आखिर गुरु किसको बनायें? | क्या आपने सही गुरु बना रखा है? | Spiritual Leader Saint Rampal Ji
नमस्कार दर्शकों, "खबरों की खबर का सच" कार्यक्रम में आपका स्वागत है।
कहते हैं-
आग लगी आकाश में झर-झर गिरे अंगार |
संत न होते जगत में तो जल मरता संसार ||
जी हां, दर्शकों! यह बात बिल्कुल सत्य है कि यदि धरती पर परमात्मा या उनके भेजे नुमाइंदे संत ना हो तो ये संसार कब का नष्ट हो जाता। परन्तु, आज विश्व मे लाखो करोड़ो की संख्या में अध्यात्मिक मार्गदर्शक है, जो गुरु की पदवी पाए है। जिनके रास्ते अर्थात् भक्ति साधना भी भिन्न भिन्न है कोई कुछ भगवान बताता है तो कोई कुछ। इतने में एक साधक के लिए यह निर्णय करना कठिन है कि कोन गुरु सही है कोन गलत। इसलिए, वर्तमान में अध्यतामिक गुरुओं। की भीड़ में से एक सच्चे गुरु की पहचान करने वाले प्रयास के एक बेहद खास विषय को लेकर आज हम आपकी खिदमत में हाजिर हुए है।
गुरु, जो भगति मार्ग की प्रथम सीढ़ी है । गुरु, जिनके बगैर किया कोई भगति कर्म सफल नही होता।
इसके लिए कबीर साहेब जी ने कहा है
गुरु बिन दान यज्ञ जो करही
मिथ्या हो कबहु न फलही।
गुरु बिन काहू न पाया ज्ञाना
ज्यों थोथा भुस छडे मूड किसाना।
गुरु बिन वेद पढ़े जो प्राणी , समझे ना सार रहे अज्ञानी। |
राम कृष्ण से कौन बडों, तीनहू भी गुरु कीन।
तीन लोक के वो धनी , गुरु आगे आधीन।।
गुरु बनाना जब भगति मार्ग के इतना महत्वपूर्ण है तो अब जटिल प्रश्न यह उठता है कि गुरु किसे बनाए?
SA News Channel का पर्यास है कि मानव समाज को पूर्ण गुरु की पहचान बतलाई जाएं। ताकि भगत समाज सही राह प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त कर सके। दर्शकों, सतगुरु को पहचानने के लिये सबसे पहले हमे सतगुरु के लक्षणो को जानना होगा, जिसके आधार से हम सच्चे गुरु और नकली गुरु की पहचान कर सके।
कबीर जी सतगुरु के लक्षणों को बतलाते हुए कहते है-
सतगुरु के लक्षण कहु मधुरैं बैन विनोद
चार वेद षट सास्त्र वो कह अठारह बोध।
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— SA News Channel (@SatlokChannel) September 26, 2021
सतगुरु केवल शास्त्रों के ज्ञान को ही आगे बढ़ाता है वह अपनी बनाई कहानी नही सुनाता। सतगुरु का ज्ञान चारो वेदो गीता जी पुराणों आदि से प्रमाणित होता है। दर्शकों, सतगुरु एक समय मे केवल एक ही होता है जो सच्चा ज्ञान बतलाता है। वहीं नकली संतो द्वारा फैलाये अज्ञान को जनता के सामने रखता है। जिस कारण सभी प्रचलित गुरु इक्कठे होकर सतगुरु का विरोध करते है।
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कबीर जी ने सच्चे संन्त की पहचान का एक यह भी आधार बतलाया है कि जो संन्त परमात्मा के सत्य ज्ञान का दृढ़ता से प्रचार करेगा उसका घोर विरोध होगा ।सभी नकली गुरु अपने अनुयायिओं को बहकाकर उस सच्चे संन्त का विरोध करवाएंगे।
जिसके लिए कबीर जी कहते है-
जो सन्त मम उपदेश दृढ़ावे
बाँके संग सब रॉड बढ़ावे
यह सब सन्तन महन्तन की करनी
धर्मदास मैं तोसे वरणी
लेकिन विरोध से बेपरवाह पूर्ण सन्त अपने उद्देश्य पर आरूढ़ रहता है। दर्शकों, पवित्र कबीरसागर के बोधसागर खंड में भी सतगुरु की पहचान के बारे में वर्णन है कि जो पूर्ण गुरु होता है वह तीन बार मे अपना दीक्षा कर्म पूरा करता है।
अमरमुल बोध सागर में वाणी कुछ इस परकार है-
प्रथमहि शिष्य होए जो आई
तांको पान देऊ तुम भाई
जब देखो तुम दृढ़ता ज्ञाना
तांको कहो शब्द परवाना
शब्द माही जब निश्चय आवे
