Navratri in Hindi: जानिए नवरात्रि की सच्चाई जो आज तक आप से छुपाई गई | Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj
अध्यात्म के गूढ़ रहस्यों को सुलझाने वाली SA news की इस खास पेशकश में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। दर्शकों, प्राचीन काल से ही हिंदुस्तान की पावन धरती पर देवी-देवताओं, सन्तों, महंतो, ऋषि-मुनियों का आना हुआ है। पूरे विश्व मे हिंदुस्तान ही एकमात्र ऐसा देश है जहाँ सबसे अधिक रीति रिवाज ,धार्मिक क्रियाएं की जाती हैं व उत्तम संस्कारों को अपने जीवन मे उतारा जाता है।
सभी धर्मों के सद्ग्रन्थ पवित्र चारों वेद, भगवद गीता, पुराण व उपनिष्द, पवित्र कुरान, बाइबिल, गुरु ग्रंथ साहिब आदि के आधार से धर्म की प्रवृत्ति होती रही है। समय-समय पर अवतारों व सन्तो ने पृथ्वी पर आकर लोगों के दिलों में भगवान के प्रति आस्था व विश्वास दृढ़ किया है। जिसके चलते समाज के लोग भिन्न भिन्न प्रकार की धार्मिक क्रियाएं करके प्रभु को प्रसन्न करने के लाखों प्रयत्न कर रहे हैं ताकि प्रभु की कृपा की दृष्टि उन सब पर पड़ सके और उनका जीवन धन्य हो सके।
Navratri information in Hindi
ऐसी ही लगातार नौ दिनों तक चलने वाली नवरात्रों की एक धार्मिक क्रिया या ये कहें कि एक धार्मिक अनुष्ठान है। जिसे हिन्दू धर्म मे लोग एक पर्व की तरह मनाते है। तो चलिए दर्शकों, सद्ग्रन्थों के आधार से समाज मे प्रचलित पूजाओं को तोलने की इस कड़ी में आज बात करते है! नवरात्रों की।
Spiritual Research: #नवरात्रि पर जाने क्या देवी दुर्गा की उपासना से पूर्ण मोक्ष संभव है?https://t.co/eQLLu2N6UL
— SA News Channel (@SatlokChannel) October 10, 2021
दर्शकों, हिन्दू धर्म में नवरात्रे का पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाने वाला त्योहार है जिसमें नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और दुर्गा माता के लिए व्रत-उपवास भी रखे जाते हैं। हिन्दू धर्म के धर्मगुरुओं का कहना है कि नवरात्री के नौ दिन व्रत रखने से देवी दुर्गा अपने भक्तों से प्रसन्न होती है, अपने प्रिय भक्तो को दर्शन देती है और उनके सारे दुख भी हरण करती हैं। देवी जी के बहुत से भक्त सुखी जीवन जी रहे हैं परंतु वहीं दूसरी तरफ बहुत से अथाह दुख में भी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। ऐसे में उनकी देवी पर दृढ़ निष्ठा भी कम होने लगी और वे आस्तिक से नास्तिक होने की कगार पर हैं।
Navratri in Hindi: देवी दुर्गा की भक्ति से सुख की प्राप्ति नहीं होती
जो लोग सुखी जीवन जी रहे हैं वे देवी दुर्गा को अपना सब कुछ मानकर उनकी पूजा और भी दृढ़ता से करते हैं।असमंजस की बात ये है कि देवी दुर्गा के सुखी भक्त भी हैं और दुखी भक्त भी। ऐसे ही हर धर्म, पंथ, मजहब में है। जहाँ बहुत से लोग सुखी भी हैं और बहुत से दुखी भी हैं। जो सुखी हैं वो जिस पंथ से जुड़े हैं उन्हें ही श्रेष्ठ मान लेते हैं और जो दुखी हैं वो जगह जगह अपने दुःख निवारण के लिए जाते हैं और जब कहीं कुछ नहीं होता तो थक हारकर नास्तिक हो जाते हैं। भगवान पर विश्वास नहीं रहता और भगवान का नाम लेने से भी कतराने लगते हैं।
