Spiritual Research: जानिए क्या है सत्संग की परिभाषा? तथा सत्संग में जाने से क्या लाभ है? [Hindi] | Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj

Spiritual Research: जानिए क्या है सत्संग की परिभाषा? तथा सत्संग में जाने से क्या लाभ है? [Hindi] | Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj

खबरों की खबर के हमारे इस कार्यक्रम में आपका बहुत बहुत स्वागत है।  दर्शकों, हर रविवार हम आपके लिए एक रहस्य का भेद खोलते हैं जिससे आपकी सामाजिक जानकारी तो बढ़ती ही है साथ ही आपके आध्यात्मिक ज्ञान का उत्थान भी होता है। इसी लिए अब तक के सभी वीडियोस में हम अपनी संस्कृति, अपने त्योहार, अपने रीति रिवाजों के बारे में कुछ न कुछ नया जानते आये हैं। उन सभी के साथ साथ हर बार एक बात पर जोर दिया जाता रहा है कि सन्तों अर्थात पूर्ण सन्त की शरण मे आने से सर्व शंकाओ का समाधान हो जाता है व साधक पूर्ण मोक्ष का भागी होता है।

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परन्तु, इन सभी बातों में एक अहम जगह जहाँ जाने से ये सब सम्भव होगा वो बहुत ही कम लोग जानते हैं। आज के वीडियो में हम आपको उसी पवित्र स्थान से परिचित करवाएंगे जहाँ जाने से पूर्ण सन्त की शरण मिलेगी व पूर्ण मोक्ष प्राप्त होगा। वो चमत्कारी स्थान है- सत्संग घर अर्थात जिस भी जगह सत्संग होता हो वहाँ जाने से साधक पूर्ण सन्त को पा सकता है और पूर्ण सन्त की शरण मे आने के बाद समझो सब कुछ मिल गया।


सत्संग क्या है?

सत्संग- सत+संग= जहाँ परमात्मा की सत्य कथा होती हो उसे सत्संग कहते हैं। जिस सत्य कथा को सुनकर भगवान में प्रेम जागता है, ज्ञान और अज्ञान का ज्ञात होता है उसे सत्संग कहते हैं।


सत्संग सत्संग में भिन्नता होती है


अब आप सबके मन मे ये विचार आ रहा होगा कि सत्संग में तो हम भी जाते हैं और अपने गुरुजी द्वारा बताई भक्ति और साधना भी करते हैं इसका मतलब हमारा मोक्ष तो पक्का है। ऐसा नहीं है!जी हाँ, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। हर सत्संग, सत्संग नहीं होता। जहाँ यथार्थ ज्ञान न हो, परमात्मा की सत्य कथा न हो वो सत्संग न असत्संग है। ऐसी जगह जाना ही व्यर्थ है। ऐसी जगह जाना, मतलब अपना अनमोल मनुष्य जन्म का नाश करना ही समझो। 


सत्संग केवल पूर्ण सन्त अर्थात तत्वदर्शी सन्त ही कर सकता है। पूरे ब्रह्मांड में सत्संग केवल वहीं होता है जहाँ तत्वदर्शी सन्त प्रवचन करता है। वहाँ जाने से साधक को सर्व लाभ होते हैं। पांचो यज्ञ का लाभ मिलता है, सन्त दर्श के लिए एक कदम भी बढ़ाने पर एक अश्व मेघ यज्ञ का लाभ मिलता है, मोक्ष मार्ग का ज्ञान होता है, सतभक्ति मिलती है और पूर्ण परमात्मा का साक्षात्कार होता है। तो ऐसी जगह अवश्य जाना चाहिए।


पूर्ण सन्त को पहचानेंगे कैसे?


