नेहा (Neha) जी की आपबीती, संत रामपाल जी से नाम उपदेश लेने से जीवन हुआ सुखी

संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा नाम जो आध्यात्मिक जगत के सच्चे संत हैं और सबसे बड़ी बात समाज सुधार के लिए प्रयत्नशील समाज सुधारक (Social reformer) हैं। संत रामपाल जी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। साथ ही, उनका ज्ञान अद्वितीय है और सबसे बड़ी बात यह है कि वे सभी पवित्र धर्मग्रंथों के अनुसार सही भक्ति विधि बताते हैं।

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सतभक्ति से लाभ प्रोग्राम द्वारा समाज के ऐसे लोगों को सामने लाया गया जो न जाने कितनी समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सद्भक्ति से उनकी सभी समस्याएं खत्म हो गईं और उन्हें एक नई ज़िंदगी मिली जो आज लाखों लोगों के लिए उदाहरण हैं। तो आज हम आपको एक ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी से परिचित करवाएंगे जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ बल्कि शारीरिक और आर्थिक लाभ भी मिला।

"सतभक्ति से लाभ-Benefits of True Worship" की थीम इस प्रकार है


  • नेहा (Neha) जी की आपबीती
  • संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
  • नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी में आये बदलाव
  • नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
  • मेरा समाज को संदेश
  • सारांश


नेहा (Neha) की आप बीती

मेरा नाम नेहा (Neha) है और मैं रोहिणी, दिल्ली की रहने वाली हूँ। पहले मैं देवी-देवताओं की पूजा करती थी, जिसका मुझे पता ही नहीं था कि इनकी पूजा क्यों और किसलिए करनी चाहिए? मैं शिव भगवान की पूजा ज्यादा करती थी। मैं शिवजी के लिए व्रत करती थी और उनसे कुछ भी मांगती थी तो वो अगले ही दिन पूरा हो जाता था। फिर ये बात मैंने अपनी मम्मी को बताई तो अगले ही दिन से मैं कुछ भी मांगती थी तो वो पूरा ही नहीं होता था तब मैंने सोचा कि भगवान ऐसा थोड़े ही होता है कि मनोकामना किसी को बता देने से वो मनोकामना ही नहीं सुनता।

मेरे दिमाग में बहुत सारे प्रश्न उठते थे, जैसे जब लड़कियों के मुश्किल दिन आते हैं तो वो मंदिर में नहीं जा सकतीं और न ही भगवान के आसपास जा सकतीं जबकि ये सब प्राकृतिक है। हमारी खुद की एक इलेक्ट्रॉनिक की दुकान थी और हमारे पडो़स में एक ऑन्टी रहती थी जो राधास्वामी डेरे से जुड़ी हुई थी। वो हमें अपनी पुस्तक पढ़ने की सलाह देती थी। मेरे पापा जब उस पुस्तक को पढ़ते तो अगले दिन दुकान में कुछ न कुछ नुकसान हो जाता था तो मेरे पापा वो पुस्तक थोड़ा-सी पढ़कर वापस कर देते थे कि इस पुस्तक को पढ़ने से हमें हानि होती है। हमारी आर्थिक स्थिति खराब थी। हालांकि हम लाखों रुपये महीने में कमाते थे लेकिन पता ही नहीं चलता था कि वो पैसे गए कहाँ? क्योंकि हमारे ही चाचा-ताऊ ने मेरे पापा पर काली तांत्रिक विद्या (जींद-प्रेत) करवा रखी थी। मेरे पापा गुटखा भी खाते थे


संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा

संत रामपाल जी महाराज जी से मैंने नामदीक्षा अप्रैल 2013 में ली थी। हुआ यूं कि एक दिन हमारी दुकान पर एक संत रामपाल जी महाराज का शिष्य आया और पापा को बोला कि आप ये पुस्तक ले लो जो संत रामपाल जी की लिखी पुस्तक थी तो पापा ने मना कर दिया कि सब गुरु एक जैसे ही होते हैं, हमें नहीं लेनी पुस्तक। लेकिन वो बोले कि आप इस पुस्तक को ले लो तो फिर पापा ने पुस्तक ले ली।

उस पुस्तक को उन्होंने पढा़ और 2-3 दिन में ही बोले कि मुझे बरवाला जाना है और नामदीक्षा लेकर आना है तो मेरी मम्मी बोली कि मैं भी चलूंगी। तब दोनों बरवाला संत रामपाल जी के आश्रम में फरवरी 2013 में गए और नामदीक्षा लेकर आ गए। फिर 2 महीने बाद मुझे बोला कि तुम भी चलो वहाँ, उस समय मैंने 12वीं की परीक्षा दी थी और खाली समय था तो मैं भी बरवाला चली गयी। वहाँ मुझे लगा कि पता नहीं हम किसी संयुक्त परिवार में आ गए हैं और मैंने अप्रैल 2013 में नामदीक्षा ले ली

नाम दीक्षा लेने के बाद जिंदगी में आए बदलाव

मैं मानसिक तनाव से ग्रस्त थी। मेरे मम्मी-पापा रूढ़िवादी सोच के थे और लड़का-लड़की को बराबर नहीं मानते थे। संत रामपाल जी से नाम लेने के बाद उनकी सोच में बदलाव आया और मुझे भी मानसिक तनाव से मुक्ति मिल गयी। मेरे पिताजी पर भूत-प्रेत का साया रहता था, वो जब भी पूजा करते थे तो उन पर भूत खेलते थे, वो एक पैर पर खड़े होकर नाचते थे। नवरात्रों के समय वो अपना खून चढ़ाया करते थे मूर्ति पर, लेकिन संत रामपाल जी महाराज जी से दीक्षा लेने के बाद मेरे पिताजी की भूत-प्रेत की बाधा समाप्त हो गई और नशे की लत भी छूट गयी। मेरे पिताजी को कैंसर का रोग था। कैंसर का रोग हो जाने पर लगातार दवाई लेने के बावजूद भी कभी भी मृत्यु हो सकती है। लेकिन संत रामपाल जी महाराज जी से दीक्षा लेने के बाद मेरे पिताजी ने दवाई लेना बंद कर दिया और बोले कि अब मैं दवाई नहीं लूंगा।

