Raksha Bandhan in Hindi | जानिए रक्षा बंधन की सच्चाई | Spiritual Leader Saint Rampal Ji

Raksha Bandhan in Hindi | जानिए रक्षा बंधन की सच्चाई | Spiritual Leader Saint Rampal Ji

स्वागत है आप सभी का खबरों की खबर के इस विशेष प्रोग्राम में। दर्शकों आज हम बात करने जा रहे है भाई-बहन को जोड़े रखने वाले त्योहार, रक्षाबंधन की जिसे आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्राचीन काल से यह त्योहार प्रति वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जिसमे बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र अर्थात राखी बांधकर भाई से रक्षा का वचन लेती हैं। इस दिन भाई अपनी बहन की हर मांग को पूरी करता है जिसमे वो अपनी बहन को उपहार, पैसे व मिठाईयां भी देते हैं। यह त्योहार बड़े ही हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है। इस दिन भाई बहन आपसी झगड़ो को भुलाकर प्रेम से पूरे परिवार के साथ समय बिताते हैं। 

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आज के इस वीडियो में हम आपको रक्षा बंधन के इस पावन त्योहार के विषय में पूरी जानकारी देंगे और साथ ही यह भी बताऐंगे रक्षाबंधन का यह त्यौहार कितना उचित है ? वास्तव मे हमें रक्षासूत्र अर्थात राखी किसे बांधनी चाहिए हमारा असली रक्षक कौन है। दर्शकों जिस तरह हर त्योहार की कहानी प्राचीन काल से जुड़ी होती है, उसी प्रकार इस पावन त्योहार की कहानी भी बहुत पुरानी है। रक्षा बंधन को लेकर बहुत सी कथाएं सामने आती हैं जिनमे से एक भगवान विष्णु जी से जुड़ी है।


इस कथा के अनुसार दैत्यों के राजा बलि 100 अश्वमेघ यज्ञ कर रहे थे जिसकी वजह से देवताओं को डर हुआ, कि कहीं राजा बलि स्वर्ग के राजा इंद्र की पदवी प्राप्त करके अपनी शक्तियों से स्वर्ग लोक पर भी अधिकार न कर ले जिस कारण वे सहायता के लिए भगवान विष्णु जी के पास गए। भगवान विष्णु जी ने बामन रूप बनाया और राजा बलि की 100 अश्वमेघ यज्ञ सम्पूर्ण होने से पूर्व बलि के पास जाकर उनसे भिक्षा मांगी। भीक्षा में राजा बलि ने तीन पग भूमि देने का वादा किया। 

तब भगवान विष्णु ने एक पग में स्वर्ग दूसरे में पृथ्वी को लिया। तीसरा पग आगे बढ़ता देख बलि परेशान हो गया और अपना सिर उनके चरणों के नीचे रख दिया। इस तरह बलि से स्वर्ग और पृथ्वी पर राज करने का अधिकार छीन लिया गया और वह रसातल में चला गया। तब बलि ने अपनी भक्ति से भगवान विष्णु से हर समय अपने सामने रहने का वचन लिया जिस कारण विष्णु जी को राजा बलि का द्वारपाल बनना पड़ा। इससे माता लक्ष्मी जी दुविधा मे पड़ गयी और व्याकुल हो गयी. वह किसी भी तरह से भगवान विष्णु जी को रसातल से वापिस लाना चाहती थी।  

जिसके लिए नारद जी से उन्हें एक समाधान मिला और वो बलि के पास पहुँच गई। वहां लक्ष्मी जी ने राजा बलि को राखी बांधकर उन्हें अपना भाई बना लिया तथा उपहार में अपने पति विष्णु जी को वापिस मांगा। यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था और तबसे ही रक्षा बंधन मनाया जाने लगा।


दर्शकों रक्षाबंधन से सम्बंधित लोककथाएँ तो और भी हैं जिन्होने इस त्योहार की बुनियाद रखी और जिनसे रक्षाबंधन के त्योहार का यह महत्व निकलता है कि इस दिन-

  • बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं।
  • भाई बहन की रक्षा का वचन देता है।
  • इस दिन बहन जो भी मांगे भाई को उसे उपहार रूप में देना होता है. 