तो इसके उत्तर में आपको बता दें कि पूर्ण सन्त की पहचान करना अब बिल्कुल मुश्किल नहीं है। बहुत सी जगह पूर्ण सन्त की पहचान के प्रमाण मिलते हैं। आपको ये भी खोजने की जरूरत नहीं क्योंकि आपका काम आसान करने के लिए हमारी टीम ने कुछ प्रमाण निकाले हैं जिनसे आप बहुत ही आसानी से पूर्ण सन्त की पहचान कर सकते हैं।


प्रथम प्रमाण मिलता है श्रीमद्भागवत गीता जी से


श्रीमद्भागवत गीता जी के अध्याय 15 के श्लोक 1 में तत्वदर्शी सन्त की पहचान बताई है कि जो उल्टे लटके हुए संसार रूपी वृक्ष के सभी छंदों सहित जानकारी देगा वही तत्वदर्शी सन्त है।


संत गरीबदास जी महाराज जी ने अपनी बानी में पूर्ण गुरु की पहचान बताई है-

"गरीब, सतगुरु के लक्षण कहूँ, मधुरे बैन बिनोद।

चार वेद छट शास्त्र, कहे अठारह बोध।।"


4. परमेश्वर कबीर साहेब जी ने भी अपनी वाणी में पूरे सतगुरु की पहचान बताई है-

"गुरु के लक्षण चार बखाना, प्रथम वेद शास्त्र को ज्ञाना।

दूजे, हरि भक्ति मम कर्म बानी, तीजे सम दृष्टि कर जानी।

चौथे वेद विधि सब कर्मा, ये चार गुरु गुण जानो मर्मा।।"


इन सभी से ये स्पष्ट होता है कि पूर्ण सन्त वही होगा जिसे सभी धर्मों के सद्ग्रन्थों का ज्ञान हो, जो संसार रूपी पीपल के वृक्ष का भेद जनता हो और जो दो अख्खर का नाम प्रदान करता हो। तो अब बस ऐसा गुरु ढूंढना बाकी है।  वीडियो के अंत मे हम आपको ऐसे गुरु के बारे में पूरी जानकारी देंगे जो पूर्ण सन्त अर्थात तत्वदर्शी सन्त है। अब आपको हम सत्संग की महिमा से परिचित करवाते हैं कि पूर्ण सन्त के सत्संग से लोगों में क्या क्या परिवर्तन आते हैं और सत्संग हमारे लिए क्यों जरूरी है!

सत्संग की महिमा


1. सत्संग सुनने से ये ज्ञान होता है कि मानव शरीर कितना अनमोल है। तत्वज्ञान के अभाव से भक्ति न करके पाप इकठ्ठे कर प्राणी अपना मनुष्य जन्म गवां बैठता है।

2. पाप करने से भगवान के दरबार मे सजा मिलती है और पुण्य कर्म करने से परलोक में सुख का भागी बनता है।

3. सत्संग के बिना पाप-पुण्य शिष्टाचार का ज्ञान नहीं होता। दुसरो को सताना, चोरी करना, ठग्गी करना, आदि पाप कर्म कमाता है। 

4. सही मोक्षमार्ग का ज्ञात सत्संग से ही हो सकता है। 

5. सत्संग से मृत्यु का भय खत्म हो जाता है और परमात्मा प्राप्ति की चाह बनती है।

6. सत्संग से सभी विकारों (काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार) का नाश होता है।


सत्संग की महिमा परमात्मा ने अपनी अमृतवाणी में कुछ इस प्रकार बताई है- 

"सत्संग की आधी घड़ी और तप के वर्ष हज़ार।

तो भी बराबर है नहीं, कहे कबीर विचार।।"


इस प्रकार सत्संग में जाने से व तत्वज्ञान पर गौर करने से और भी बहुत से लाभ मिलते हैं। सामाजिक ज्ञान के साथ साथ आध्यात्मिक ज्ञान भी होता है जो सत्संग के अलावा और कहीं प्राप्त नहीं किया जा सकता।


सत्संग में कौन कौन जा सकता है?

