अंजना तिवारी (Anjana Tiwari) जी की आपबीती, संत रामपाल जी से नाम उपदेश लेने से जीवन हुआ सुखी

संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा नाम जो आध्यात्मिक जगत के सच्चे संत हैं और सबसे बड़ी बात समाज सुधार के लिए प्रयत्नशील समाज सुधारक (Social reformer) हैं। संत रामपाल जी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। साथ ही, उनका ज्ञान अद्वितीय है और सबसे बड़ी बात यह है कि वे सभी पवित्र धर्मग्रंथों के अनुसार सही भक्ति विधि बताते हैं


सतभक्ति से लाभ प्रोग्राम द्वारा समाज के ऐसे लोगों को सामने लाया गया जो न जाने कितनी समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सद्भक्ति से उनकी सभी समस्याएं खत्म हो गईं और उन्हें एक नई ज़िंदगी मिली जो आज लाखों लोगों के लिए उदाहरण हैं। तो आज हम आपको एक ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी से परिचित करवाएंगे जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ बल्कि शारीरिक और आर्थिक लाभ भी मिला।

सतभक्ति से लाभ-Benefits of True Worship

1. अंजना तिवारी (Anjana Tiwari) जी की आपबीती
2. संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
3. नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी में आये बदलाव
4. नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
5. मेरा समाज को संदेश
6. सारांश

अंजना तिवारी (Anjana Tiwari) जी की आप बीती

मेरा नाम अंजना तिवारी (Anjana Tiwari) है। मैं जामनगर, गुजरात की रहने वाली हूँ। मेरे शरीर में बहुत समस्याएं थीं, जिसे न डॉक्टर समझ पा रहे थे और न ही कोई ओझा-तांत्रिक। मेरे शरीर में बहुत दर्द होता था जैसे हजारों सुईयां चुभ रही हैं, कोई मुझे नोच रहा है। मेरे ऊपर कोई दवा काम नहीं करती थी, कोई इंजेक्शन काम नहीं करता था। डॉक्टरों के पास जाती थी तो रिपोर्ट सामान्य आती थी। ऑपेरशन के समय डॉक्टर बेहोश करने के लिए इंजेक्शन लगाते थे लेकिन मैं बेहोश नहीं होती थी, मुझे नींद के इंजेक्शन देते थे लेकिन नींद नहीं आती थी। मेरे शारीरिक अंगों को सुन्न करने का इंजेक्शन देते थे लेकिन वो भी काम नहीं करते थे, दर्द निवारक गोलियां देते थे लेकिन उनका भी कोई असर नहीं होता था। डॉक्टर भी इस बात से हैरान थे।

हम ओझा-तांत्रिकों के पास जाते थे तो कोई कुछ करने को कहता कोई कुछ, लेकिन 20 लाख रुपये खर्च करने के बाद भी कोई लाभ नहीं हुआ। ओझा-तांत्रिक पहले तो 100% ठीक करने को बोलते और दूसरे दिन ही मना कर देते कि इनके ऊपर तो बड़ी शक्ति का प्रकोप है जो हमें भी मारने लगती है। मुझे आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नजर नहीं आता था लेकिन मेरा बच्चा छोटा था। मैं सोचती थी परमात्मा है तो है कहाँ? कोई बोलता था कि दुर्गा जी की पूजा करो, कोई बोलता था कि हनुमान जी पूजा करो, सबकी साधना की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा

मैंने 20 जून 2013 को संत रामपाल जी महाराज जी की शरण ग्रहण की। मैंने आत्मा से परमात्मा पुकारा तो उस समय TV पर संत रामपाल जी के बारे में न्यूज आ रही थी, मार्च 2013 में जो आर्यसमाजियों ने उनके ऊपर हमला किया था उस विषय में। तब मुझे लगा कि ये संत तो साधारण से दिखते हैं, इन्होंने ऐसा क्या किया है कि इनकी न्यूज आ रही है, इसी जिज्ञासा के कारण मैंने P7 News पर संत रामपाल जी का सत्संग देखा तो पूरा ज्ञान ही सबसे हटकर लगा। तो मेरी रुचि उसमें बन गयी इसलिए मैं रोज सुबह उस चैनल पर वह सत्संग देखने लगी। 

