दर्शकों, आज का हमारा विषय सम्बंधित होगा- एक रहस्यमयी ग्रन्थ से! जैसे पंचम वेद किसे कहा गया है, क्या महाभारत (Mahabharata) पाँचवां वेद है? | Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj
जी हाँ, एक ऐसा ग्रन्थ जो न तो हिन्दू धर्म के धर्म गुरुओं के पास है और न ही अन्य किसी धर्मगुरु के पास परन्तु आश्चर्य की बात ये है कि उस रहस्यमयी ग्रन्थ में सभी धर्मों का ज्ञान है। वेद, गीता, पुराण, क़ुरान, बाइबिल, गुरु ग्रंथ साहिब सभी धर्मग्रंथ एक परमेश्वर, अल्लाह, गॉड, रब की जानकारी देते हैं परन्तु उस ईश्वर को पाने का तरीका इनमें से किसी ग्रन्थ में नही है। ये सभी ग्रन्थ महिमा तो पूर्ण परमात्मा की बताते/गाते हैं परन्तु मन्त्र व नाम केवल ब्रह्म तक का ही बताते हैं। जिस रहस्यमयी ग्रन्थ के विषय मे आज हम आपको जानकारी देने वाले हैं सबसे पहले उस ग्रन्थ के नाम से ही खुलासा करना प्रारम्भ करते हैं।
इस अद्भुत व अद्वितीय ज्ञान युक्त ग्रन्थ का नाम है- सूक्ष्म वेद। जी बिल्कुल सही सुना आपने। ये सूक्ष्म वेद ही है जिसमे कम शब्दों में सम्पूर्ण ज्ञान समाया है। आगे आपको हम इस ग्रंथ की विशेषताओं से परिचित करवाएंगे और बताएंगे कि ये अद्भुत ग्रन्थ हमारे किस काम आ सकता है और ये इतना महत्वपूर्ण व अनमोल क्यों है? क्या है इस ग्रंथ की कहानी? किसने प्रकट किया इस ग्रंथ को? कौन है इसका रचियता? और किस स्तर का ज्ञान प्रदान करता है सूक्ष्म वेद रूपी रहस्मयी ग्रन्थ?
सूक्ष्म वेद का इतिहास (History of Saksham Veda or Fifth Veda)
सृष्टि के प्रारम्भ काल में परमेश्वर ने अपने अमरलोक में जब सभी जीवों की सृष्टि की तो उनके एक पुत्र ब्रह्म ने तप करना शुरू कर दिया। जहां प्रथम तप जोकि 70 युग तक किया गया उसमें ब्रह्मांड का वरदान लिया, द्वितीय तप फिर 70 युग तक किया गया जिसमें सृष्टि रचने की सामग्री मांगी तथा तीसरी बार 64 युग तप किये जाने पर जीवों की भीख मांगी जिसमे परमेश्वर ने स्वइच्छा से जाने वाली जीव आत्माओं को सूक्ष्म रूप में ब्रह्म के पास भेज दिया।
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उस अमरलोक में ब्रह्म ने एक बड़ी गलती करदी जिसपर उसे लोक निकाला मिला और उसे उसके 21 ब्रह्मांडो व जीवों सहित अमरलोक से निष्कासित कर दिया गया। साथ ही प्रतिदिन सवा लाख जीवों की उत्पत्ति व 1 लाख मनुष्यधारी प्राणियों के सूक्ष्म जीवों से गन्द निकालकर खाने का श्राप दिया। इसके ब्रह्मांड सतलोक/अमरलोक से 16 संख कोस की दूरी पर आकर स्तिथ हो गए। कुछ समय उपरांत ब्रह्म जीवों पर कष्ट ढहने लगा जिससे परमेश्वर बहुत दुखी हुए क्योंकि सभी जीव परमेश्वर का ही अंश हैं।
दर्शकों अपने जीवों को ब्रह्म के जाल से छुड़वाने के लिए परमेश्वर ब्रह्मलोक में आये और ब्रह्म से वार्ता की व उसके शरीर मे 5 वेद भर दिए। जिसके बाद सही समय आने पर वे सभी वेद ब्रह्म के श्वांसों से अपने आप बाहर आये। तब ब्रह्म ने सभी वेद पढ़े व उनमे से चार वेदों का ज्ञान जिसमे पूर्ण परमात्मा को पाने की जानकारी नहीं थी वे सभी सागरमन्थन के जरिये ब्रह्मा जी व अन्य जीवों तक पहुंचवा दिए। वहीं दूसरी तरफ जिस वेद में सर्व जानकारी थी, सम्पूर्ण ज्ञान था उस सूक्ष्म वेद को उसने नष्ट कर दिया ताकि कोई भी जीव मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर चलकर मोक्ष प्राप्त न करलें क्योंकि मनुष्य जन्म प्राप्त प्राणी ही इसका भोजन है।
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जब सूक्ष्म वेद नष्ट हुआ तो केवल 4 वेद ही जीवो को प्राप्त हुए। ये जानने के बाद परमेश्वर अपने अमरलोक से चलकर पृथ्वी लोक पर आए और अपने मुखकमल से सूक्ष्म वेद का सम्पूर्ण ज्ञान जीवों के समक्ष प्रकाशित किया। इसी तरह प्रत्येक युग मे परमेश्वर अपना मूल ज्ञान बानी के माध्यम से जीवों तक पहुंचाते व सूक्ष्म वेद की रचना करवा जाते जिससे जीवों का कल्याण होता।