दर्शकों, बहुत से लोगों का मानना है कि सत्संग तो बुढ़ापे में सुनना चाहिए। सत्संग तो बुजुर्गों के लिए ही होते हैं। हमारे पास समय नहीं होता कि कमाए भी, बच्चे भी पाले, घर गृहस्थी भी चलाये और सत्संग में भी जाएं।


तो ऐसी सोच रखने वालों के लिए परमात्मा ने कहा है-

कबीर, मात पिता सुत स्त्री, आलस बन्धु काम।

सन्त मिलन को जब चले, ये अटकावै आन।

इनका अटकाया अटके नहीं, और सन्त मिलन को जाए।

कहे कबीर सो सन्त है, आव गवन नसाय।।

फिर कहते हैं-

मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार।

जैसे तरुवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डारि।।


ये मनुष्य जन्म बहुत अनमोल है, एकबार हाथ से छूट गया तो दोबारा इतनी आसानी से नही मिलेगा। आज हमें मनुष्य जन्म भी प्राप्त है और सत्संग भी सुनने को मिल रहा है और तत्वदर्शी सन्त भी पृथ्वी पर विराजमान है तो ऐसा अवसर बार बार नहीं मिलेगा। हो सकता है दोबारा मनुष्य जन्म भी मिल जाये और सतगुरु न मिला तो वो जन्म भी व्यर्थ हो जाएगा। ऐसे में समझदार व्यक्ति ये सौदा करना नहीं चूक सकता। और फिर घर गृहस्थी त्यागकर भक्ति नहीं करनी। मोक्ष के मार्ग में गृहस्थ जीवी में ही परमात्मा पाया जा सकता है। घर के कार्य भी करो, सत्संग सुनो और भक्ति भी करो। 


सत्संग में बच्चे, बड़े व बुजुर्गों सभी का आना जरूरी है


अब आपको बताते हैं कि वर्तमान में पृथ्वी पर सत्संग कहाँ होता है? और वो पूर्ण सन्त अर्थात तत्वदर्शी सन्त कौन है जिसकी शरण मे जाने से मोक्ष सम्भव है। दर्शकों, पूर्ण सन्त की पहचान के लिए मिले प्रमाणों पर वर्तमान में केवल एक ही सन्त खरे उतरते हैं।वो महान सन्त, जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी हैं जो गीता जी के अध्याय 15 श्लोक 1 के अनुसार उल्टे लटके संसार रूपी पीपल के वृक्ष के सभी छंदों से परिचित करवा रहे हैं। सन्त रामपाल जी  महाराज जी ही वो महापुरुष हैं जो दो अक्षर का नाम, सतनाम प्रदान करते हैं। सन्त रामपाल जी महाराज जी ही वो महान सन्त हैं जो सभी धर्मों के शास्त्रों का ज्ञान रखते हैं और सभी को ज्ञान करवा रहे हैं।यही पूर्ण सन्त व पूर्ण सतगुरु हैं जो पूरे विश्व को सत्संग सुना रहे हैं। इन्ही की शरण मे आने से मोक्ष प्राप्ति की जा सकती है। 


ऐसे महान सन्त के सत्संग सुनने मात्र से ही जीव के पाप कर्मों का नाश होना प्रारम्भ हो जाता है। ऐसे में समझदार व्यक्ति को देर नहीं करनी चाहिए और ये सौदा व्यर्थ नहीं करना चाहिए। मनुष्य जन्म होना व तत्वदर्शी सन्त का मिलना ऐसा सौदा बार बार हाथ नहीं लगता। अब जो समझ गए हैं वो तो ये सौदा चूकेंगे नहीं और जो नहीं समझ पाए उनके पास बाद में पछताने के अलावा और कोई रास्ता नहीं होगा।  इसलिए आप सभी से निवेदन करते हैं कि आने मनुष्य जन्म को व्यर्थ न गवाओ और जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी की शरण मे आकर ऊना कल्याण करवाओ।

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