चरण दास (Charan das) जी की आपबीती, संत रामपाल जी से नाम उपदेश लेने से जीवन हुआ सुखी

संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा नाम जो आध्यात्मिक जगत के सच्चे संत हैं और सबसे बड़ी बात समाज सुधार के लिए प्रयत्नशील समाज सुधारक (Social reformer) हैं। संत रामपाल जी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। साथ ही, उनका ज्ञान अद्वितीय है और सबसे बड़ी बात यह है कि वे सभी पवित्र धर्मग्रंथों के अनुसार सही भक्ति विधि बताते हैं।
सतभक्ति से लाभ प्रोग्राम द्वारा समाज के ऐसे लोगों को सामने लाया गया जो न जाने कितनी समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सद्भक्ति से उनकी सभी समस्याएं खत्म हो गईं और उन्हें एक नई ज़िंदगी मिली जो आज लाखों लोगों के लिए उदाहरण हैं। तो आज हम आपको एक ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी से परिचित करवाएंगे जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ बल्कि शारीरिक और आर्थिक लाभ भी मिला।


"सतभक्ति से लाभ" की थीम इस प्रकार है


  • चरण दास (Charan das) जी की आपबीती
  • संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
  • नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी में आये बदलाव
  • नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
  • मेरा समाज को संदेश
  • सारांश


चरण दास (Charan das) की आप बीती

मेरा नाम सहदेव शाशुक उर्फ चरण दास (Charan das) है। मैं फ़ौज का सेवानिवृत्त सूबेदार हूँ। मैं शिवशक्ति धाम, हँसकुटी, लखनऊ (उत्तरप्रदेश) का रहने वाला हूँ। पहले में हंसजी महाराज की साधना करता था, सतपाल जी महाराज का मैं शिष्य था। फ़ौज से सेवानिवृत्त होने के बाद सन् 1993 में मैंने हंस ज्ञान, प्रयाग में ग्रहण किया था। सतपाल जी महाराज जी से मैंने हंस ज्ञान की दीक्षा ग्रहण की थी। उन्होंने पहले दीक्षा हंस प्रकाश दर्शन, दूसरी अनहद और तीसरी दीक्षा खेंचरी मुद्रा की दी थी, मन्त्र था "हंसो-हंसो" और यही बाद में सीधा हो जाता था और सोहम् बन जाता था। उदाहरण देकर बताते थे कि "उल्टा ज्ञान जपा जब ज्ञाना, बाल्मीक भय ब्रह्म समाना।" यह साधना मैंने 17 वर्षों तक की लेकिन मुझे न तो आध्यात्मिक शांति मिली और न ही कोई लाभ हुआ। मैं माँ का पुजारी भी था, भक्ति करते हुए भी मैं नशा करता था और मेरी शारीरिक स्थिति भी ठीक नहीं थी।

संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा

मैंने संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा 1 फरवरी 2010 को ली। नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा पुस्तक "भक्ति सौदागर को सन्देश" (वर्तमान नाम "ज्ञान गंगा" पुस्तक) को पढ़कर हुई। हुआ यूं कि संस्कृत की पुस्तक श्री देवी भागवत पुराण को प्राप्त करने के लिए मैं माघ मेले में गया। वहाँ मुझे भक्ति सौदागर को सन्देश नामक पुस्तक मिली। मैंने वह पुस्तक पढ़ी तो समझ गया कि असली परमात्मा तो यहाँ मिलेगा तो मैं उस पुस्तक को पढ़कर करौंथा चला गया, फिर वहाँ से बरवाला जाकर संत रामपाल जी से दीक्षा ली।

नाम दीक्षा लेने के बाद जिंदगी में आए बदलाव

सबसे बड़ा लाभ तो मुझे ये हुआ कि संत रामपाल जी ने सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान देकर मुझे पुनर्जन्म दिया। मेरे हृदय का ऑपेरशन था, मेरा X-Ray, मेरी ECG में लिख दिया कि सेंटर लाइन 90%, बाई वाली 80% और दाई लाइन 75% ब्लॉक है और बोला कि ये मर जायेगा। उसी समय कर्नल हुसैन साहब ने मुझे ऑपरेशन के लिए रेफर कर दिया। मैंने उसी समय परमात्मा के दर्शन किये और उसी रात मैंने 3 चिट्टियां लिखीं, 1 कर्नल साहब के लिए, एक हृदय के उस डॉक्टर को और एक आर्मी मुख्यालय को कि मैं ऑपरेशन कराने नहीं आऊंगा।

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यह परमात्मा की ही दया है कि ऑपरेशन न कराने के बावजूद भी अब तक मैं जिंदा हूँ, नहीं तो अब तक मुझे मर जाना था। जब भी कोई छोटी-सी भी समस्या होती है तो परमात्मा को याद करते ही संत रामपाल जी सामने खड़े दिखाई देते हैं और वह समस्या पल भर में समाप्त हो जाती है। जब मैं हंसादेश वाले पंथ से जुड़ा था तब तम्बाखू का सेवन करता था लेकिन जैसे ही संत रामपाल जी की शरण ग्रहण की, नशा एकदम छूट गया। संत रामपाल जी की शरण में आने के बाद बच्चे की शादी में एक भी पैसा दहेज में नहीं लिया जबकि मेरे समधी उत्तरप्रदेश के DIG मगन पांडेय हैं

नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव

संत रामपाल जी महाराज जी मनुष्य नहीं हैं बल्कि परमात्मा हैं जिसके ऊपर मेहर कर दें। मेहर तभी होगी जब परमात्मा पर आप एकदम आश्रित हो जाओगे। जो जिस भाव से भक्ति करता है वो वैसा ही फल पाता है। मैंने हंसादेश की साधना इसलिए छोड़ी क्योंकि वो शास्त्र विरुद्ध साधना है, मुझे 17 साल में कोई फायदा नहीं हुआ लेकिन जैसे ही संत रामपाल जी की शरण में आया, मन में शान्ति हो गयी है। जिस प्रकार फ्री की व्यवस्था संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रम में है वैसी व्यवस्था भारत में और कहीं किसी भी आश्रम में नहीं है जो मैंने 3 साल घूम-घूमकर देखा है। यहाँ जैसी सेवा, सत्कार और कहीं नहीं।

अन्य आश्रमों में तो जो जैसे पैसे देता है, जैसा दान करता है उसकी वैसे ही सेवा होती है जबकि यहाँ सबकी बराबर और निःशुल्क सेवा होती है। आश्रम में संत जी बताते हैं कि किसी से दहेज नहीं लेना और न ही देना, ठगी नहीं करना, नशा नहीं करना, जुआ नहीं खेलना, किसी को पैसा नहीं देना नहीं तो शराबी, शराब पीकर अपनी पत्नी को मार डालेगा, चोरी-जारी नहीं करना, पराई स्त्रियों को आयु अनुसार माता-बहन-बेटी मानना। 

इस सदाचार पद्धति से पूरा देश सुधर रहा है। जो संत रामपाल जी महाराज ने समाज सुधार का बीड़ा उठाया है वो परमात्मा कबीर साहेब ने उठाया था और बाकी के जो संत महंत हैं, वो सब पैसा कमाने के लिए सब ढोंग करते हैं। जो इंसान वेदों, पुराणों से जो संत जी ने प्रमाण दिए हैं वो देखेगा वो उसी समय संत जी की शरण में चला जायेगा।


समाज को संदेश

मैं समाज को और विशेषकर मैं हंसादेश के शिष्यों को यही कहना चाहता हूँ कि आप अपना जीवन व्यर्थ मत करो। संत रामपाल जी वेदों, गीता, कुरान, बाईबल का ज्ञान बता रहे हैं, उस ज्ञान को जो अनदेखा कर रहा है वो इंसान नहीं है। सबकुछ वेदों में लिखा होने के बावजूद भी लोग राम-कृष्ण को मान रहे हैं तो वो अज्ञानी हैं।

परमात्मा कहते है:- 

"जानबूझ साची तजै, करे झूठ ते नेह।

ताकि संगत हे प्रभु, स्वप्न में भी ना देह।।"

इसलिए मैं हंसादेश वाले भक्तों से प्रार्थना करता हूँ कि आप शास्त्र विरुद्ध साधना छोड़कर संत रामपाल जी की शरण में आओ और अपना कल्याण कराओ। इसी ज्ञान से मुक्ति है और संसार में कहीं मुक्ति नहीं हो सकती। गुरुजी को परमात्मा मानकर भक्ति करो। जिसने मनुष्य मानकर भक्ति की तो उसको फल विशेष नहीं मिलेगा।

सारांश


"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" प्रोग्राम में बताया गया कि "संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद लोगों को लाभ हो रहे हैं" पूर्णतः सत्य हैं। जिसका आप चाहें तो निरीक्षण भी कर सकते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ों अनुयायी हैं और ऐसे लाखों उदाहरण हैं जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद बहुत सारे लाभ मिले हैं। 

संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति से कैंसर, एड्स व अन्य लाइलाज बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथ ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, 5, सूक्त 162 मंत्र 5 और सूक्त 163 मंत्र 1-3 में प्रमाण है कि हर बीमारी का इलाज सतभक्ति से ही संभव है, साथ ही वह परमात्मा अपने साधक की अकाल मृत्यु तक टाल सकता है और उसे 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है तथा उस परमात्मा की सतभक्ति से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान पवित्र वेद, पवित्र शास्त्रों के अनुसार है और पवित्र गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में जिस तत्वदर्शी संत के बारे में जिक्र आया है वह तत्वदर्शी संत कोई ओर नहीं संत रामपाल जी महाराज ही हैं। तो देर ना करते हुए आप भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझे और उनसे नाम दीक्षा लेकर मोक्ष मार्ग प्राप्त करें और 84 लाख योनियों के जन्म मरण से छुटकारा पाएं।

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