ये जरूरी नहीं कि केवल सगे भाई बहन ही राखी बांध व बंधवा सकते हैं, बल्कि मुँह बोले भाई बहन भी इस त्यौहार का हिस्सा बन सकते हैं जैसे लक्ष्मी देवी ने राजा बलि को राखी बांधकर भाई बनाया था। 



तो प्रिय दर्शकों यह तो हुई त्योहार की बात। अब हम बात करते हैं उन बिंदुओं पर जो इस त्योहार का अन्य रूप दिखाते हैं।


सबसे पहले बात करेंगे रक्षा सूत्र अर्थात राखी बांधने से होने वाली सुरक्षा की


दर्शकों राखी को सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है जो ये सम्बोधित करता है कि वह सूत्र जो बहने अपने भाई की कलाई पर बांधती हैं, वो उनके भाइयों की सुरक्षा करेगा और बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं। 

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अब विचारणीय विषय यह है कि क्या एक मामूली सा धागा या रंग बिरंगी खूबसूरत दिखने वाली राखी किसी की सुरक्षा कर सकती है? आपने बहुत से ऐसे incidents या खबरें देखी होंगी जिसमें रक्षाबंधन के दिन ही बहुत से भाई अपनी जान गवा बैठते हैं। तो सोचने की बात है कि उस रक्षा सूत्र ने भाई की रक्षा क्यों नहीं की? जब रक्षाबंधन का त्योहार और राखी भाई की सुरक्षा नही कर सकते तो बहन की रक्षा का वचन देने वाले भाई बहन की रक्षा कैसे करेंगे? 



अब बात करते हैं कथा से शुरू हुई रक्षाबंधन की परम्परा की


पहली कथा में लक्ष्मी देवी ने राजा बलि से अपने पति को मांगने लिए उसे राखी बांधकर अपना भाई बनाया। एक और लोकमत के अनुसार द्रोपदी ने अपने भाई कृष्ण जी को पट्टी बांधी थी जिसके बदले में उन्होंने द्रोपदी को रक्षा का वचन दिया था। लेकिन वास्तव में द्रोपती की रक्षा पूर्ण परमात्मा ने की थी। लेकिन अगर लोकमत को भी माने तो विचार करने की बात है कि द्रोपदी ने कृष्ण जी को राखी नहीं बांधी थी, पट्टी बांधी थी। और माता लक्ष्मी ने भी सुरक्षा के उद्देश्य से नहीं उपहार रूप में अपने पति को वापिस मांगने के उद्देश्य से बलि को राखी बांधी थी। तो क्या इसे हम रक्षाबंधन के त्योहार की बुनियाद कह सकते हैं जिसमे रक्षाबंधन को ब्यान ही न किया जा सके। ऐसे में इनमें से किसे सही माना जाए और किसे गलत? रक्षाबंधन त्योहार की बुनियाद किसे माना जाए?


तीसरा हम बात करते है उनकी जिनके भाई या बहन नहीं होती, वो इस त्योहार को कैसे मनाते हैं? 


रक्षाबंधन के दिन ऐसी बहने भी देखने को मिलती हैं जिनके भाई नहीं होते और उस दिन वो अकेले बैठकर रोती हैं। तो क्या ये त्योहार उन बहनों या उन भाइयों के लिए नही है जिनका दुनिया मे कोई नही? जब सगे भाई बहन एक दूसरे की रक्षा नहीं कर सकते तो क्या मुँह बोले भाई बहन एक दूसरे की रक्षा कर पाएंगे?


