संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा नाम जो आध्यात्मिक जगत के सच्चे संत हैं और सबसे बड़ी बात समाज सुधार के लिए प्रयत्नशील समाज सुधारक (Social reformer) हैं। संत रामपाल जी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। साथ ही, उनका ज्ञान अद्वितीय है और सबसे बड़ी बात यह है कि वे सभी पवित्र धर्मग्रंथों के अनुसार सही भक्ति विधि बताते हैं।
सतभक्ति से लाभ प्रोग्राम द्वारा समाज के ऐसे लोगों को सामने लाया गया जो न जाने कितनी समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सद्भक्ति से उनकी सभी समस्याएं खत्म हो गईं और उन्हें एक नई ज़िंदगी मिली जो आज लाखों लोगों के लिए उदाहरण हैं। तो आज हम आपको एक ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी से परिचित करवाएंगे जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ बल्कि शारीरिक और आर्थिक लाभ भी मिला।
"सतभक्ति से लाभ-Benefits of True Worship" की थीम इस प्रकार है
- खुमान दास (Khuman Das) जी की आपबीती
- संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
- नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी में आये बदलाव
- नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
- मेरा समाज को संदेश
- सारांश
खुमान दास (Khuman Das) जी की आप बीती
मेरा नाम खुमान दास (Khuman Das) है। मैं खंडवा जिला, मध्यप्रदेश का रहने वाला हूँ। पहले मैं हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा करता था, व्रत करता था, रामलीला में पाठ करना और संत सिंगाजी महाराज को मानना ये सब किया करता था। 25 साल तक मैं भजन गाकर लोगों को ज्ञान सुनाता रहा। जब मैं रामलीला का पाठ करता था तो एक प्रसंग आता है कि श्री विश्वामित्र जी के साथ राम जी और लक्ष्मण जी जनक जी के दरबार में गए थे। पुष्प वाटिका में विश्वामित्र जी ने उन्हें फूल तोड़ने के लिए भेजा था और वहाँ पर माता सीताजी अपनी सखियों के सहित गौरी पूजने के लिए आईं थीं तो राम जी ने लक्ष्मण जी से कहा था कि
"सो सब कारण जान विधाता, फरकहीं सुवग अंग विधाता"
हे भाई लक्ष्मण! मेरे सारे अंग फड़कते हैं इसका कारण तो विधाता ही जानते हैं। तो इससे मैं सोच में पड़ जाता था कि मेरे इष्ट तो राम जी हैं लेकिन वो किस विधाता की बात कर रहे हैं? मैं पहले सुपारी-तम्बाकू, गुटखा और बीड़ी-सिगरेट पीता था। कई बार छोड़ने की कोशिश की लेकिन नहीं छोड़ पाया था।
संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
मैंने 5 सितम्बर 2013 को संत रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा ली थी। मैं ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़कर संत रामपाल जी की शरण में आया। हुआ यूं कि भजन गाने वाले मेरे एक साथी मांगीलाल जी ने संत रामपाल जी महाराज जी से नाम ले लिया और जिस दिन वो आये तो हमने भजन किया लेकिन वे नहीं आये तो मैंने साथियों से पूछा कि मांगीलाल भाई क्यों नहीं आये? तो किसी ने कहा कि उन्होंने कोई गुरु बना लिया है इसलिए नहीं आये। मैं दूसरे ही दिन उनके घर गया और उनसे न आने का कारण पूछा तो उन्होंने बोला कि हमने संत रामपाल जी महाराज जी से नाम ले लिया है और उन्होंने भजन गाने के लिए मना किया है इसलिए हमने भजन गाना बंद कर दिया है।
फिर उन्होंने ज्यादा पूछने पर मुझे ज्ञान गंगा पुस्तक लाकर दे दी। मैं पुस्तक लेकर घर गया और छोटे भाई को पढ़ने के लिए बोला वो पढ़ता गया और बोला कि देखो भाई ये यहां प्रमाण लिखा है और हम दोनों भाई मिलाने लगे तो बिल्कुल सही था और फिर सृष्टि रचना पढ़कर तो आत्मा गदगद हो गयी और सौ-सौ बार शुक्रगुज़ार किया कि आप ही सच्चे संत हो। फिर हम दोनों भाइयों और तीसरे भाई कैलाश ने गीता जी से मिलान किया और सिंगाजी महाराज के भजनों से मिलान किया तो सारा ज्ञान एक जैसा मिलता गया। सिंगाजी महाराज के भजन में है
