Spiritual Research: Who was the Guru of Guru Nanak Dev Ji? [Hindi] | Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj

Spiritual Research: Who was the Guru of Guru Nanak Dev Ji? [Hindi] | Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj

खबरों की खबर के हमारे इस खास कार्यक्रम में आप सभी का हार्दिक स्वागत हैं। दर्शकों, आज हम बात करेंगे सिख धर्म मे एक पर्व की तरह बडी ही धुमधाम से मनाई जाने वाली श्री गुरु नानक जयंती की कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन 1469 को राएभोए के तलवंडी नामक स्थान में, कल्याणचंद उर्फ कालू मेहता नाम के एक किसान के घर आदरणीय नानक देव जी का जन्म हुआ। उनकी माता का नाम तृप्ता था। तलवंडी को ही अब नानक जी के नाम पर ननकाना साहब कहा जाता है, जो पाकिस्तान में है।  दर्शकों 16 वर्ष की आयु में गुरु नानक देव जी का विवाह बीबी सुलखनी जी से हुआ। जिसके बाद श्रीचंद और लक्ष्मीचंद नाम के दो पुत्र प्राप्त हुए।ये तो हुई नानक देव जी के जीवन से सम्बंधित जानकारी। अब हम जानेंगे नानक देव जी के पूर्व जन्मों के बारे में।

who-was-the-guru-of-guru-nanak-ji-hindi


नानक जी के पूर्व जन्मों का उल्लेखन

दर्शकों, सतयुग में गुरु नानक देव जी वाली आत्मा राजा अम्बरीष थे। जहां पूर्ण परमात्मा सन्त रूप में उन्हें मिले और भक्ति करने के लिए प्रेरित किया परन्तु राजा अम्बरीष परमात्मा द्वारा बताई सतभक्ति न करके भगवान विष्णु जी को ही अपना इष्ट मानकर ब्रह्म तक की उपासना करने लगे। दुर्वासा ऋषि जी को भी उनके सामने नतमस्तक होना पड़ा था। उस जीवन के बाद स्वर्ग में अपना समय भोगने के उपरांत वे त्रेता युग मे राजा जनक हुए। राजा जनक के हज़ारो रानियां थी। लेकिन भक्ति की चाह फिर भी बहुत थी। पूर्ण परमात्मा उन्हें फिरसे मिले और दोबारा ज्ञान समझाया। उन्होंने उनके ज्ञान को तो अपनाया परन्तु भक्ति वही ब्रह्म तक की ही की। सुखदेव नाम के ऋषि का भी राजा जनक से उपदेश लेने के बाद ही कल्याण हुआ था। राजा जनक फिर स्वर्ग का समय भोगकर कलियुग में गुरु नानक देव जी के रूप में कालू राम मेहता खत्री के घर पर हिन्दू परिवार में जन्में। 


नानक जी के पूर्व जन्मों का प्रमाण श्री गुरु ग्रंथ साहिब में साखी अजीत रंधावे (अजीता रंधावा) दी में पृष्ठ 423 पर  और भाई बाले वाली जन्म साखी में भी मिलता है। दर्शकों ये तो है गुरु नानक देव जी के पूर्व जन्मों का इतिहास जो अधिकतर सिख धर्म के लोग जानते हैं। साथ ही नानक जी की जीवनी से भी सभी परिचित हैं। पर अब हम आपको नानक जी से जुड़ी वो बाते बताना प्रारम्भ करेंगे जो सिख धर्म के लोग भी नहीं जानते। तो चलिए जानते हैं गुरु नानक देव जी की जीवनी के वो महत्वपूर्ण पल।


पहले जन्मों में जब नानक जी राजा थे तो हजारों, लाखो की संख्या में उनके नौकर हुआ करते थे। और फिर वही आत्मा सुल्तानपुर के राजा के यहाँ नौकर लगे। इतनी भक्ति करने के बावजूद भी उनका मोक्ष नही हुआ और बार बार जन्म लेना पड़ा। पर सोचने की बात ये है कि इतने युगों से गुरु नानक देव जी वाली आत्मा भक्ति करती आ रही थी परन्तु उन युगों में उनका मोक्ष नहीं हुआ फिर कलियुग में नानक देव जी का मोक्ष कैसे हुआ? उन्होंने ऐसी कौन सी भक्ति की जिससे उनका फिर पुनर्जन्म नही हुआ?


नानक जी गुरुजी कौन थे?


