Spiritual Research: आजाद देश में गुलाम जिन्दगी | Independence Day 2021

 नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर के इस कार्यक्रम में आप सभी का फिर से स्वागत है। आज हम बात करेंगे आजादी की,  और जानेंगे कि हमें कोनसी आज़ादी अभी मिली है और हमें कोनसी आज़ादी चाहिए ?  दर्शको 15 अगस्त 2021, रविवार के दिन पूरे भारतवर्ष के लोगों द्वारा आजादी दिवस यानी स्वतंत्रता दिवस मनाया जायेगा। जिसकी तैयारियां भी लालकिले पर जोरो-शोरो से चल रही है। इस साल 2021 में भारत में ये 75वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाया जायेगा। 15 अगस्त 1947 को भारत में प्रथम स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था।

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आज़ादी ......एक ऐसा एहसास जो जीवन का पर्याय है जिसे महसूस करने के लिए जान की बाजी भी लगानी पड़े...तो बनती है। गुलाम जिंदगी से छूटने की उस छटपटाहट के आगे मौत भी शायद छोटी लगने लगती है। तभी तो मतवालों ने फांसी के फंदे को चूमकर इस एहसास को हमारे रूबरू कर दिया। दर्शकों, जिन्होंने इसके लिए संघर्ष किया उन्हें इसकी कीमत का पता था और जिन्हें ये सहज में मिली उन्होंने उस गुलामी... घुटन भरी जिंदगी का सितम कभी महसूस न किया।


दर्शकों, ये दिन हमारे लिए एक ऐसी यादगार बना है जिसे हम चाहकर भी नहीं भुला सकते।  15 अगस्त सन 1947 में भारत देश अंग्रेज़ो के राज से आज़ाद हुआ था और इस स्वतन्त्रता के पीछे उन शूरवीरों का हाथ है जिनसे गुलामी बरदाश्त न हुई और उन्होंने देश को आज़ाद करवाने के लिए अपने जीवन का भी बलिदान कर दिया। उन्हीं की बदौलत आज हम अपने ही देश में आज़ाद घूम रहे हैं।

हमारे अपने कुछ अधिकार हैं, हमारी अपनी आवाज है जिसे हम समाज मे हो रही कुरीतियों के खिलाफ नीडर होकर उठा सकते हैं, अपना हक मांग सकते हैं। और भारत का संविधान भी हमें ये अधिकार देता है कि हम किसी भी मसले को लेकर अपनी आवाज उठा सकते हैं। आज हमारे पास वो power है, वो शक्ति है जिससे हम सरकार भी चुन सकते हैं। देश के हर एक नागरिक के पास ये अधिकार हैं और सरकार चुनने की आज़ादी भी।

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तो दर्शकों, आज हम आज़ादी को लेकर ही बात करेंगे और जानेंगे उन सवालों के जवाब जो आज तक हमने कभी सोचे ही नहीं और यदि सोचे होंगे तो उनका कोई जवाब नहीं पाया। दर्शकों, आज़ादी केवल शासन से नही होती। गुलामी की जकड़ जीवन के हर पहलू पर होती है यदि हम सचेत नही है ।

दोस्तों इसी कड़ी में आपको बताएंगे कि

कौन है वो जो हमें कठपुतली की तरह अपने नियंत्रण में किये हुए है, जिसकी वजह से हम अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकते। जो होता है पूर्व जन्मों के संस्कारवश होता है, ऐसा क्यों है ? कौन है वो जो हमारे कर्मों से हमें इस संसार में बांधे हुए है ?


कौन है जो इस संसार मे अभी भी हमें अपना गुलाम बनाये हुए है?


इसके लिए सर्वप्रथम हमें समझना होगा कि ये कैसी गुलामी है? इस गुलामी के पीछे किसका हाथ है?_


हम सभी बचपन से यही सुनते आए हैं- जैसा करोगे, वैसा भरोगे! कोई भी संस्कारों को नहीं बदल सकता, आज हमें जो भी प्राप्त है सब पिछले जन्मों में किये कर्मों का नतीजा है!


आखिर ये सब क्यों कहा जाता रहा है?


इन सभी प्रश्नों के जवाब हमें केवल सत्संग से ही मिल सकते हैं। और सत्संग हो तो तत्वदर्शी सन्त का। विश्व में विराजमान एकमात्र तत्वदर्शी सन्त की कृपा से ही इसका कारण पता चल पाया। आइये आपको उससे परिचित करवाते हैं।


ये संसार, ये पृथ्वी लोक, ये ब्रह्मांड और इस ब्रह्मांड में रह रहे जीवों को नियंत्रित करने वाला 21 ब्रह्मांड का मालिक काल-ब्रह्म-ज्योति निरंजन है। यही वो शैतान है जो जीवों को कर्म बंधन के जाल में फँसाये हुए है, कठपुतली की तरह अपने नियंत्रण में किये हुए है।


