Spiritual Research: क्या हिंदुओं और मुसलमानों का परमात्मा एक है? | Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj
आध्यत्म के गूढ़ रहस्यों को सुलझाने वाली हमारी इस रिसर्च मे आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। दर्शकों मानव आदिकाल से ही एक ऐसी शक्ति को पाने के लिये साधना करता रहा है जिसके सहारे ये पुरी कायनात चल रही हैं। जो सब कुछ करने में समर्थ है ; जो जीव का आत्म कल्याण कर सकता है। उस शक्ति को कोई
भगवान कहता है, तो कोई खुदा ,कोई अल्लाह तो कोई गॉड।
इसी खोज में अपने प्रयासों के परिणामो से हम विभिन्न पंथों , धर्मो में बंट गए व अपने अपने इष्ट को सर्वश्रेस्ठ मानकर आपस मे उलझ भगवान का ही बंटवारा कर बैठे।
संत गरीबदास जी महाराज जी इसी स्तिथि को स्पष्ट करते हुए कहते है-
कोई कह म्हारा राम बड़ा है
कोई कह खुदाई रे
कोई कह इशामशीह बड़ा है
ये बांटा रहे लगाई रे||
लेकिन वास्तविक परमात्मा एक ही है जो सर्वशक्तिमान है जो सबका रचनहार है । सबका पालनहार है। हमने परमात्मा से शक्ति प्राप्त किसी भी देव को भगवान मानकर आपस मे ये दीवार खड़ी कर ली। अध्यतामिक ज्ञान के अभाव में भगत समाज की दशा कुछ ऐसी हो गयी कि जैसे कोई जिले के dc को ही प्रधानमंत्री जैसी शक्ति से युक्त मानने लगे जाए। SA news का प्रयास इस उलझी गुथी को सुलझाकर इस निर्णय पर पहुंचना था कि आखिर सबका मालिक एक है कौन?
कोन है वो जो इस कायनात का रचने वाला हैं?
जो सर्वोच्च शक्ति युक्त है , अविनाशी है और जिसकी तलाश ये जीव युगों पर्यंत से कर रहा है। इस बात को जानने के लिए हमने अपनी खोज में अपने मूल सद्ग्रन्थों को आधार बनाया जिनमे परमात्मा की पहचान और उसकी महिमा लिखी है। जब बात सद्ग्रन्थों की होती है तो उनमें वेदो का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है इसके साथ साथ पवित्र गीता जी , श्री गुरु ग्रन्थ साहिब, कुरान ,बाइबिल भी सर्वमान्य सद्ग्रन्थ है जिनमे परमात्मा की अथाह महिमा है।
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— SA News Channel (@SatlokChannel) October 3, 2021
इसके अलावा परमात्मा का साक्षात्कार करने वाले महापुरुषों की वाणिया भी हमारी रिसर्च का आधार रही शुरआत में जब हमने वेदो को टटोला तो कुछ ऐसा निकालकर आया कि हम भौचक्के रह गए। एक ऐसी सच्चई जिससे हमारे रोंगटे खड़े हो गए और एक ऐसी बात की परमात्मा की पहचान का एक मूल आधार मिल गया। ऐसा हुआ पवित्र ऋग्वेद के मंडल नंबर 9 सूक्त 1 मंत्र 8 व 9 में । जिसमे लिखा हैं- जब परमात्मा धरा पर शिशु रूप धारण कर प्रकट (जन्म नही ) होता है तो उसके परवरिश की लीला क्वारी गाये के दूध से होती है।
इस आधार से राम कृष्ण को परमात्मा मानने की अवधारणा गलत सिद्ध हुई। क्योंकि उनकी जीवन लीला वेदो के इस मंत्र से मेल नही खाती। उनका एक तो माँ के गर्भ से जन्म हुआ दूसरा यह कि उनके परवरिश की लीला क्वारी गाये के दूध से नही हुई। हमने अपनी रिसर्च को जारी रखा कि ऐसा कोन है जिस पर यह वेद मंत्र पूरी तरह सटीक बैठता हो।
इसी बात की तह तक जाने के लिये हमने वेदो के साथ साथ नानक देव जी वाणी को भी जांचना चाहा कि यदि उसमे कोई परमात्मा के नाम के बारे और यथार्थ जानकारी मिल सकती है। तो हमे एक अद्भुत वाणी पढ़ने को मिली
यक अर्ज गुफतम पेश तो दर कून करतार। हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदिगार।।
यह वाणी श्री गुरु ग्रन्थ साहेब, पृष्ठ नं. 721, महला 1, राग तिलंग में अंकित है।
इन दो बातों से हम एक निष्कर्ष पर पहुंच रहे थे कि यदि नानक देव जी कबीर जी को परमात्मा बतलाते है तो उनकी जीवन लीला वेदो में वर्णित श्लोक से मेल खाती होनी चाइये। कबीर जी की जीवन लीला के बारे में बहुत सी बातें आम समाज मे प्रचलित है लेकिन हमने उसे आधार न मानकर मूल सद्ग्रन्थ कवीर सागर से ही उनकी परवरिश की लीला जानने की कोशिश की तो उसमे पाया कि कबीर जी परवरिश क्वारी गाये के दूध से हुई थी। इसी प्रकरण का समर्थन कबीर जी का साक्षात्कार करने वाले गरीबदास जी महाराज ने भी अपनी अमृत वाणी में किया हैं।