गुरु नानक देव जी के गुरु जी के बारे में शायद ही कोई जानता हो। जो जानते हैं वो उनके गुरुजी का नाम नहीं जानते बस इतना पता है कि नानक जी के गुरुजी बाबा जिंदा थे तो कोई कहता है कि पंडित उनके गुरु थे (जिन्होंने उन्हें अक्षर ज्ञान दिया था)। और जो नही जानते वो कहते हैं कि नानक जी का कोई गुरु नहीं था।  तो पहले हम ये सिद्ध करेंगे कि गुरु नानक देव जी ने भी गुरु बनाया था जिनसे उन्हें अक्षर ज्ञान नहीं आध्यात्मिक ज्ञान हुआ था।


प्रमाण- 1 (नानक साहिब जी ने गुरु बनाया था)


भाई बाले वाली जन्म साखी के 251 पृष्ठ पर, सिद्धा नाल गोष्टी होई टॉपिक में नानक जी मरदाने को कहते हैं कि सानू करतार ने ऐडा वडा यानी इतना बड़ा गुरु मिलाया है जो परमात्मा से कम नहीं और उसकी कृपा के बिना हमें दिखाई नहीं देता यानी उसकी कृपा के बिना उसके दर्शन नहीं होते। इससे स्पष्ट होता है कि नानक जी के गुरुजी थे।


प्रमाण- 2

भाई बाले वाली जन्म साखी के 252 पृष्ठ पर, सिद्धा नाल गोष्टी होई टॉपिक में आगे साखी होर चली में मरदाना ने नानक जी से पूछा कि आपको जो गुरु मिला था उसका नाम क्या है। गुरु नानक जी ने बताया कि उसका नाम बाबा जिंदा है। उसे बाबा जिंदा कहते हैं। जल और पवन उसके हुकुम पर चलते हैं और अग्नि और मिट्टी भी उसके हुकुम में है। 

Also Read: Spiritual Research: क्या महाभारत (Mahabharata) पाँचवां वेद है? | Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj

फिर मरदाना पूछता है कि हम भी तो आपके साथ ही थे फिर आपको वो गुरु कब मिला? नानक जी ने बताया जब सुल्तानपुर में डुबकी लगाई थी तब तू हमारे साथ नही था और मैं तीन दिन उसी के पास रहा था। मरदाने वो ऐसा गुरु है जिसकी सतह सम्पूर्ण जगत को आसरा दे रही है।  इस पृष्ठ पर नानक जी ने अपने गुरुजी के बारे में और भी बहुत कुछ बताया है।


प्रमाण- 3


प्राण सँगली के पृष्ठ 15 पर अध्याय जीवन चरित्र- नानक जी में स्पष्ट किया गया है कि जब नानक जी 1554 मे बेई नदी पर स्नान के लिए गए थे तब उन्हें वहाँ साधु मिला था जो उन्हें सचखण्ड लेकर गया और उन्होंने उन्हें सतनाम का भेद भी दिया। इन सभी से स्पष्ट होता है कि नानक देव जी के गुरुजी थे। अब आपको उनके गुरुजी के नाम से परिचित करवाते हैं।




भाई बाले वाली जन्म साखी, हिंदी वाली के पृष्ठ 197 पर काजी रूक्न दीन सूरा के साथ वार्ता में नानक जी ने काजी रूक्न दीन से कहा- 

रुकनदीन सच्चा सुनो जवाब। चारों कुंट सलाम कर तां तुहि होई सवाब। 

आगे 198 पृष्ठ पर लिखा है-

खालिक आदम सिरजिआ आलम बड़ा कबीर। कायम दायम कुदरती सिर पीरा दे पीर।

आगे फिर इसी पृष्ठ पर लिखा है-

सजदे करे खुदाई(खुदा) नू आलम बड़ा कबीर।


इसमें स्पष्ट किया है कि आदम यानी मनुष्यों की सृष्टि करने वाला आलम बड़ा कबीर है और वो सभी पीरों का पीर है।


श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पृष्ठ नं. 721 राग तिलंग महला पहला में लिखा है-


"यक अर्ज गुफतम पेश तो दर गोश कुन करतार।

हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।

नानक बुगोयद जनु तुरा, तेरे चाकरां पाखाक”


इसमें स्पष्ट किया है कि हक्का कबीर यानी सत कबीर तू दयालु और ऐब यानी विकार रहित परवरदिगार अर्थात पूरी सृष्टि का मालिक है। और नानक यानी मैं तेरा जन यानी तेरा बच्चा हूँ और तेरे चरणों मे रहता हूं।  इससे सिद्ध हो गया कि नानक जी के गुरुजी कबीर साहेब जी थे। कौन कबीर? आज से करीब 650 वर्ष पूर्व जो जुलाहा/धानक जाति में आये थे, ये कबीर ही नानक जी के गुरुजी हैं।


पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी जो धानक/जुलाहा रूप में आये थे वे ही गुरु नानक देव जी के गुरुजी


प्रमाण-1

गुरु ग्रन्थ साहिब के राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ नं. 24 पर शब्द नं. 29 में प्रमाणित किया है कि धानक रूप रहा करतार।

"फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।।

खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।

मैं कीता न जाता हरामखोर, उह किआ मुह देसा दुष्ट चोर।

नानक नीच कह बिचार, धाणक रूप रहा करतार।।"