इस लोक में हम चाहकर भी खुश नहीं रह सकते, न जाने कब कौनसी विपदा का सामना करना पड़े। कभी भी किसी भी समय किसी की भी मृत्यु हो जाती है।

किसी को भयंकर लाइलाज रोग हो जाता है, कोई कैंसर से पीड़ित है तो किसी का BP high, BP low है, किसी को अस्थमा है तो कोई डायबिटीज से पीड़ित है। कोई अनाथ है तो किसी के सन्तान नहीं। कोई अमीर है तो किसी के पास खाने को रोटी नहीं। 

ये लोक दुखो से भरा पड़ा है। हम दो दिन की खुशी मनाते है तो अगले ही पल कोई घटना घट जाती है जिससे घर मे मातम छा जाता है। ऐसा क्यों होता है? जवाब बहुत सरल है: हमारे साथ यहाँ जो भी होता है हमारे पुर्बले संस्कारवश यानी परार्ध कर्मों से होता है। जिसका लेखा जोखा काल-ब्रह्म संभालता है और हमे इस लोक में कैद किये हुए है। जो वो चाहता है वही होता है। 

श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी और श्री शंकर जी की इस काल भगवान ने उत्तपत्ति, पालन-पोषण और संहार करने की ड्यूटी लगा रखी है, जो इन्हें करनी ही पड़ती है। इन्हीं तीनो देवताओं के माध्यम से पृथ्वी लोक, स्वर्ग लोक और पाताल लोक के प्राणियों को अपनी मर्जी से चला रहा है। 


काल लोक के कर्म बंधन की कैद बहुत भयंकर है जिससे आज़ाद होना बहुत मुश्किल है। इस संसार मे जीवों को फँसाये रखने के लिए काल भगवान ने नकली पंथ स्थापित कर दिए, नकली धर्मगुरुओं को जीवों को भरमाने के लिए भेज दिया और न जाने कितनी ही पाखण्ड पूजा शुरू करवा दी।


निराधार बातों में बहकाकर भक्त समाज को वो क्रियाएं करने को मानसिक रूप से मजबूर किया जा रहा है जिनका उन श्रद्धालुओं के कल्याण से कोई लेना देना नही है बल्कि उनके अनमोल मानव जीवन के साथ खिलवाड़ है।


  • कोई गाय पूजने को कहता है तो कोई गायें के गोबर को!
  • कोई पीपल को तो कोई तुलसी को!
  • कोई भैरो को तो कोई भूत को!
  • कोई माता को तो कोई मसानी को!
  • कोई तीर्थ पर जाने को कहता है तो कोई मक्का जाने को।
  • कोई सोमवार के व्रत लाभदायक बताता है तो कोई एकादशी का!


इसके अलावा और भी न जाने क्या क्या ..... और हम श्रद्धालु होने के नाते उपरोक्त सभी क्रियाएं अंध श्रद्धा के तहत करते रहे....

बिना परमात्मा को जाने .....बिना उसके विधान को समझे। या फिर ये कहे कि हम काल के जुल्मों को सहते हुए काल की गुलामी में ये बोझ अब तक ढोते रहे। आज का समाज शिक्षित होने के बावजूद भी सच्चाई को समझ नहीं पा रहा है। उस बैल की तरह लोग घसीटे फिर रहे है जिसके आंखों के आगे पट्टी बंधी हो।


ये सब काल जाल में फंसे होने का नतीजा है। जब तक हम इस काल लोक से मुक्त नहीं होते हम अपनी आजादी नही पा सकते। ये बाते भले ही आपको आक्रोशित करने वाली लग रही होंगी, परन्तु ये 100 फीसदी सत्य है और यह पूरा मानव सामाज अच्छे से जानता है। 


ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि भक्ति के जो आधार सद्ग्रन्थ है उनमें परमात्मा पाने का सीधा सा रास्ता बताया गया है जो वर्तमान में चल रही धार्मिक लोक परंपराओं से मेल नही खाता। जिस तरह अंग्रेजी शासन से मुक्ति के लिय संघर्ष करना पड़ा उसी तरह काल की गुलामी से छुटकारा पाने के लिए भी संघर्ष की पराकाष्ठा अपेक्षित है।


अब प्रश्न उठता है कि क्या इस गुलामी से मुक्ति पाने का कोई उपाय नहीं? देखा जाए तो हम इस गुलामी से आज़ादी पा सकते हैं परंतु उसके लिए वही शूरवीरता दिखानी होगी जो देश की आज़ादी के लिए उन शूरवीरों ने दिखाई थी। हमे भी उनकी तरह उठना होगा, आगे बढ़ना होगा, गलत का विरोध करना होगा, अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी होगी और बिना डरे अपनी आजादी की लड़ाई खुद लड़नी होगी। हमारे सामने अंतिम प्रश्न यह है कि क्या कोई शूरवीर नहीं जो हमें इस गुलामी से मुक्ति दिला सके? क्या कोई शूरवीर नहीं जो हमें गुलामी से मुक्ति दिलाने का मार्गदर्शन कर सके? तो सुनिए, इस सवाल का जवाब!


