Spiritual Research: क्या आपको पता है इस पृथ्वी पर इंसानों से ज्यादा भूत रहते है | Spiritual Leader Saint Rampal Ji

Spiritual Research: क्या आपको पता है इस पृथ्वी पर इंसानों से ज्यादा भूत रहते है | Spiritual Leader Saint Rampal Ji

खबरों की खबर कार्यक्रम में आपका एक फिर से स्वागत हैं। आज की इस spiritual research में हम बात करेंगे मृत जीवन जीने वाली अदृश्य शक्तियों की यानि शैतानी ताकतों ,भूत, प्रेत, राक्षस, पिशाच आदि बुरी शक्तियों की।

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जी हां! जीवित के जीवन के बारे में तो सभी बात करते है लेकिन हम बात करेंगे उनकी जिनका जीवन ही मरने के बाद शुरू होता है। आज हम बात करेंगे मृत जीवन जीने वाली अदृश्य शक्तियों की यानी शैतानी ताकतों ,भूत, प्रेत , राक्षस, पिशाच, आदि बुरी शक्तियों की जिनके जीवन मे शांति और खुशी का नाममात्र भी कोई नामोनिशान भी नही रहता बल्कि घोर अंधेरा, सन्नाटा और भयानक डरावनी राते ही इनके महकष्टदायक और भयानक जीवन का हिस्सा हैं।

आज की इस Spiritual Research में हम आपको भूत प्रेत आदि शैतानी शक्तियों के बारे सूत्रों व तथ्यो के आधार पर ऐसी जानकारी देने जा रहे है जिसे जानकर आप भी अचंभित रह जाएंगे।

भूत प्रेत आदि ऐसी अदृश्य शक्तियों के बारे में हम बचपन से ही सुनते हुए आये हैं। लेकिन इनका मृत जीवन कैसा होता हैं ये कोई ठीक से नहीं जानता।

भूत प्रेत मरे हुए यानी मृत जीवन जीने वाली ऐसी अदृश्य शक्तियां है जिन्हें चरम दृष्टि यानी इंसान की साधारण आंखों से नही देखा जा सकता। ये ऐसे जीव है जिनका सद्भक्ति ना करने के कारण स्थूल शरीर यानी दिखने वाला मानव शरीर मृत्यु के बाद छीन लिया जाता है और इनके पास सिर्फ और सिर्फ सूक्ष्म शरीर होता है जिसका आकर(साइज) एक अंगूठे जितना होता हैं जिसे ये अपनी मर्ज़ी से बड़ा और घटा भी सकते हैं।

ये इतने डरावने होते है कि इनके आस पास होने का एहसास भी शरीर में गहराई तक डर और सिरहन पैदा कर देता है और अगर इनसे सीधा सामना हो जाये तो उस वक्त की खौफनाक परिस्थिति का सामना कर पाना बेहद मुश्किल हैं। यह मन के अंदर गहराई तक अपनी छाप छोड़ जाती है। विश्व में ना जाने ऐसे कितने लोग है जिन्होंने भूत प्रेतों जैसी आसाधरण एवं भयानक घटनाओ का अनुभव किया है। और लोग भूत प्रेतों के साये वाली जगहों पर दिन में भी जाने से कतराते है और सूरज डूबते ही लोग उन जगहों के रास्तो को भी सुनसान छोड़ देते हैं । अगर बहुत मजबूरी हुई तो वहां से झुण्ड बनाकर गुजरते हैं क्योंकि उन्हें हर समय डर रहता है कि कोई भूत का साया उनके पीछे न पड़ जाए ।

अक्सर हमने यही सुना है कि भूत प्रेत खण्डरो , शमशान घाट व कब्रिस्तान, सुनसान रास्ते व जगहों, लम्बे समय से खाली पड़े घरों और इमारतों व ऐसी जगह रहते है जहाँ कोई दुर्घटना घटित हुई हो क्योंकि दुर्घटना व अन्य कारणों से अकाल मौत मरने वालो की आत्मा अशांत होकर प्रेत बनकर भटकती रहती हैं।


हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां अब तक ना जाने कितने ही लोग मरकर भूत प्रेत बनते रहे है। आप भले ही इस तथ्य पर यकीन ना करें लेकिन यह पूर्ण सत्य है कि वर्तमान में जितने इंसान पृथ्वी पर रहते है, उनसे बीस गुना ज्यादा भूत प्रेत रहते है। आपके घर मे भी एक या दो नही बल्कि सैकड़ों भूत एक साथ रहते है, मंडली बनाकर रहते है जो आपको दिखाई नही देते। हर मोड़ पर इंसानों के भीतर डर और सिहरन पैदा करने के लिए प्रेत आत्माएं और अन्य शैतानी ताकतें अपना रौब दिखाती रहती हैं। आपकी हर हरकत पर , हर कदम पर बुरी व अच्छी आत्माओं और भूत प्रेतों की नजर रहती है। यह आत्माएं आपको एक पल के लिए भी तन्हा नहीं छोड़तीं , हां कई बार कुछ आत्माएँ ऐसी होती है जो भीड़भाड़ से बचते हुए आपको अकेलेपन में ही अपने होने का एहसास भी करवा देती हैं।


सभी भूत बुरे नहीं होते लेकिन जो बुरे होते है उनकी शक्ति इतनी बलशाली होती है कि यह किसी भी व्यक्ति का दिमाग पलट कर उससे अच्छा या बुरा कार्य करा सकते हैं।

यह इंसान को अपनी इच्छा अनुसार मनचाहा नाच नचाते हैं। ये किसी भी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करके शरीर पर काबू पाकर उसका इस्तेमाल अपनी इच्छा अनुसार करते हैं। इनमे शांत जीवन को पल भर में अशांत बनाने की, झगड़े करवाने , वस्तुएं गायब करने, धन व व्यवसाय हानि, पशु धन हानि आदि हानियां करने की शक्ति होती है। ये पशुओं को मार डालते हैं और यंहा तक कि ये किसी भी व्यक्ति को तड़फ़ा तड़फ़ा कर उसकी जान तक ले सकते है और इतना ही नही ये इतने सक्षम होते है कि अगर किसी इंसान के पीछे बुरे इरादों से पड़ जाए तो ये उसका सबकुछ तबाह कर सकते है और उसके पूरे परिवार को ही मौत के घाट उतार सकते है।


प्रेत यानि भूत पहले मानव ही थे । उनका स्वभाव, दिमाग उसी तरह काम करता हैं। उनको खाने की इच्छा अधिक रहती हैं । इन्हें प्यास भी अधिक लगती है , लेकिन तृप्ति नहीं हो पाती हैं। भूख प्यास और कष्ट से बेहाल ये बहुत दुखी और चिड़चिडे स्वभाव के होते हैं और इनमें वासना, क्रोध आदि विकार भी अधिक होते हैं। इनका जीवन बहुत दुखदायी होता है और उम्र बहुत लंबी होती हैं। ये हजारों वर्षों तक प्रेत बने रहते हैं। किसी औरत के गर्भ में भी इन्हें प्रवेश रहना पड़ता हैं। प्रेत का स्त्री से जन्म नहीं होता , परंतु गर्भ में कष्ट बहुत होता हैं। उस गर्भ के कष्ट को वह पाप आत्मा झेलता हैं।


अपनी प्रेत योनि से महादुखी होकर भूत हर समय इस बात की खोज करते रहते हैं कि कोई मुक्ति देने वाला मिले और उन्हें इस दुखदाई योनि से छुटकारा मिल सके। इसके लिए ये कभी किसी के घर में तो कभी जंगल में भटकते रहते हैं।


यह अपने लिए सारी सुख सुविधाये देखकर ही निर्णय लेते है और जहाँ इन्हें अच्छा भोजन व ऐशोआराम मिले उस घर के धनी व्यक्तियों के अंदर प्रवेश कर जाते है और शराब, चटपटा आहार, व खाद्यपदार्थो और मिठाइयों का आनंद लेते है। यह इतने चालक होते है कि खामोशी के साथ शरीर में प्रवेश रहते है, तब अन्य किसी व्यक्ति को पता भी नहीं चलने देते कि शरीर में प्रविष्ट है। कुछ भूत ऐसे होते है कि जिस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश होते है तो उस व्यक्ति की आत्मा को अचेत कर देते है और जब ये शरीर से निकलते है तब उस व्यक्ति को होश आता है और उसे कुछ याद नही रहता कि कोई प्रेत शरीर मे था और उसने शरीर मे रहकर क्या क्या किया। प्रेतों के शरीर मे होने का पता अन्य व्यक्तियों को भी तभी लगता है जब ये प्रेत कोई असाधारण गतिविधिया और हंगामा करते है। 

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आपने देखा होगा कि जो व्यक्ति शराब पीते हैं और अनेको उपचार के बावजूद भी छोड़ नहीं पाते। असल मे उनमें कोई शराबी मरकर भूत बनकर प्रवेश रहता है इसलिए वह चाहकर भी शराब नहीं छोड़ पाते। कुछ प्रेत अपने दुष्ट स्वभाव के कारण भी इंसानों को परेशान करते है।

