पूरन दास (Puran Das) जी की आपबीती, संत रामपाल जी से नाम उपदेश लेने से जीवन हुआ सुखी

संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा नाम जो आध्यात्मिक जगत के सच्चे संत हैं और सबसे बड़ी बात समाज सुधार के लिए प्रयत्नशील समाज सुधारक (Social reformer) हैं। संत रामपाल जी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। साथ ही, उनका ज्ञान अद्वितीय है और सबसे बड़ी बात यह है कि वे सभी पवित्र धर्मग्रंथों के अनुसार सही भक्ति विधि बताते हैं।



सतभक्ति से लाभ प्रोग्राम द्वारा समाज के ऐसे लोगों को सामने लाया गया जो न जाने कितनी समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सद्भक्ति से उनकी सभी समस्याएं खत्म हो गईं और उन्हें एक नई ज़िंदगी मिली जो आज लाखों लोगों के लिए उदाहरण हैं। तो आज हम आपको एक ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी से परिचित करवाएंगे जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ बल्कि शारीरिक और आर्थिक लाभ भी मिला।

"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" की थीम इस प्रकार है:-


  • पूरन दास (Puran Das) जी की आपबीती
  • संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
  • नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी में आये बदलाव
  • नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
  • मेरा समाज को संदेश
  • सारांश

पूरण दास (Puran Das) की आप बीती

मेरा नाम पूरन दास (Puran Das) है। मैं गांव - झिलोला, तहसील - आमेर, जिला - राजसमंद, राजस्थान का रहने वाला हूँ। मैं मार्बल फ्लोरिंग का काम करता हूँ। मैं हिन्दू धर्म मे प्रचलित सभी देवी-देवताओं की भक्ति करता था लेकिन इनकी भक्ति से मुझे कोई लाभ नहीं मिला। मैं बहुत ज्यादा नशा करता था। फिर मुझे किसी ने बताया कि रामदेव जी की समाधि पर जाने से सभी बुराइयां छूट जाती हैं। फिर मैं रामदेव जी के समाधि स्थल पर गया तो मैं 2 बार साइकिल से और 1 बार बाइक से भी गया था।

इस नशे की वजह से जब मुझे खांसी होती थी तो खून आता था और खून की उल्टियां होती थीं। मैं रामदेवरा जाता था और जब वापस घर आता तो वैसे ही वापस नशे की लत शुरू हो जाती थी। मैं बहुत कोशिश करता था कि यह नशा छूट जाए और मुझे यह भी पता था कि यह मेरे लिये हानिकारक है। लेकिन चाहते हुए भी मैं नशा नहीं छोड़ पा रहा था। स्थिति बहुत ज्यादा ख़राब होती गयी।


संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा

संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा सत्संग सुनकर हुई। फिर ज्ञान समझने के बाद मैंने संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली थी। हुआ यूं कि मेरे पास एक संत रामपाल जी महाराज का शिष्य मार्बल का काम करने के लिए आया था, मुझे सहायक की आवश्यकता थी तो मैंने उसे काम पर रख लिया। वो मेरा पड़ोसी ही था और पहले मेरी तरह वो भी बहुत ज्यादा नशा करता था। लेकिन अब जब मैं काम करते समय नशा करता या बीड़ी पीता था तो वो टोकता था कि भाईसाहब नशा क्यों करते हो, ये गलत चीजें हैं। तब मैंने उससे पूछा कि भाई आप भी तो नशा करते थे, आपने कैसे छोड़ दिया नशा? तो उन्होंने बोला कि मेरे गुरुजी संत रामपाल जी महाराज जी हैं, उनके यहाँ जाने से नशे की लत छूट जाती है।

फिर मैंने बोला कि मुझे भी ये चीजें छोड़नी हैं तो आप मुझे भी वहीं ले चलो। उन्होंने बोला कि पहले उनके कुछ नियम हैं वो मानने होंगे फिर नशा छूटेगा और 2 दिन बाद हम वहां जाएंगे। तो मैंने बोला उनका कुछ ज्ञान मुझे समझा दो ताकि कुछ समझकर मैं वहाँ जाऊँ। फिर मैं सत्संग सुनने लगा जिसका पता मेरे घर वालों को चला तो उन्होंने मुझे ये सब बंद करने के लिए बोला और मेरी पत्नी को भी बोला कि अगर ये संत जी के यहाँ जाता है तो तू मत जाना। लेकिन मेरी पत्नी ने हमेशा मेरा साथ दिया और फिर हम दोनों ने संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझा और फिर आश्रम में जाकर नाम दीक्षा ले ली।