ये कुछ ऐसा था जो समाज मे प्रचलित कहानियों से काफी अलग था। हमे वेदो के मंत्र कबीर जी की जीवन से जुड़ते दिखाई दिए, कुछ पहचान बन रही थी परमात्मा के बारे में । हमने वेदो में कबीर जी का नाम ढूंढने की कोशिश की तो एक लंबी फेहरिस्त हमे प्राप्त हुई उन श्लोकों की जिनमे परमात्मा का नाम कबीर लिखा हुआ है।
ऋज्ञवेद मण्डल न. 9 सूक्त 86 मन्त्र 26-27 , ऋज्ञवेद मण्डल न. 9 सूक्त 82 मन्त्र 1-2 , ऋज्ञवेद मण्डल न. 9 सूक्त 20 मन्त्र 1 व और भी अनेक स्थानों पर कहा है कि परमात्मा अपने निज लोक से गति करता हुआ सशरीर पृथ्वी पर आता है।भक्तो के संकटो का नाश करता है। उसका नाम कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर है। हम काफी हद तक आस्वस्त थे कि कबीर जी ही परमात्मा है। लेकिन फिर भी हमने दादू जी जो कि महान संत हुए है कि वाणी में भी इसके प्रमाण देखने चाहे तो कुछ ये मिला
जिन मोंकु निज नाम दिया सोइ सतगुरु हमार
दादू दूसरा कोई नही कबीर सिरजनहार।
कुछ ऐसा ही समर्थन गरीबदास जी महाराज की अमर वाणी में मिला
अन्नत कोट ब्रह्मांड का एक रति नही भार
सतगुरु पुरुष कबीर ही कुल के सृजनहार।।
इतना सब होने के बाद हमे यह शंका बनी की यदि कबीर जी परमात्मा है तो गीता ज्ञान देने वाला कोन है? क्या वो परमात्मा नही है? जब ऊपर वर्णित ज्ञान के प्रकाश में पवित्र गीता जी को पढ़ा तो इसके पट खुलते चले गए परमात्मा अविनाशी होता है लेकिन गीता ज्ञान देने वाला तो खुद कहता है कि मेरे बहुत से जन्म हो चुके है। ऐसा वर्णन गीताजी के अध्याय 4 श्लोक 5 व 9 , अध्याय 10 के श्लोक 2 में है इसके इलावा अध्याय 15 के श्लोक 17 में उत्तम पुरुष कोई और बताया है जो सबका धारण पोषण करता है।
इस प्रकार स्पस्ट है की गीता ज्ञान देने वाला परमात्मा नही है
अब प्रश्न ये उठता है कि कबीर जी परमात्मा है तो इसका प्रकरण कुरान शरीफ में भी मिलना चाइये क्योंकि सबका मालिक तो एक है ना।
तो हमने की शुरुआत पवित्र कुरान को टटोलने की। और हमें अपनी मंजिल मिली सुरतल फुरकान 25 के आयात 52 से लेकर 59 तक। जिसमे कबीर जी को ही पूज्य बतलाया है और उन्हें ही सबसे समर्थ बताया हैं। कबीर जी को धरती व आसमान के बीच में जो कुछ भी है उसका रचने वाला बताया है। कबीर जी को ही हमारे गुनाहों को बख्शने वाला बताया है। इस प्रकार सद्ग्रन्थों से व परमात्मा प्राप्त सन्तो की वाणियो से एक बात निकलकर स्पष्ट रूप से सामने आई कि कबीर जी ही भगवान है।
अब एक शंका हमारे दर्शकों को हो सकती है कि जब कबीर जी भगवान है और सभी सद्ग्रन्थों में उसका वर्णन है तो आज तक उनको भगवान रूप में कही पूजा क्यों नही गया? जबकि सद्ग्रन्थों का पठन पाठन को युगों से चलता रहा हैं। दरअसल परमात्मा की महिमा कुछ ऐसी है कि उसको जीव अपने प्रयासों से नही जान सकता जिस पर परमात्मा ये मेहर बख्शते है वही उनकी स्तिथि को जान सकता है व अन्य को बतला सकता है। अपनी समझ से जीव केवल अटकल लगा सकता है यथार्थ नही जान सकता
इसी कारण कबीर जी कहते है-
गुरु बिन काहू न पाया ज्ञाना
ज्यों थोथा भुस छडे मुढ़ किसाना।
Sa news की इस रिसर्च का आधार भी पूर्ण गुरु संन्त रामपाल जी का ज्ञान है ।जिनके बारे में चर्चा हम अपने पिछले एपिसोड में कर चुके है। संन्त रामपाल जी ने ही अपने सत्संगों में हर धर्म के मूल सदग्रन्थों से प्रमाण लेकर भगवान का परिचय करवाया है और आज जब उस ज्ञान के प्रकास में हमने अपने सद्ग्रन्थों को टटोला तो परमात्मा की महिमा ज्यों की त्यों पाई की
कबीर जी ही भगवान हैं। वही पाप नाशक है। वही सबके धारण पोषण करने वाले है। और केवल वही एकमात्र पूज्य है। कबीर जी ही इस कायनात को रचने वाले है व ये सृस्टि उन्ही के आधार है।
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