"वा घर की मोहे कोई ना बतावै, जा घर से जीव आया हो, ब्रह्मा, विष्णु, महेश नहीं थे, नहीं थी मूल और माया हो, रज और वीर्य ये दो ही नहीं थे, फिर जीव कहाँ से आया हो।"
ये हम गाते थे लेकिन हमें भी नहीं पता कि सिंगाजी महाराज कहना क्या चाहते हैं? ये बात तब स्पष्ट हुई जब संत रामपाल जी महाराज की लिखी ज्ञान गंगा पुस्तक के पृष्ठ 20 पर लिखी सृष्टि रचना पढ़ी। फिर मैंने बरवाला, जिला - हिसार, हरियाणा में जाकर संत रामपाल जी से नामदीक्षा ले ली।
नाम दीक्षा लेने के बाद जिंदगी में आए बदलाव
नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
संत रामपाल जी महाराज जी ने मुझे और मेरे परिवार को बहुत से लाभ प्रदान किये हैं। हम उनके जितने गुण गाएं उतने कम हैं। परमात्मा की एक वाणी है
"सात समुद्र की मसि करू, कलम करूँ बनराय।
धरती का कागज करूँ, गुरु गुण लिख्या न जाय।।"
संत रामपाल जी महाराज जी खुद के लिए दासन दास लगाते हैं जबकि वो हम तुच्छ जीवों को सच्चा ज्ञान बताकर और भक्ति देकर सतलोक के वासी बना रहे हैं। वो स्वयं परमात्मा हैं।
मेरा समाज को संदेश
मैं सभी प्रभु प्रेमी आत्माओं और खासकर मेरे भजन मंडल के साथियों को यही कहना चाहता हूँ कि सच्चा ज्ञान समझो, कितनी पीढ़ियाँ चली गयीं, कोई वापस नहीं आया। अगर अभी मोक्ष नहीं हुआ तो फिर यहीं रह जाओगे। इसलिए संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान को समझो, उनकी लिखी पुस्तकें जो आपके गांव-गांव, शहर-शहर पहुँच रही हैं वो पढ़ो और उन्हें पढ़कर तथा ज्ञान समझकर संत रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा लो और भक्ति करके सतलोक का रास्ता तय करो। आज गांव-गांव में संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग हो रहा है, वहां नामदीक्षा दी जाती है। अन्यथा अपने नजदीकी नामदान सेंटर पर जाकर भी नामदीक्षा ली जा सकती है।
सारांश
"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" प्रोग्राम में बताया गया कि "संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद लोगों को लाभ हो रहे हैं" पूर्णतः सत्य हैं। जिसका आप चाहें तो निरीक्षण भी कर सकते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ों अनुयायी हैं और ऐसे लाखों उदाहरण हैं जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद बहुत सारे लाभ मिले हैं।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति से कैंसर, एड्स व अन्य लाइलाज बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथ ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, 5, सूक्त 162 मंत्र 5 और सूक्त 163 मंत्र 1-3 में प्रमाण है कि हर बीमारी का इलाज सतभक्ति से ही संभव है, साथ ही वह परमात्मा अपने साधक की अकाल मृत्यु तक टाल सकता है और उसे 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है तथा उस परमात्मा की सतभक्ति से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान पवित्र वेद, पवित्र शास्त्रों के अनुसार है और पवित्र गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में जिस तत्वदर्शी संत के बारे में जिक्र आया है वह तत्वदर्शी संत कोई ओर नहीं संत रामपाल जी महाराज ही हैं। तो देर ना करते हुए आप भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझे और उनसे नाम दीक्षा लेकर मोक्ष मार्ग प्राप्त करें और 84 लाख योनियों के जन्म मरण से छुटकारा पाएं।
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