Chaitra Navratri in Hindi: Spiritual Research: नवरात्रि की कथा क्या है? क्या चैत्र नवरात्रि पर व्रत करना सही है?

Chaitra Navratri in Hindi: नमस्कार दर्शकों ! "खबरों की खबर का सच " के इस कार्यक्रम में आपका बहुत बहुत स्वागत है। आज हम आपके लिए "चैत्र नवरात्रि?, चैत्र नवरात्रि कब कब मनाई जाती है?" से जुड़ी जानकारी लेकर आये हैं।

खबरों की खबर के इस कार्यक्रम में हम बताने वाले हैं आपको उस त्योहार के विषय मे जो वर्ष में दो बार आने वाला इकलौता त्योहार है। ये सुनकर तो आप जान ही गए होंगे कि हम बात करने वाले हैं चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri in Hindi) के त्योहार की। हर त्योहार के पीछे एक कथा जरूर होती है, ऐसे ही चैत्र नवरात्रि से सम्बंधित भी कथा है जो आज हम आपके सामने प्रस्तुत करने वाले हैं। कथा के साथ-साथ जिन बिंदुओं पर हैं प्रकाश डालने वाले है एक बार आपको उनसे भी रूबरू करवाते हैं-


Chaitra Navratri in Hindi

Chaitra Navratri in Hindi: हम आपको बताएंगे कि- 


  • चैत्र नवरात्रि का अर्थ क्या है?
  • चैत्र नवरात्रि कब कब मनाई जाती है?
  • चैत्र नवरात्रि क्यों और कैसे मनाई जाती है?
  • चैत्र नवरात्रि मनाने से क्या कोई हानि भी हो सकती हैं? इस विषय मे शास्त्र क्या बताते है?
  • क्या चैत्र नवरात्रि पर व्रत करना सही है?  
  • माँ दुर्गा किसी और कि पूजा करने को कहती हैं, क्या यह सच है? यदि हाँ, तो कौन है वो जो माँ दुर्गा से भी उत्तम शक्ति है?


अंत मे माँ दुर्गा का प्रमाणों के साथ एक ऐसा रहस्य बताएंगे जिसे जानकर आप अचंभित रह जाएंगे। आइये अब शुरुआत करते हैं अपनी इस खास पेशकश की।


 चैत्र नवरात्रि का अर्थ क्या है (Chaitra Navratri Meaning in Hindi)?


देवी दुर्गा पूजन का पर्व- नवरात्रि वर्ष में दो बार मनाया जाता है। नवरात्रि का अर्थ है नौ रात्रि यानी नौ रात्रि तक देवी की पूजा आराधना की जाती है और दुर्गा माँ को प्रसन्न करने के लिए उनके लिए व्रत-उपवस किये जाते हैं।


नवरात्रि कब-कब मनाई जाती है?


पहली नवरात्रि गर्मियो की शुरूआत में चैत्र मास यानी अप्रैल में आती है और दूसरी नवरात्रि सर्दियों की शुरुआत में अश्विन माह/मास यानी अक्टूबर में मनाई जाती है। इस दौरान फसल पकने का समय होता है, वर्षा होने के साथ मौसम में बदलाव होता है।


मौसम में बदलाव होने के कारण शरीर पर भी प्रभाव पड़ता है। इसलिए शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाये रखने के लिए नवरात्रि पर शक्ति की पूजा की जाती है और उपवास रखे जाते हैं। अप्रैल में नवरात्रि सत्य और धर्म की जीत तथा अक्टूबर में भगवान श्री राम चन्द्र जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है।


चैत्र नवरात्रि के पीछे की कथा क्या है (Story of Chaitra Navratri in Hindi)?