तांको ज्ञान अगाद सुनाओ।
इसके अलावा पवित्र गीता जी भी पूर्ण गुरु की पहचान करने का एक बहुत ही स्पष्ट पैमाना देती है। गीता जी के अध्याय 15 श्लोक 1 में वर्णन है-
ऊध्र्वमूलम्, अधःशाखम्, अश्वत्थम्, प्राहुः, अव्ययम्,
छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, यः, तम्, वेद, सः, वेदवित्।।1।।
मतलब जो सन्त उल्टे लटके संसार रूपी वृक्ष के सभी विभागों और पतो सहित बतला देगा वह वेद के तात्पर्य को जानने वाला है अर्थात् वह तत्वदर्शी सन्त है।
इतना ही नहीं सन्त वाणी में पूर्ण गुरु के बारे में एक दोहा भी प्रसिद्ध है-
सोई गुरु पूरा कहावे
जो दो अखर का भेद बतावे।।
इन दो अखरो से ही सतनाम बनता है जिसकी अमर महिमा नानक देव जी ने अपनी वाणियो में गाई है। यही सतनाम मंत्र मोक्ष का आधार है व महापाप नासक है। पूर्ण गुरु के लिए यह भी आवश्यक है कि उसे नाम दान देने का अधिकार भी हो। यदि कोई स्वयं भू गुरु बन कर नाम दान देता है तो वो भी अपराधी है। तो दर्शकों sa news की टीम ने उपरोक्त सब बिंदुओं को ध्यान में रखकर सभी गुरुओं के ज्ञान , उनका दीक्षा क्रम, गुरु प्रणाली, की गहराई से जांच की।
हमारी इस सघन जांच पड़ताल में हमने हर छोटे बड़े गुरु को हमनें शामिल किया लेकिन संन्त रामपाल जी में ही हमे पूर्ण गुरु, यानि सतगुरु के सभी लक्षण नजर आए।
क्योंकि केवल इनका ज्ञान ही शास्त्रों के अनुसार है सन्त रामपाल जी ने ही स्पष्ट किया है कि कबीर जी ही पूर्ण परमात्मा है।सन्त रामपाल जी के अलावा आज तक कोई यही स्पष्ट रूप से नही बता पाया कि परमात्मा आखिर है कौन? संन्त रामपाल जी ने ही सभी धर्मगुरुओं के अज्ञान को जनता के रूबरू किया है । जिस कारण उनका घोर विरोध धर्मगुरुओं के बीच है। संन्त रामपाल जी के अलावा भी कबीर पंथ अनगिन है लेकिन किसी का कोई विरोध नही है क्योंकि विरोध की एक पहचान सतगुरु के साथ जुड़ी है।
गीता जी में वर्णित संसार रूपी वृक्ष का भेद संन्त रामपाल जी ने ही बतलाया है। उन्होंने ही स्पष्ट रूप से इस पेड़ की जड़ से लेकर पत्तो तक सभी विभागों को साफ साफ बतलाया है। सन्त रामपाल जी अपना दीक्षा क्रम तीन चरणो में पूरा करते है । सन्त रामपाल जी के अलावा सभी एक बार मे ही दीक्षा देकर फारिग कर देते है। सतगुरु का यह लक्षण भी सन्त रामपाल जी पर सटीकता से सिद्ध होता है।
हमने अपनी खोज में यह भी पाया कि वर्तमान में केवल सन्त रामपाल जी ने ही दो अखर का भेद खोला है । संन्त रामपाल जी वही मंत्र अपने भगतो को देते है जिनका जाप नानक देव जी , दादू जी , घीसा दास जैसे महापुरुषों ने किया है। इस आधार से भी सन्त रामपाल जी ही पूर्ण गुरु सिद्ध होते है। इसके साथ साथ कबिर जी ने भी 600 साल पहले लिखे अपने ग्रंथ कबीर सागर में उल्लेख किया है कि मेरे जाने के बाद चलने वाले 12 वे पंथ ,गरीबदास जी के पंथ में मै अपना अवतार भेजूंगा जो नकली गुरुओं द्वारा फैलाये गए अज्ञान का नाश कर सत्यभगति समाज मे फैलाएगा।
सन्त रामपाल जी का निकास उसी गरीबदास पंथ से है व उन्हें ही इस परमार्थी कार्य के लिये, सत्यभगति मानव समाज मे स्थापित करने के लिए पूर्ण परमात्मा द्वारा भेजा गया है। वही एकमात्र पूर्ण सन्त व नाम दान देने के अधिकारी हैं। अतः भगत समाज से निवेदन है कि संत रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा लेकर अपना व अपने प्रियजनों का कल्याण कराये।समझा है तो सिर धर पांव बहुर नही रे ऐसा दांव ।।
1 Comments
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