहीं होंगे। परमेश्वर ने हमें बनाया है, वही हमारा जनक है। परमेश्वर केवल एक है। उसके अतिरिक्त कोई नहीं। वह सुबह से शाम अपनी आत्माओं के साथ रहता है। वह मंदिरों में, चर्च में, मस्जिद में, व्रत में, रोज़े में, मन्नतों में नहीं मिलता। परमेश्वर तक पहुंचने की एक सीढ़ी है जिसके बिना परमेश्वर और आप के मध्य कोई सम्बन्ध नहीं बन सकता वह सीढ़ी है गुरु। किन्तु गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 के अनुसार तत्त्वदर्शी सन्त ही गुरु होना चाहिए।



भक्तिकाल के आदरणीय सन्त गरीबदास जी ने लिखा है -

"समर्थ का शरणा गहो रंग होरी हो, कबहु न हो अकाज राम रंग होरी हो।।" समर्थ परमात्मा की शरण मे आने से साधक का कभी अकाज अर्थात कोई भी कार्य गलत नही होता। परमेश्वर उसका हमेशा साथ देते हैं। 

नानक देव जी ने परमेश्वर कबीर साहेब को गुरु धारण किया एवं उन्हें अपना साथी बनाया-


अंधुला नीच जाति परदेशी मेरा खिन आवै तिल जावै।

ताकी संगत नानक रहंदा किउ कर मूड़ा पावै।।


दुनिया की हर चीज़ नश्वर है इसी कारण सूफ़ी सन्तों ने अपना इश्क़ ख़ुदा से जोड़ा। ध्रुव, प्रह्लाद, मीराबाई, दादूजी, सन्त मलूकदास जी ने अपना अपना लगाव परमेश्वर से जोड़ा एवं परमेश्वर सदा उनके साथ रहा। कबीर साहेब में एक जुलाहे की भूमिका में आना साथी परमेश्वर को बनाया और परमेश्वर ने केशव रूप में आकर लाखों की संख्या में उपस्थित जनों को भंडारा कराया। परमेश्वर से दोस्ती कभी निरर्थक नहीं जाती। दर्शकों हमें अपना लगाव परमेश्वर से जोड़ना चाहिए परमात्मा जीव का सच्चा साथी है जो उसे गिरने के पहले थामता है, उसे मुसीबत से बचाता है और यही एकमात्र साथी है। परमात्मा केवल हमारा ही नहीं बल्कि हमसे जुड़े लोगों का भी ख्याल रखता है।


जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी हमें सच्चाई से अवगत करवा रहे हैं कि- 

"स्वार्थ के बिना कोई नही प्यारा, मतलब के बिना कोई नहीं प्यारा।।"

इस संसार मे सब स्वार्थ के साथ जुड़े हुए हैं। हर कोई अपनी किसी न किसी जरूरत को लेकर दूसरे से जुड़ा है। सन्त रामपाल जी महाराज जी ने अपने तत्वज्ञान में बताया है कि स्वार्थ के बिना कोई भी किसी को प्यारा नहीं। हम सभी इस काल लोक में संस्कारवश फंसे हुए हैं और यही संस्कार हमें एक दूसरे से स्वार्थ के तहत जोड़े रखते हैं। हम सभी कर्मो के बंधन में बंधे हैं। हमारा कोई भी साथी ऐसा नहीं है जो कर्म बन्धन रहित हो और निःस्वार्थ भाव से हमारा अंत तक साथ दे सके। तो यहाँ हमारे जितने साथी हमने बना रखे हैं ये सब वास्तविक साथी नहीं है। एक न एक दिन ये हमें अपने हाल पर छोड़कर चले जायेंगे।

यदि स्थायी साथ देने वाला साथी चाहते हो तो उस वास्तविक साथी की खोज करो जो मृत्यु के बाद भी साथ नहीं छोड़ता, जो कर्म बन्धन रहित है और हमारे कर्मों को भी काटने में सक्षम है, जो निःस्वार्थ भाव से हमें प्रेम करता है। वह असली धनी है। परमात्मा पल में सबकुछ बदल सकता है। परमात्मा के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।

सन्त रामपाल जी महाराज जी अपने सत्संग में उस वास्तविक साथी की जानकारी देते हुए बताते हैं कि केवल पूर्ण परमात्मा ही हमारा सच्चा साथी है। वो हमारे वास्तविक पिता हैं जो सुख दुख की हर घड़ी में हमारा साथ देते हैं। उस परमेश्वर की शरण मे आने से सभी संकट टल जाते हैं, जीव को हानि नहीं होती और पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है। वो पूर्ण परमात्मा हर पल अपने साधक के साथ रहता है। मृत्यु के पश्चात भी परमेश्वर अपनी आत्माओं का साथ नहीं छोड़ते। नरक की आग से भी परमेश्वर बचाते हैं। आइए गुरु रूपी सीढ़ी चढ़ें और बनाये परमेश्वर को अपना साथी।


सन्त रामपाल जी महाराज जी ने बताया-

"सतगुरु शरण मे आने से, आई टले बला।

जे मस्तिष्क में सूली हो, कांटे में टल जा।।"

सतगुरु की शरण मे आने से बड़ी से बड़ी मुसीबत भी काँटे में टल जाती है। दर्शकों, वर्तमान में केवल जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज ही वो सतगुरु हैं जो पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति बताते हैं, जो हमे भगवान से जोड़ देते हैं जिसके बाद वे अपने साधक के रक्षक बन जाते हैं और पल पल उनकी रक्षा करते हैं। तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज की शरण मे आने से हमें हमारे वास्तविक साथी का साथ मिल जाएगा जो कभी हमारा साथ नहीं छोड़ता। सन्त रामपाल जी महाराज जी अपने सत्संग में सभी धर्मो के सद्ग्रन्थों से प्रमाणित करके हमारे वास्तविक साथी की जानकारी दी। 


शास्त्रोनुसार पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ही हमारे वास्तविक साथी हैं। वे हमारे सच्चे हमदर्द हैं। जिन्हें सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की शरण व पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब का साथ मिल गया, समझो उस साधक का जीवन सफल हो गया। उस साधक को वो सब कुछ मिल गया जिसे पाने के लिए देवता भी तरसते हैं। आज पूरा मानव समाज शिक्षित है। अपनी शिक्षा का लाभ उठाएं तत्वदर्शी सन्त को पहचानें और परमेश्वर को अपना साथी बनाएं।

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