- ऐसे में स्वयं परमात्मा पृथ्वी पर आते हैं या अपनी खास आत्मा को सन्त रूप में इस पृथ्वी पर भेजते हैं और सत्यज्ञान का प्रचार करवाकर व अपने अनुयायियो को बेहिसाब लाभ देकर जनता का प्रभु में विश्वास बनाते हैं।
- नवरात्रों पर नो दिन तक देवी दुर्गा की पूजा करना, उनके लिए व्रत-उपवास रखना इस पर्व की मुख्य क्रियाएं हैं। हिन्दू धर्म के सभी इन क्रियाओं को अवश्य करते हैं। हमने इन क्रियाओं को आध्यात्म के आधार, हमारे धार्मिक सदग्रन्थ; पवित्र वेदों व पवित्र गीता जी से इसकी सार्थकता को जांचा।
- अपनी इस जांच में हमने सद्ग्रन्थों के साथ-साथ विभिन्न प्रचलित गुरुओं के सत्संगों को भी शामिल किया जिससे हमें देवी दुर्गा जी की वास्तविक स्तिथि की जानकारी मिल सके। इस जांच में हम कुछ विरोधाभासी विचारो से रूबरू हुए।
एक तरफ ब्रह्म ऋषि कुमारस्वामी जी व शक्तिपुत्र जैसे गुरुओ के विचार थे जो देवी दुर्गा को परम शक्ति व इष्ट रूप में पूज्य बता रहे थे। वहीं दूसरी तरफ दुर्गापुराण से देवी दुर्गा जी के विचारों को जनता के सामने लाने वाले सन्त रामपाल जी के सत्संग प्रवचन थे। जो देवी दुर्गा को पूज्य न बताकर के देवी दुर्गा के विचार व उनकी वास्तविक स्तिथि को सद्ग्रन्थों से प्रमाणित करते हुए जनता के सामने रख रहे थे। और उन्ही प्रमाणों को आधार बनाते हुए देवी दुर्गा माँ की इस तरिके से पूजा करने को आध्यात्मिक अज्ञानता बतला रहे थे।
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प्रथम तो हमें भी यकीन नहीं हो रहा था कि देवी दुर्गा की वास्तविक स्तिथि क्या है? उनकी उत्पत्ति कैसे हुई? परन्तु जब प्रमाण देखें और उनका अपने ग्रंथों से मिलान किया तब हम भी उतने ही अचंभित हो गए जितना अभी आप होने वाले हैं। सन्त रामपाल जी महाराज जी ने श्रीमद देवी भागवत महापुराण से स्पष्ट करके दिखाया कि देवी दुर्गा अपनी पूजा के विषय मे क्या कह रहीं हैं। आप भी सुनिए वो विचार- ये थे देवी दुर्गा जी के विचार जिसमे वे अपनी पूजा करने को मना करते हुए ब्रह्म की पूजा करने को कह रहीं हैं।
इस छोटी सी video से देवी दुर्गा जी की स्तिथि पूरी तरिके से स्पष्ट हो गयी कि देवी दुर्गा स्वयं अपनी पूजा करने के लिए साधको को मना करती है व ब्रह्म, जिसे काल, ज्योति निरंजन कहते हैं, को पूज्य इष्ट देव बताते हुए उनकी पूजा करने को कह रही हैं। ये वही काल ब्रह्म है जिसने श्रीकृष्ण जी के शरीर मे प्रवेश कर गीता जी का ज्ञान दिया :-