भटकते हुए भूत प्रेत अक्सर काला जादू करने वाले तांत्रिको द्वारा जन्त्र मन्त्र से वश कर लिये जाते है और फिर तांत्रिक इनका दुरूपयोग करके अन्य व्यक्तियों को हानि पहुँचाते है।


पांचवे वेद सूक्ष्मवेद में वर्णन है कि


जहां आसा तहां वासा होई, मन कर्म वचन सुमरियो सोई। 


अर्थात सद्भक्ति न करने वाले प्राणी की आस्था मरते समय जिस जगह पर जिन व्यक्तियों या वस्तुओ में रह जाती है फिर मरने के बाद मोहवश वह प्रेत अथवा अन्य जीव की योनि में वही वापस आकर भटकता रहता है।

शास्त्रों के अनुसार भूत बनने का मुख्य कारण गलत साधनाएं होती है तथा मृतक व्यक्ति के लिए की गई पूजाएं जैसे श्राद्ध, पिण्ड आदि निकालना भूत पूजा कहलाती है।


गीता अध्याय 9 के श्लोक 25 में वर्णन है कि भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते है अर्थात् भूत बनते है। इस नियम अनुसार भी श्राद्ध निकलाने वाले लोग भूत प्रेत बनकर घर मे ही भटकते है या अन्य तांत्रिको द्वारा जंत्र मन्त्र से वश में किये जाने पर दुरुपयोग किये जाते है।


‌अक्सर हम देखते है कि भूतबाधा से पीड़ित लोगों को मंदिर, मस्जिद, चर्च में भी जाते है और उनके घरों में इतनी पूजा पाठ होने पर फिर भी उन्हें भूतप्रेत बाधा से छुटकारा नही मिल पाता। क्योंकि इसका पूर्ण रूप से छुटकारा सिर्फ सद्भक्ति से यानि शास्त्र अनुकूल भक्ति पूर्ण सन्त से लेकर करने से ही सम्भव हैं।


क्योंकि शास्त्र प्रमाण देते है कि पूर्ण गुरु से  सद्भक्ति मन्त्र लेकर की गयी साधना से 101 पीढ़िया पार  होती है। सर्व सुख होते है और तीन ताप का कष्ट समाप्त हो जाता है। भूत प्रेत पित्र बाधा तीन तापो में से एक है। पूर्ण परमात्मा सद्भक्ति करने वाले साधक के साथ हर पल रहता है और परमात्मा की शक्ति व झलक सद्भक्ति करने वाले साधक के साथ दिखती है जिससे ये भूत प्रेत आदि बुरी शक्तियाँ उस भक्त से 10 फुट दूर रहते है और निकट नही आ सकते। जिस घर के सदस्य पूर्ण गुरु से पूर्ण परमात्मा का नाम यानी सच्चे मन्त्र दीक्षा ले रखी होती हैं उस घर मे भूत प्रेत आदि बुरी शक्तियां प्रवेश नही कर सकती। 


पांचवे गुप्त वेद यानी सूक्ष्मवेद में लिखा है कि 

देवी देव ठाड़े भये, हम को ठौर बताओ।

जो मुझ कबीर को पूजे नहीं, उसको लूटो खाओ।। 


यानी पूर्ण परमात्मा का आदेश है जो मेरी सद्भक्ति करता है उसके निकट ये बुरी शक्तियां नही जा सकती और जो पूर्ण परमात्मा की सद्भक्ति नहीं करते उनको ये भूत प्रेत आदि बुरी शक्तिया उनको लूटती, खाती है यानी बहुत दुःखी करती है। 


इसलिए सावधान हो जाये क्योंकि अगर आपने पूर्ण सन्त से नामदीक्षा लेकर शास्त्र विधि अनुसार भक्ति साधना नही की तो भूतों का अगला शिकार आप या आपके परिवार का सदस्य भी हो सकता है और सभी सद्ग्रन्थ कहते है सद्भक्ति न करने वालो को मरने के बाद प्रेत योनि में महाकष्ट भोगना पड़ता है।


इसलिए समय रहते पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति शुरू करें और वर्तमान में वह पूर्ण गुरू कोई और नहीं तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही है जो सभी पवित्र शास्त्रों के अनुसार सद्भक्ति बताते हैं जिससे साधक की हर बुराई से रक्षा तो होती ही है साथ मे पूर्ण मोक्ष के अधिकारी भी होते हैं। पूर्ण संत, संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में आकर उनसे नाम दीक्षा लेकर अपना व अपने परिवार का कल्याण करवाएं

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