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उन्होंने पहले किसी को बताया भी नहीं था कि उन्हें कैंसर भी है क्योंकि उन्हें पता था कि यदि मैं अभी बता दूंगा तो घर की आर्थिक स्थिति तो वैसे ही खराब है, फिर मानसिक स्थिति भी खराब हो जाएगी। वो मम्मी को कभी-कभी बोलते थे कि मैं कुछ दिनों का मेहमान ओर हूँ। जब संत रामपाल जी से दीक्षा ले ली थी उसके बाद 1 महीने में जब कैंसर से राहत मिली तो उन्होंने मम्मी को बताया कि मुझे कैंसर था और कैंसर की गांठे थीं जो अब ठीक हो चुकी हैं। मुझे भी 2 साल पहले हल्का-फुल्का टाइफाइड था। जो दवाई लेने से बहुत हद तक खत्म हो गया था लेकिन कुछ लक्षण शेष बचे थे जिसने 3 महीने पहले वापस टाइफायड का रूप ले गया और मुझे बहुत तेज बुखार हो गया। मैंने टेस्ट करवाया तब टाइफायड 320 था। मैं एक दिन फिर गुरुजी के दरबार में रोने लगी कि परमात्मा आपके अलावा इस दुनिया में कोई डॉक्टर ही नहीं है

नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव

संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा के बाद जो अनुभव था वह पहले से बहुत अलग था। सबसे पहले भूत-प्रेत का साया हमारे परिवार पर था लेकिन कोई तांत्रिक, झाड़-फूंक करने वाला या कोई देवी-देवता दूर नहीं कर पाया। जबकि वो काम संत रामपाल जी महाराज ने पलभर में कर दिया। हमारी आर्थिक स्थिति उनसे नामदीक्षा लेने के बाद बिल्कुल ठीक हो गयी और कैंसर जैसा रोग जो मेरे पिताजी को था वो समाप्त हो गया। यह काम सिर्फ परमात्मा ही कर सकते हैं और संत रामपाल जी महाराज ही परमात्मा हैं जो सभी शास्त्रों के अनुसार एक-एक पवित्र पुस्तक में दिखा-दिखाकर प्रमाण देते हैं कौन परमात्मा है और क्या उनकी भक्ति विधि है? 

संत रामपाल जी महाराज इस समय जेल में हैं लेकिन दूसरी तरफ उनका प्रचार पहले से भी बहुत ज्यादा हो रहा है। लोगों को सोचना चाहिए आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। किसी कवि ने कहा है कि

"अगर इस समय कबीर साहेब होते तो वो किसी जेल में सड़ रहे होते।"

ऐसे ही आज संत रामपाल जी महाराज जी के साथ हो रहा है जो कि कबीर साहेब जी की ही भक्ति प्रदान कर रहे हैं। नकली गुरुओं ने हमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्म में बांट दिया है जबकि परमात्मा एक ही है। सभी यही कहते हैं कि परमात्मा एक ही है तो हम सब अलग-अलग तरीकों से क्यों भक्ति करते हैं? उनका नाम कोई क्यों नहीं बताता? संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद आज मुझे सब ज्ञान हो गया‌ कौन है सबका मालिक? कैसे भक्ति करनी चाहिए? 


सारांश

मैं सभी से यही कहना चाहती हूँ कि आप संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान पढ़ो और समझो क्योंकि जब तक आप ज्ञान ही नहीं पढो़गे तो आपको पता कैसे चलेगा कि ये जो धर्म गुरु बोल रहे हैं वो सच है या झूठ है। इसलिए मैं कहना चाहती हूँ कि संत रामपाल जी का ज्ञान सुनकर नामदीक्षा लो। संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेने के लिए चैनल पर सत्संग के दौरान नीचे एक पीली पट्टी चलती है, जिस पर कॉन्टेक्ट नम्बर आते हैं, उन पर कॉल करके आप जान सकते हो कि आपके आसपास नामदान सेंटर कहाँ है और वहाँ जाकर नाम ले सकते हो।

 

"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" प्रोग्राम में बताया गया कि "संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद लोगों को लाभ हो रहे हैं" पूर्णतः सत्य हैं। जिसका आप चाहें तो निरीक्षण भी कर सकते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ों अनुयायी हैं और ऐसे लाखों उदाहरण हैं जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद बहुत सारे लाभ मिले हैं। 

संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति से कैंसर, एड्स व अन्य लाइलाज बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथ ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, 5, सूक्त 162 मंत्र 5 और सूक्त 163 मंत्र 1-3 में प्रमाण है कि हर बीमारी का इलाज सतभक्ति से ही संभव है, साथ ही वह परमात्मा अपने साधक की अकाल मृत्यु तक टाल सकता है और उसे 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है तथा उस परमात्मा की सतभक्ति से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान पवित्र वेद, पवित्र शास्त्रों के अनुसार है और पवित्र गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में जिस तत्वदर्शी संत के बारे में जिक्र आया है वह तत्वदर्शी संत कोई ओर नहीं संत रामपाल जी महाराज ही हैं। तो देर ना करते हुए आप भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझे और उनसे नाम दीक्षा लेकर मोक्ष मार्ग प्राप्त करें और 84 लाख योनियों के जन्म मरण से छुटकारा पाएं।

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