तब गुरुजी के सत्संग सुनकर मैंने सोचा कि यदि गुरुमंत्र से ही ठीक होते हैं तो आसाराम से नाम ले लेती हूं वो तो पास में ही हैं, तब अगले ही दिन एक आसाराम वाले का इंटरव्यू आ गया जो अब संत रामपाल जी की शरण में है, तो मैंने सोचा कि ये तो हारा थका है आसाराम से तो मैंने सोचा कि राधास्वामी वाले को गुरु बना लेती हूँ क्योंकि पड़ोस में राधास्वामी को मानने वाले थे तो अगले ही दिन राधास्वामी वाला भी इंटरव्यू में आ गया।

 

फिर मैंने ब्रह्मऋषि शिवकुमार जी स्वामी से जुड़ने का सोचा तो अगले ही दिन ब्रह्मऋषि शिवकुमार स्वामी वाले का इंटरव्यू आ गया और बोला कि वो वहाँ से हारकर आया है। ये एक चमत्कार ही था कि मैं जिस गुरु के लिए सोच रही थी अगले ही दिन उससे थका हारा इंटरव्यू में आ जाता था। वो सत्संग सुनकर गुरुजी से नामदीक्षा ले ली। गुरुजी ने आशीर्वाद दिया, फिर घर पर आई और जैसा गुरुजी ने मन्त्र दिए वो सुमरन करने लगी और सत्संग सुनने लगी। 

नाम दीक्षा लेने के बाद जिंदगी में आए बदलाव

मेरे ऊपर जो समस्याएं थीं उनसे मैं 18 साल से परेशान थी। शरीर में दर्द रहता था। डॉक्टरों के पास और तांत्रिकों के पास भी कोई इलाज नहीं था। लेकिन जब मैंने संत रामपाल जी से दीक्षा ली और उनके बताए अनुसार भक्ति करने लगी तो धीरे-धीरे कम होते-होते पूरी समस्या खत्म हो गयी। मेरे पति DGM की पोस्ट पर हैं, लाखों की तनख्वाह उनकी है लेकिन मैं जो तकलीफ झेल रही थी उस कारण हमारे घर में पैसों का कुछ पता ही नहीं चलता था। कभी डॉक्टरों के पास, कभी तांत्रिकों के पास जाकर हम पैसे लुटा रहे थे लेकिन जब से मैं संत रामपाल जी की शरण में आई हूँ तब से मेरा एक भी रुपया मेरी शारीरिक समस्याओं पर खर्चा नहीं हुआ। अब हमारी आर्थिक स्थिति बिल्कुल ठीक हो गयी है। 

नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव

मेरे शरीर के असहनीय दर्द को कोई खत्म नहीं कर पाया था, न कोई डॉक्टर (दिल्ली AIIMS, इलाहाबाद के स्वरूप रानी) और न ही कोई तांत्रिक। डॉक्टरों को हम आधा भगवान कहते हैं लेकिन उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए थे। डॉक्टर जो मेरा ऑपेरशन कर रहे थे, वो खुद ही मेरे ऑपेरशन के बाद वैष्णोदेवी चले गए (विज्ञान भगवान को नहीं मानती लेकिन ये डॉक्टर वैष्णोदेवी चले गए) क्योंकि मेरे जैसा केस उन्होंने पहले कभी नहीं देखा, जिस पर किसी गोली या सुई का असर ही नहीं हो रहा हो। ऑपेरशन होने के बाद भी मेरी हालत वहीं थी जो पहले थी। तब संत रामपाल जी महाराज जी ने मेरे बिना बताए वो सारी समस्याएं कुछ ही दिनों में खत्म कर दीं। तब मुझे विश्वास हुआ कि संत रामपाल जी तो पूर्ण परमात्मा हैं।