इससे सिद्ध हुआ कि नानक जी के गुरुजी धानक यानी जुलाहा जाति में इस संसार मे लीला कर रहे थे।


प्रमाण- 2


गुरु ग्रन्थ साहिब के 731 पृष्ठ पर लिखा है कि


"नीच जाति परदेसी मेरा, खिण आवे तिल जावे।

जाकी संगत नानक रहिंदा, कुकर मोहड़ा पावे।।"


ये स्पष्ट हो गया है कि जिसकी संगत यानी शरण मे नानक जी थे यानी उनके गुरुजी वो नीच जाति यानी जुलाहा जाति में लीला कर रहे थे। नानक जी ने प्रेम से कहा था कि नीच जाति परदेसी मेरा। इन सभी प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि कबीर साहेब जी श्री नानक देव जी के गुरुजी भी हैं और ये ही पूर्ण परमात्मा, पूर्ण करतार भी हैं। 


नानक जी कौनसी भक्ति करते थे?


पहले श्री नानकदेव जी एक ओंकार(ओम) मन्त्र का जाप करते थे तथा उसी को सत माना करते थे। उन्हें बेई नदी पर कबीर साहेब ने दर्शन दे कर सतलोक (सच्चखण्ड) दिखाया तथा अपने सतपुरुष रूप को दिखाया। तब श्री नानक जी अकाल मूर्ति को पाकर उनके चरणों में गिरकर उन्होंने सत्यनाम (सच्चानाम) प्राप्त किया। सतनाम का जाप मिलने पर नानक जी की काल लोक से मुक्ति हुई। सिख धर्म मे जो सभी लोग जपते है सतनाम वाहेगुरु असल मे वो सतनाम नही है। 

■ Also Read: पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब (सिक्ख धर्म) में पूर्ण-परमात्मा की जानकारी


वास्तविक सतनाम जिसका जाप नानक देव जी ने किया और जो उनकी वाणी प्रमाणित करती है वो कुछ अन्य मन्त्र है जिसके बारे में संत रामपाल जी महाराज ने विस्तार से खोल कर सबके रूबरू किया है और यह भी प्रमाणित कर दिखाया है कि नानक जी ने सतनाम को कबीर साहेब जी के कहने पर आज तक गुप्त रखा और सिख धर्म मे किसी को भी सतनाम का भेद नही दिया। वो सतनाम दो अख्खर का है जो भाई बाले वाली जन्म साखी के पृष्ठ 547 पर समुंदर दी साखी में वर्णित किया गया है। प्राण सँगली द्वितीय भाग के 103 पृष्ठ पर भी सतनाम के दो अख्खर वर्णित है।

इस अनमोल मन्त्र सतनाम को उस समय गुप्त रखने के लिए नानक जी को कहा गया था। साखी सचखण्ड की के पृष्ठ 309 पर लिखा गया है कि नानक जी को परमात्मा ने सतनाम को गुप्त रखने का आदेश दिया है जिस कारण उन्होंने परमात्मा म आदेश के बिना अपने किसी भी अनुयायी को सतनाम नहीं दिया।


नानक जी जिस सचखण्ड गए थे, वो सचखण्ड कैसा है?


साखी सचखण्ड की पृष्ठ संख्या 309 पर सचखण्ड की साखी अध्याय में सचखण्ड की महिमा बताई गई है। सचखण्ड प्रकाशित लोक है जहाँ प्रकाश रूपी सिंहासन पर निरंकार स्वयं विराजमान है। और देवी देवता अपने अपने हाथ बाँधे हुए आज्ञा की प्रतीक्षा में खड़े हैं।

सचखण्ड अमर लोक है जहाँ जाने के बाद साधक फिर लौटकर वापिस नहीं आता। परमेश्वर कबीर साहेब जी की भक्ति करने के बाद मोक्ष होने पर नानक जी सचखण्ड गए थे जिसके बाद उनका जन्म-मृत्यु का चक्र समाप्त हुआ। जिस प्रकार गुरु नानक देव जी का परमेश्वर कबीर साहेब जी की शरण मे आकर मोक्ष मन्त्रो का जाप करने से मोक्ष हुआ उसी प्रकार आप सब भी पूर्ण गुरु जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी की शरण मे आकर, उनसे नाम दीक्ष लेकर अपना मोक्ष करवा सकते हो।


नानक जी ने कहा था-

"सोई गुरु पूरा कहावे, जो दो अख्खर का भेद बतावे।

एक छुड़ावै एक लखावै, तां प्राणी निज घर पावै।।"


वर्तमान में केवल सन्त रामपाल जी महाराज जी ही एकमात्र पूर्ण सन्त है जो दो अख्खर का सतनाम दे रहे हैं जिसका जाप करने से नानक जी का मोक्ष हुआ। आप सभी से निवेदन है कि पूर्ण गुरु को पहचानने में अब देर न करें और सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की शरण मे आकर अपना कल्याण करवाये।

Post a Comment

0 Comments