नाम दीक्षा लेने के बाद जिंदगी में आए बदलाव

मैं नशे की लत से बहुत परेशान था। नशे के कारण मुझे लगता था कि मेरी जिंदगी अब 1 साल की भी नहीं रहेगी क्योंकि खांसी और उल्टियों में खून आता था। मैं जब संत रामपाल जी के यहाँ जा रहा था तब भी भक्तों से छिप- छिपकर नशा कर रहा था। हिसार पहुँचने पर भी जब मैं सिगरेट पीने लगा तो एक फूंक लेने पर मुझे ऐसे लगा कि किसी ने मेरा गला पकड़ लिया हो। तब मुझे विश्वास हो गया कि संत रामपाल जी कोई बहुत बड़ी शक्ति हैं जो 30 km पहले से ही मेरी नशे की लत को छुड़वा रहे हैं। मैंने वहीं सिगरेट का पैकेट गिरा दिया और तब से अब तक कभी नशा नहीं किया।

मेरी दाढ़ में बहुत दर्द रहता था, गुटखा (पान मसाला) खाने के कारण दांतो में कीड़े पड़ चुके थे। मैं पाली जिले से दाढ़ निकलवाने के लिए 4 दिन का सत्संग सुनकर और गुरुजी को प्रणाम करके चल पड़ा। मैं पाली में अपने दोस्त के घर शाम को पहुँचा। मेरी दाढ़ के पास जब पानी भी चला जाता था तो मुझे बहुत ज्यादा दर्द होता था, दोस्त ने मक्के की रोटी खाने में परोसी। जब मैं खाना खाने लगा तो गलती से एक निवाला मेरी उस सड़ी हुई दाढ़ की तरफ चला गया लेकिन उस समय मुझे बिल्कुल भी दर्द नहीं हुआ। मैंने सोचा कि जब उस तरफ पानी भी चला जाता था तो मैं दर्द के मारे उठ खड़ा होता था लेकिन अब खाने का निवाला चला गया फिर भी कुछ नहीं हुआ।

तब मैंने दूसरा निवाला वहीं लिया लेकिन फिर भी दर्द नहीं हुआ तो मैंने सोच लिया कि अब दाढ़ नहीं निकलवाएंगे, यह तो बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने ठीक कर दी है। सबसे बड़ा बदलाव तो यही था कि संत रामपाल जी महाराज जी की शरण ने जाने से मेरा नशा बिल्कुल छूट गया।

बन्दीछोड़ की दया से आज तक उस दाढ़ में कोई तकलीफ नहीं हुई है। मेरे घर वालों ने मुझे घर से बाहर निकाल दिया था क्योंकि हमने संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ले ली थी। मैंने और मेरी भक्तमति ने किराए के कमरे में सर्दी के समय में मुश्किल से रात बिताई। मेरी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, न मेरे पास रहने को कुछ था न ही खाने को, लेकिन धीरे-धीरे 3-4 महीनों में परमात्मा ने मेरे ऊपर ऐसी रजा की जिसके बारे में, मैं सोच भी नहीं सकता। 20 हजार का पलंग, नई गाड़ी जबकि मैं छोटा-सा मार्बल की फ्लोरिंग का धंधा करता था।

जब मैं दुविधा में फंसता था तो परमात्मा को याद करते ही 5-10 मिनट में ही दुविधा का हल हो जाता था। मैं सोचता था कि परमात्मा संत रामपाल जी महाराज जी हैं जो हम नीचों के पीछे-पीछे घूम रहे हैं। मेरे ऊपर 5-6 लाख रुपये का कर्ज था लेकिन देखते ही देखते ही पता नहीं कब वो हिसाब बराबर हो गया, परमात्मा की दया से।

 