इस काल जाल के बंधन से हमें पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ही निकाल सकते हैं। और ये बात हमारे पवित्र सद्ग्रन्थ भी प्रमाणित करते हैं। हिन्दू धर्म के पवित्र वेद प्रमाणित करते हैं कि वो पूर्ण परमात्मा कविर्देव-कबीर साहेब है जो जीवों को कर्मों के बंधन से मुक्त करवा सकता है और रितधाम अर्थात सतधाम-सतलोक लेकर जा सकता है, जहाँ जाने के बाद प्राणी इस संसार मे वपिस कभी नहीं आते और जन्म-मरण के भयंकर चक्र से छुटकारा पाकर पूर्ण मोक्ष प्राप्त करते हैं। 


वो पूर्ण परमात्मा इस पृथ्वी पर किसी न किसी सन्त रूप में हमेशा विराजमान होते हैं और जीवों का कल्याण करते हैं; ऋग्वेद मंडल नम्बर 9, सूक्त 96 मन्त्र 18 में इसका प्रमाण है।  यजुर्वेद अध्याय 8 मन्त्र 13 प्रमाणित करता है कि वो पूर्ण परमात्मा हमारे पाप कर्मों का नाश करके हमें यहाँ भी सुखी जीवन प्रदान करता है। वर्तमान में भी पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने इस पृथ्वी पर अपने अवतार अर्थात विशेष आत्मा को इस संसार का कल्याण करने के लिए भेजा है।


इस पावन, कल्याणकारक और परमार्थी कार्य को करने के लिए जगतगुरु तत्वदर्शी संन्त रामपाल जी महाराज ने कबीर परमात्मा के आशीर्वाद से अलख जलाई है। उन्होंने भक्त समाज को सभी धर्मों के सद्ग्रन्थों से परिचित करवाया और शास्त्रानुसार भक्ति बताकर भक्तों के कल्याण का मार्ग सुलभ किया। उन्होंने ही पूरे भक्त समाज को भगवान की पहचान करवाई और सद्ग्रन्थों से प्रमाणित करके बताया कि पूर्ण ब्रह्म, परमात्मा कौन है, कहाँ रहता है, कैसा है वो! वरना आज तक कोई भी धर्मगुरु हमे ये तक नही बता पाए कि भगवान है कोन..? तो जाहिर सी बात है कि फिर इनके लिए भगवान पाने का रास्ता बताना तो बहुत दूर की बात है।


सन्त रामपाल जी महाराज ने ही भक्त समाज के अज्ञान अंधकार का नाश कर काल द्वारा भेजे गए नकली गुरुओं के द्वारा फैलाये गये मकड़जाल में फंसे हम गुलामो को एक सत्य राह दिखलाई है जिस पर चलकर हम पूर्ण रूप से मुक्त हो जाएंगे। हम काल जाल से मुक्त होकर अपने निज घर सतलोक चले जायेंगे, जहाँ कोई दुख नहीं है कोई राग-द्वेष नही है। वो सुख का सागर है। पूर्ण परमात्मा के भेजे गए अवतार सन्त रामपाल जी महाराज ही हमें मुक्ति दिलवा सकते हैं।


यही कारण है कि आज उनका जीवन संघर्ष का पर्याय बन गया। हमे सुखी जीवन देने के लिए अपने जीवन के 10 वर्ष कारागार में बिताना उनकी महानता व उनका हमारे प्रति प्यार ही है। उस सत्य को हमारे रूबरू करने की उनकी लालसा है जिससे हम अपने आस पास जकड़ी अज्ञान की बेड़ियों को देख सके और उनसे मुक्त होने का प्रयत्न कर सकें। वो हमें मुक्ति की राह दिखा रहे हैं जिसपर चलकर हम हमेशा के लिए हर प्रकार से आज़ाद हो जाएंगे।


तो दर्शकों हमें उनके इस संघर्ष को समझकर सत्य राह पकड़नी चाहिए और अपनी मुक्ति करवानी चाहिए, जिससे हम खुद को व आने वाली पीढ़ियों को एक ऐसा माहौल दे सके जिसमे हर अध्यत्मिक क्रिया सार्थक हो, कल्याणकारक हो।। वर्तमान में केवल सन्त रामपाल जी महाराज ही पूर्ण सन्त हैं जो सभी धर्मों के सद्ग्रन्थों के आधार से भक्ति मार्ग बता रहे हैं। तो देर किस बात की, जल्दी कीजिये और सन्त रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण करके अपना व अपने चाहने वालो का कल्याण करवाइए

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