गीता अध्याय 11 के श्लोक न० 32 मे गीता ज्ञान दाता कह रहा है कि है अर्जुन मैं बड़ा हुआ काल हूं और अब प्रविष्ट हुआ है दर्शकों, इसे काल स्वरूपी ब्रह्म भी कहा जाता है। देवी दुर्गा जी, देवी पुराण में ब्रह्म को पूज्य बता रहीं है और जबकि ब्रह्म गीता जी अध्याय न० 7 के श्लोक 18 मे अपनी पूजा को भी अनुत्तम बता रहा है तथा गीता जी अध्याय न० 18 के श्लोक 62 और 66 मे गीता ज्ञान दाता ब्रह्म अर्जुन को अपने से अन्य किसी और परमात्मा की शरण में जाने को कह रहा है जिसकी शरण मे जाने से साधक शाश्वत स्थान और परम् शांति को प्राप्त होगा।
देवी पुराण और गीता जी से स्पष्ट हुआ कि देवी दुर्गा की पूजा करना व्यर्थ है
दर्शकों, इसके बाद जब हमने वेदो को जांचा लेकिन वेदो मे भीें हमें ऐसा कोई प्रमाण नही मिला जहां देवी दुर्गा जी की पूजा का समर्थन मिलता हो। बल्कि ऐसे बहुत से प्रमाण मिले जिसमें एक पुरुष, पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने को बोला गया है। वेदों में पूर्ण परमात्मा की महिमा लिखी हुई है जिससे स्पष्ट होता है कि पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने से ही लाभ मिलेगा। वेदों में कहीं भी माता दुर्गा की पूजा का समर्थन नहीं मिला। जिससे ये सिद्ध होता है कि दुर्गा माता की पूजा करना शास्त्रविरुद्ध होने से व्यर्थ है।
इसके अलावा जो लोग नवरात्री या इसके अलावा किसी भी चीज कोई भी व्रत रखते हैं उनके लिए श्रीमद्भागवत गीता जी के अध्याय 6 श्लोक 16 में ये प्रमाण भी मिलता है कि व्रत करने वाले की योग-साधना कभी सफल नहीं हो सकती, उनकी गति सम्भव नहीं। इसलिए देवी दुर्गा की पूजा न करके शास्त्रों के अनुसार भक्ति साधना करना उत्तम है जिससे देवी माँ प्रसन्न होती हैं। वर्तमान में वो वास्तविक मन्त्र केवल सन्त रामपाल जी महाराज ही प्रदान कर रहे हैं। जो सिर्फ दुर्गा माता को ही नही बल्कि सभी देवी देवताओं को प्रसन्न कर देगा।
संत गरीब दास जी महाराज अपनी वाणी में कहते हैं-
" दुर्गा ध्यान पड़े तिस बगड़म,
तां सगाति डूबें सब नगरम"
कहते हैं ,जहाँ दुर्गा देवी का जागरण होता हैं उसकी संगत मे पूरा नगर डूब जाता हैं। देखा देखी धीरे -धीरे अपने घरों पर जागरण आदि कराते हैं और सभी दुर्गा जी की शास्त्रविरुद्ध पूजा में आरूढ़ हो जाते है जिससे उनका मोक्ष नहीं हो पाता। प्रिय दर्शकों आज के अंक में हमने पाया कि देवी दुर्गा की पूजा, नवरात्रे आदि करने के लिये न तो हमारे धार्मिक सद्ग्रन्थों से कोई समर्थन मिलता है व न ही परमात्मा प्राप्त सन्तो की वाणियो से। और देवी पुराण में भी देवी दुर्गा अपनी पूजा करने को मना कर रहीं हैं। तो फिर नवरात्रे आदि करना अपना मानव जीवन बर्बाद करना ही है।
अतः आप सभी से हमारी करबद्ध प्रार्थना है कि वास्तविक पूजा की जानकारी प्राप्त करने व शास्त्र अनुसार भक्ति की जानकारी पाने के लिए पूर्ण गुरु जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज के सत्संग अवश्य सुनें व उनपर अमल करके अपना जीवन धन्य करे।
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