संत रामपाल जी की शरण लेने के बाद मेरी भक्तमति जी का पेट दर्द होने लगा जो बच्चे के नौ महीने पूरे होने पर डिलीवरी के समय होता है। हम उसे अस्पताल लेकर गए तो डॉक्टर्स ने कहा कि आप इन्हें उदयपुर लेकर जाइये और आपका बच्चा खारिज (मृत) हो चुका है। तो हमने उनकी बात नहीं मानी और घर चले गए। घर जाकर गुरुजी से प्रार्थना लगाई कि गुरुजी इनका ऑपरेशन करवायें या ऐसे ही डिलीवरी होने दें तो गुरुजी ने बोला कि इनका ऑपरेशन नहीं करवाना है, बच्चा हो जाएगा।

फिर एक दिन बाद भक्तमति जी के पेट में वापस दर्द हुआ तो हम उसी अस्पताल में फिर गए तो उस डॉक्टर ने कहा कि वो बच्चा तो कल ही मर चुका था पेट में ही और ये महिला अब तक जिंदा कैसे है? अब तक तो जहर चढ़ जाना था और इनकी भी मृत्यु हो जानी थी।

दोपहर 3 बजे से 6 बजे तक मैं उसी अस्पताल में रहा किसी ने हाथ भी नहीं लगाया, सभी मना कर रहे थे। फिर 6:30 बजे शाम को बन्दीछोड़ की दया से बच्चा अपने आप ही गर्भ से आधा बाहर आ गया फिर डॉक्टर ने उस बच्चे की पूरी डिलीवरी की और बच्चे को मृत घोषित कर दिया और उसे कूड़े के पास रख दिया। जब बच्चा निकाला जा रहा था तब मेरी भक्तमति जी बहुत घबराई हुई थीं लेकिन उसी समय उन्हें गुरुजी दिखाई दिए और उनको बोला कि आप घबराओ मत मैं यहाँ आ गया हूं।

फिर मैं जब पास गया और हालचाल पूछा तो बोलीं कि मैं ठीक हूँ और गुरुजी आये थे यहाँ। तो मैं बोला अच्छी बात है। मैं बाहर आकर सुमरन करने लगा और सोचा कि परमात्मा कहते है कि मैं दृढ़ भक्त की उम्र 100 साल भी बढ़ा देता हूँ। तब मैंने सोचा कि यह अपना कोई पिछला कर्म होगा जो बच्चा पहले ही मर गया लेकिन तभी कूड़े के पास पड़े हुए बच्चे के रोने की आवाज आई। वह बच्चा केवल 900 ग्राम का था जबकि सामान्य बच्चे जन्म के समय कम-से-कम 2 किलो के होते हैं। डॉक्टर ने कहा कि आप बहुत ज्यादा लकी हो कि ये बच्चा जिंदा हो गया तब मुझे विश्वास हो गया कि संत रामपाल जी तो पूर्ण परमात्मा हैं, हमने मालिक को प्रणाम किया और शुक्र गुजार किया। 

गुरुजी ने फ़ोन पर ही बच्चे का नामकरण किया था, प्रवेश दास नाम रखा था। 18 दिन के बाद हम बच्चे को लेकर आश्रम गए क्योंकि उसके बचने की कम ही उम्मीद थी। जब हम आश्रम में लाइन में लगे तो गुरुजी सबको आशीर्वाद देकर हंसते हुए आये और बच्चे को लेकर बोले कैसा है प्रवेश दास। तब से मेरे बच्चे को कोई दिक्कत नहीं हुई और वो बिल्कुल स्वस्थ है। पूर्ण परमात्मा के अवतार संत रामपाल जी महाराज ने खूब दया कर रखी है। आज किसी भी चीज़ की कमी नहीं है, सब बातों की मौज कर रखी है भगवान ने। संत रामपाल जी महाराज की दया से आज हम एक खुशहाल जीवन जी रहे हैं।


नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव

मैं देश भर के कई संतों के पास जाकर आया था, खूब पैसे लुटाये थे लेकिन मुझे कोई फायदा नहीं हुआ। जब मैंने संत रामपाल जी महाराज जी से दीक्षा ली तो मुझे एक भी पैसा नहीं देना पड़ा। वहाँ आश्रम में रहने-खाने का सब कुछ फ्री था। एक भी पैसा किसी भी व्यवस्था का नहीं देना पड़ता है। यह एक बहुत बड़ा फर्क है जो संत रामपाल जी और अन्य संतों में दिखाई देता है। संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने के बाद मुझे पता चला कि इन सभी देवी देवताओं की साधना कैसे करते हैं और कैसे ये देवी देवता हमें लाभ प्रदान करेंगे। संत रामपाल जी ने ही देवी-देवताओं के सही भक्ति मन्त्र दिए हैं जो मोक्ष में सहायक हैं।

समाज को संदेश

समाज को मैं यही संदेश देना चाहता हूँ कि बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज कोई आम इंसान नहीं हैं, ये पूर्ण परमात्मा हैं। ये सतलोक से चलकर हमें यहां से पार करने के लिए आये हैं। हम जब मां के पेट में 9 महीने तक रहते हैं तब हम बोलते हैं कि भगवान हम आपकी बहुत भक्ति करेंगे हमें यहाँ से निकालो और जब बाहर आ जाते हैं तो भूल जाते हैं। कबीर परमात्मा ने अपनी वाणी में कहा है कि:-

उस समरथ की रीझ छुपाई, अब कुल कुटुंब ते नाता। 

गर्भ के अंदर वचन भरे थे, कहाँ गईं वो बातां।।

आप संत रामपाल जी महाराज जी की शरण ग्रहण कीजिए और साधना चैनल पर शाम 7:30 बजे सत्संग आता है वो जरूर देखें। जब तक आप सत्संग नहीं देखेंगे तब तक आपको पता नहीं चलेगा कि संत रामपाल जी कौन हैं? जो नकली गुरु हैं वो आपको मना करेंगे संत रामपाल जी से दीक्षा लेने से लेकिन आप साधना चैनल पर सत्संग जरूर देखें क्योंकि गुरुजी शास्त्रों को दिखा-दिखाकर ज्ञान देते हैं।

एक-एक प्रमाण देंगे और 10-10 जगह से उसे सिद्ध करेंगे। नकली संतों की दुकानें बंद हो रही हैं इसलिए वो आपको मना करेंगे। संत रामपाल जी पूर्ण परमात्मा हैं और वो 16 शंख कोस की दूरी से चलकर आये हैं और अगर ये मौका चूक गए तो फिर बाद में पछताने के अलावा आपके पास कुछ नहीं रहेगा। उनकी शरण में चले गए तो पार हो जाओगे नहीं तो 84 लाख योनियों के चक्र में पड़े रहोगे। एक दिन आपको मरना ही मरना है। आप माया चाहे कितनी भी जोड़ लेना, कोठी-बंगले कितने भी बना लेना ये किसी के न तो साथ में आई है और ना ही आने वाली है। इसलिए संत रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाओ।


सारांश

"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" प्रोग्राम में बताया गया कि "संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद लोगों को लाभ हो रहे हैं" पूर्णतः सत्य हैं। जिसका आप चाहें तो निरीक्षण भी कर सकते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ों अनुयायी हैं और ऐसे लाखों उदाहरण हैं जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद बहुत सारे लाभ मिले हैं। 

संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति से कैंसर, एड्स व अन्य लाइलाज बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथ ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, 5, सूक्त 162 मंत्र 5 और सूक्त 163 मंत्र 1-3 में प्रमाण है कि हर बीमारी का इलाज सतभक्ति से ही संभव है, साथ ही वह परमात्मा अपने साधक की अकाल मृत्यु तक टाल सकता है और उसे 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है तथा उस परमात्मा की सतभक्ति से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान पवित्र वेद, पवित्र शास्त्रों के अनुसार है और पवित्र गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में जिस तत्वदर्शी संत के बारे में जिक्र आया है वह तत्वदर्शी संत कोई ओर नहीं संत रामपाल जी महाराज ही हैं। तो देर ना करते हुए आप भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझे और उनसे नाम दीक्षा लेकर मोक्ष मार्ग प्राप्त करें और 84 लाख योनियों के जन्म मरण से छुटकारा पाएं।

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