नवरात्रि की यह कथा बहुत ही प्रचलित है जो हमें अक्सर अपने बड़े बुजुर्गों से सुनने को मिल जाती है। कथा इस प्रकार है-

एक महिषासुर नाम का व्यक्ति था जिसका आधा शरीर मानव और आधा महेश यानी भैंस का था। महिषासुर ने कईं वर्षो तक ब्रह्मा जी की तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे दर्शन दिए और पूछा कि क्या वरदान चाहिए। महिषासुर ने ब्रह्मा जी से कहा कि भगवन मुझे ऐसा वरदान दो कि तीनों लोकों में किसी भी देवता व मानव द्वारा मेरी मृत्यु न हो। ब्रह्मा जी ने तथास्तु कहकर उसे यह वरदान दे दिया। इस वरदान को पाकर उसे अपने आप पर बहुत घमंड हो गया। उसने सभी देवताओं को प्रताड़ना शुरू कर दिया। उनपर आक्रमण करके उनके क्षेत्रो पर राज करने लगा। हाहाकार मच गई। सभी देवता परेशान होकर त्रिदेव से मुलाकात करते हैं और सभा में महिषासुर को नष्ट करने के बारे में चर्चा करते हैं। तब त्रिदेवों (ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी) ने देवी दुर्गा को याद किया। दुर्गा माँ प्रकट हुई।

तब सभी देवताओं ने अपने अस्त्र शस्त्र दुर्गा देवी को समर्पित कर उनसे महिषासुर को खत्म करने की प्राथना की। तब दुर्गा देवी महिषासुर के पास जाती हैं और महिषासुर उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखता है। देवी कहती हैं कि यदि तुम मुझे युद्ध मे हरा दे तो मैं तुमसे विवाह करूंगी। इस प्रकार देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध शुरू हुआ। महिषासुर बहुत शक्तिशाली था। उसे परास्त करने के लिए देवी दुर्गा को 9-10 दिन लगे। लगभग 10 दिन तक घमासान युद्ध हुआ और युद्ध मे महिषासुर का अंत हुआ और इस तरह देवी ने देवताओं की रक्षा की। तब से ही हिंदुओ ने चैत्र नवरात्रि पर देवी की आराधना शुरू कर दी। 

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मान्यताओ के अनुसार अश्विन नवरात्रि से सम्बंधित एक और कथा भी है जो भगवान श्री रामचन्द्र जी से सम्बंधित है। रावण के साथ युद्ध करने से पूर्व ब्रह्मा जी ने श्री राम चन्द्र जी को युद्ध जीतने के लिए चंडी देवी की पूजा करने  को कहा। श्री राम चन्द्र जी ने पूजा के लिए सब सामग्री तैयार कर ली जिसमे से एक सामग्री बहुत मुश्किल से मिलती थी जिसका नाम था नील कमल। पूजा में 108 नील कमल चाहिए थे, श्री राम चन्द्र जी ने वो भी एकत्रित कर लिए। वहीं दूसरी तरफ रावण ने भी अमृत्त्व पाने के लिए चंडी की पूजा शुरू करदी। और श्री राम चन्द्र की पूजा में विघ्न डालने के लिए रावण ने सामग्री में से एक नीलकमल गायब कर दिया और अपनी पूजा में लग गया।

पूजा बाधित न हो इसके लिए एक कमल और चाहिए था। तब श्री राम चन्द्र जी ने अपने कमल नयन पूजा में समर्पित करने के लिए अपनी एक आंख निकालनी चाही। इतना समर्पण भाव देखकर माता दुर्गा वहाँ प्रकट हो गयी और उनसे विजय होने का आशीर्वाद दिया। वहीं दूसरी तरफ रावण द्वारा की जा रही पूजा में हनुमान जी एक ब्राह्मण रूप बनाकर बैठ जाते हैं और एक श्लोक का गलत उच्चारण करते हैं जिससे देवी दुर्गा क्रोधित हो जाती है और रावण को श्राप दे देती हैं कि तेरा सर्वनाश होगा। धर्म की जीत होने पर हिन्दू समाज मे अश्विन मास में नवरात्रि मनाई जाती है। ये थी नवरात्रि के पीछे की कथा।

नवरात्रि कैसे मनाई जाती है?