सूक्ष्म वेद की भाषा (Definition of Saksham Veda)
अभी बताई गयी जानकारी से ये तो स्पष्ट हो गया कि सूक्ष्म वेद की रचना किसने की व इसके प्रकाशक कौन हैं। अब जानते हैं कि सूक्ष्म वेद में ज्ञान कैसा है, किस भाषा मे लिखा गया है? सूक्ष्म वेद न तो संस्कृत भाषा मे लिखा गया है और न ही हिंदी। सूक्ष्मवेद की भाषा के विषय मे कहे तो जीवों तक ज्ञान पहुंचाने के लिए एकदम लोकल भाषा ली गयी है। स्थानीय भाषा मे दोहों, शब्दों, वाणियों, कविता व लकोक्तियों के माध्यम से जीवों तक सत्यज्ञान पहुंचाया गया है व पहुंचाया जा रहा है।
सूक्ष्म वेद की विशेषताए
सूक्ष्म वेद-
- सभी धर्मों का ज्ञान रखता है।
- पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति के लिए आवश्यक मन्त्रो का ज्ञान रखता है।
- वेद, क़ुरान, बाइबिल, गुरु ग्रंथ साहिब में जिस पूर्ण परमात्मा की शरण मे जाने को कहा है उसकी सम्पूर्ण जानकारी इसमें है।
- ये ग्रन्थ परमेश्वर के मुख से उच्चारित की गई बानी से बनता है।
- सूक्ष्म वेद में चौपाइयों, दोहावलियो, वाणियों, आदि पद्य भाग में सम्पूर्ण ज्ञान सूक्ष्म तरीके से सिमटा हुआ है।
सूक्ष्म वेद कौन सा है?
कुछ धर्मगुरुओ का कहना है कि महाभारत सूक्ष्म वेद है तो कोई रामायण को सूक्ष्मवेद मानता है। कुछ लोग श्रीमद्भागवत गीता जी को सूक्ष्म वेद का नाम देते हैं। अगर इनके विषय मे कहा जाए तो बात सीधी व स्पष्ट है कि ये सूक्ष्म वेद हो ही नहीं सकते। सूक्ष्म वेद की विशेषताओं में हमने जाना कि उसमें सभी धर्मों का ज्ञान समाया हुआ है जबकि महाभारत में केवल द्वापर युग तक का ही ज्ञान है तो रामायण में त्रेतायुग तक का। और श्रीमद्भागवत गीता जी तो चारों वेदों- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद व अथर्ववेद का सारांश है। इसमें वेदों से अलग व पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति का ज्ञान नहीं है। तो ये तीनों ग्रन्थ ही सूक्ष्म वेद नहीं हो सकते।
इसलिए सूक्ष्मवेद कि विशेषताओं को देखते हुए हमें भी उस रहस्मयी वेद, सूक्ष्मवेद की जानकारी हुई। तब हमारी टीम भी उस वेद को प्राप्त करने के उद्देश्य से सभी ग्रंथो की जांच करके सूक्ष्म वेद को हासिल करने में लग गयी थी और फिर जो नतीजा आया वो ये था कि सूक्ष्म वेद पूर्ण परमात्मा के मुखारविंद से बोली गयी बानी से बना है जिसका नाम है- "कबीर सागर"! जिसे कबीर परमेश्वर जी ने अपने मुखकमल से बोले हुए तत्व ज्ञान से सम्पूर्णता से लिखवाया है। धर्मदास जी के माध्यम से कबीर सागर की रचना पूरी करवाकर परमेश्वर अपनी लीला करके चले गए थे। सूक्ष्म वेद की एक ख़यास बात ये है कि इस अनमोल तत्वज्ञान को केवल अधिकारी व तत्वदर्शी सन्त ही समझ व समझा सकता है, अन्य किसी के बस की बात नहीं।
दर्शको, ये थी सूक्ष्म वेद की सम्पूर्ण जानकारी जो हमें सिखाता है-
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
वर्तमान में सूक्ष्म वेद का भेद खोलने के लिए परमात्मा के भेजे हुए तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी ही वो अधिकारी सन्त हैं जो सूक्ष्म वेद का भेद खोलने में सक्षम है। परमात्मा प्राप्ति के लिए तत्वदर्शी सन्त की शरण ग्रहण करना बहुत जरूरी है। अर्थात जितना जल्दी हो सके तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी की शरण ग्रहण करें और अपना कल्याण करवाएं।
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