संत रामपाल जी महाराज हमारे पवित्र शास्त्रों से पूरे प्रमाण देते हैं कि ब्रह्मा, विष्णु, शिव कौन हैं? कौन-से भक्ति मन्त्र सत्य हैं? हमने बस वही जाप किये थे और हमारे सारे रोग खत्म हो गए जबकि अन्य किसी गुरु के पास ऐसा ज्ञान नहीं है, कोई ब्रह्मा, विष्णु, शिव की उत्पति तक नहीं जानता और न ही उनके मन्त्र। इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि संत रामपाल जी महाराज जी ही सच्चे संत हैं जो मोक्ष प्रदान कर सकते हैं। गुरुजी ऐसे मन्त्र देते हैं जिनका जाप करने पर परमात्मा हमारे सारे पाप काट देते हैं और हमें लाभ मिलता है।

समाज को संदेश

सभी जगत के भाई-बहनों को यही कहना चाहती हूँ कि आप जैसे हर चीज ट्राई करके देखते हो वैसे ही संत रामपाल जी महाराज को भी ट्राई करिए, उनकी पुस्तक ज्ञान गंगा पढ़िए, उसमें जो सच्चाई है वह देखिए। शास्त्रों में लिखा है कि

"कलयुग केवल नाम अधारा, सुमर-सुमर नर उतरहिं पारा।"

जब हमारे शास्त्रों में लिखा है कि कलयुग में भक्ति इतनी आसान होगी कि नाम सुमरन से ही मनुष्य पार हो जाएगा तो फिर ये इतने मंदिर क्यों बने हैं, क्यों लोग वहाँ जा रहे हैं? पंडित लोग बोलते हैं कि हम बहुत खुशनसीब हैं कि हमें मनुष्य जन्म मिला है, देवता लोग भी इसके लिए तरसते हैं तो हम मन्दिरों, बद्रीनाथ, केदारनाथ में क्यों जा रहे हैं? 

संत रामपाल जी कहते हैं कि 

"जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।

हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।"

संत जी सभी धर्मों के शास्त्रों के आधार पर ज्ञान देते हैं और मोक्ष मार्ग बताते हैं तो सभी धर्मों के लोगों को उनकी शरण ग्रहण करके वो जैसे बताएं वैसे भक्ति करके मोक्ष प्राप्त करने की सोचना चाहिए।

सारांश

"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" प्रोग्राम में बताया गया कि "संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद लोगों को लाभ हो रहे हैं" पूर्णतः सत्य हैं। जिसका आप चाहें तो निरीक्षण भी कर सकते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ों अनुयायी हैं और ऐसे लाखों उदाहरण हैं जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद बहुत सारे लाभ मिले हैं। 

संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति से कैंसर, एड्स व अन्य लाइलाज बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथ ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, 5, सूक्त 162 मंत्र 5 और सूक्त 163 मंत्र 1-3 में प्रमाण है कि हर बीमारी का इलाज सतभक्ति से ही संभव है, साथ ही वह परमात्मा अपने साधक की अकाल मृत्यु तक टाल सकता है और उसे 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है तथा उस परमात्मा की सतभक्ति से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान पवित्र वेद, पवित्र शास्त्रों के अनुसार है और पवित्र गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में जिस तत्वदर्शी संत के बारे में जिक्र आया है वह तत्वदर्शी संत कोई ओर नहीं संत रामपाल जी महाराज ही हैं। तो देर ना करते हुए आप भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझे और उनसे नाम दीक्षा लेकर मोक्ष मार्ग प्राप्त करें और 84 लाख योनियों के जन्म मरण से छुटकारा पाएं।

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