क्या किसी के पास इन सवालों के जवाब हैं ? नही! किसी के पास कोई जवाब हो ही नहीं सकता क्योंकि आज तक हमें जो बताया गया वो ज्ञान अधूरा था। कारण ये रहा कि हमें सतगुरु अर्थात तत्वदर्शी सन्त का तत्वज्ञान सुनने को नहीं मिला। हमें शास्त्रो का ज्ञान नहीं हुआ जिस कारण हम वही करते रहे जो हमे हमारे पूर्वज या पंडित ब्राह्मण बताते रहे। और आजकल तो टीवी सीरियल, फिल्मों में दिखाए जाने वाले पाखंड ने त्योहारों के महत्व और प्रारूप को पूरी तरीके से बदल दिया है।


लेकिन आज की इस वीडियो के माध्यम से हम आपको बताना चाहते हैं कि अगर आपको द्रोपदी और लक्ष्मी की तरह सहायता चाहिए तो आपको उस पूर्ण परमात्मा की भक्ति करनी होगी जो सभी का रक्षक है, जो सब का पालनहार है। और वो कोई ओर नही पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ही हैं जिनकी गवाही सभी धर्मों के सद्ग्रन्थ; पवित्र चारों वेद , गीता जी , पवित्र बाइबिल, पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब, पवित्र कुरान शरीफ देते हैं और सिद्ध करते हैं कि कबीर साहेब जी ही पूर्ण परमात्मा है जो अपनी आत्माओं के पाप का नाश करता है और मृत्यु को भी टाल कर सैंकड़ो वर्ष का जीवन प्रदान कर सकता है। उस कबीर परमेश्वर के लिए कुछ भी असम्भव नहीं, वो जो चाहे सो कर सकता है।

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दर्शकों वर्तमान समय में रक्षाबंधन के नाम पर किए जाने वाले पाखंड से हमारी रक्षा नहीं हो सकती। रक्षा केवल समरथ परमात्मा ही कर सकते हैं। ऐसा कोई भाई बहन , यार दोस्त रिश्तेदार नही है जो हर पल रक्षा के लिए हमारे साथ रहे। ऐसे तो केवल पुर्ण परमात्मा, सर्व सृष्टि के रचनाहार कबीर साहेब जी ही है जो पल पल पे अपने साधक की रक्षा करते है।


उनकी एक वाणी भी है - 

कबीर पतिव्रता जमी पर , जो जो धर है पांव।

समर्थ झाड़ू देत है, ना कांटा लग जावे।


तो दर्शकों यदि आप वास्तव मे ये चाहते है कि इस दुनिया मे हर कष्ट से हमारी रक्षा हो, हमारा मोक्ष हो, तो उसका एक ही इलाज है कि एक पतिव्रता स्त्री की तरह उस पति परमेश्वर की , उस समर्थ भगवान कबीर परमात्मा की सच्चे दिल से भक्ति करो। वो जो चाहे सो कर सकता है। इसलिए राखी बांधनी है तो भगवान को बांधो जो भाई की भी रक्षा करेगा और बहन की भी। जो भी उस परमात्मा की शरण मे आएगा उसकी रक्षा भगवान स्वयं करेंगे।


और उस पूर्ण परमात्मा की शरण में आने के लिए सतगुरु की शरण में जाना होगा। वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज ही वो तत्वदर्शी सन्त हैं जो पूरे विश्व को कबीर साहिब जी की शास्त्रानुकूल भक्ति बता रहे हैं और मोक्ष की गारंटी देते हैं। यही वो महापुरुष हैं जिनकी शरण मे आने से सब रोग, कष्ट, समस्या, तंगी, परेशानी खत्म हो जाती है और वो भक्त सतभक्ति करता हुआ सुकून की जिंदगी जीकर अन्त मे मोक्ष प्राप्त करता है।


दर्शकों यकीन मानिए भगवान के जो गुण आज तक हम सिर्फ सुनते हुए, गाते हुए आये हैं कि भगवान अंधे को आंख, कोढ़ी को काया , बांझ को पुत्र और निर्धन को माया देता है । वो गुण वर्तमान में केवल संत रामपाल जी मे ही है क्योंकि ऐसे लाभ, ऐसे चमत्कार जो परमात्मा के अलावा कोई कर ही नही सकता वो पुर्ण संत, संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायियों के साथ ही हो रहे । इसलिए SA news की तरफ , हम सभी की आपसे प्रार्थना है कि देर न करें, तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी की शरण मे आकर अपनी व अपने परिवार को उस परमात्मा की भक्ति का , सच्चे मंत्रों का  रक्षाकवच दिलाकर उनकी सुरक्षा करे।


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