नवरात्रि की शुरुआत देवी दुर्गा की आराधना से की जाती है, उपवास रखा जाता है। प्याज का सेवन  घर मे कोई नहीं करता। उपवास में खाया जाने वाला अन्न बहुत ही साधारण होता है। व्रत के दौरान अधिकतर फल ही खाये जाते हैं। यह लगातार 9 दिन चलता है। नवमी वाले दिन सुबह जल्दी उठकर पूजा की जाती है और छोटी-छोटी कन्याओं को घर बुलाया जाता है और उन्हें देवी स्वरूप मानकर उनके पैर धोकर उनकी पूजा की जाती है। उन्हें भोग लगाया जाता है। उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। उन्हें खुश करके ही घर भेजा जाता है। माना जाता है कि इससे देवी दुर्गा माई बहुत प्रसन्न होती हैं। कुछ लोग इस पूजा को अष्टमी वाले दिन भी करते हैं। इस तरह नवरात्रि का त्योहार सम्पूर्ण होता है।


हमारे शास्त्र नवरात्रों के विषय में क्या कहते हैं?


शास्त्रों में नवरात्रि का वर्णन


हिन्दू धर्म के मुख्य ग्रन्थ हैं चारों वेद व श्रीमद्भागवत गीता। यदि इन शास्त्रों में देखा जाए तो कहीं भी देवी दुर्गा की पूजा के विषय में नहीं लिखा। वेद भगवान का संविधान है और संविधान सबको माननीय होता है। जो संविधान के खिलाफ जाता है उसे परमेश्वर के दरबार मे भुगतना पड़ता है। इसी प्रकार चारो वेदों व श्रीमद भागवत गीता जी (जो वेदों का ही सार है) में कहीं भी दुर्गा माँ की पूजा का वर्णन नहीं है। केवल एक परमात्मा की पूजा करने को कहा गया है। और भगवान के आदेश के खिलाफ जाकर देवी दुर्गा की पूजा करना और एक परमेश्वर की ओज त्याग देने से भगवान का संविधान टूट जाता है है और जीव सजा का हकदार बनता है।


चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri in Hindi) मनाने के लाभ

अभी आपको बताया कि वेदों में नवरात्रि का वर्णन नहीं है। देवी दुर्गा की पूजा भी प्रतिबंधित की गई है। केवल एक परमेश्वर की पूजा करने को कहा है। श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 में वर्णित है कि जो पुरुष शास्त्रविधि त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है, वह न सिद्धि को प्राप्त होता है, न परमगति को और न सुख को। नवरात्रि शास्त्रविरुद्ध होने से मनमाना आचरण है जिससे व्यक्ति को कोई लाभ नही हो सकता।


उपवास के विषय मे शास्त्रों में प्रमाण


हिन्दू समाज मे अधिकतर लोगों के घर मे भगवत गीता जरूर होगी और बहुत से लोग प्रतिदिन गीता का पाठ भी करते होंगे। श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में भगवान अर्जुन को स्पष्ट रूप से कह रहे है कि अर्जुन ये योग यानी भक्ति न तो अधिक खाने वाले की और न बिल्कुल न खाने वाले की, बिल्कुल न खाना यानी उपवास रखने वालों की,न अधिक जागने वाले और न अधिक सोने वाले कि सफल होती है। इससे स्पष्ट होता है कि व्रत-उपवास रखना, खाली पेट रहने से भक्ति सफल नहीं हो सकती। और अधिक खाने वाले कि भी सफल नहीं हो सकती।

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यहाँ विचार करने की बात है कि व्रत रखने वाला पूरा दिन भोजन की ही सोचता रहेगा, ऐसे में भक्ति कैसे करेगा? और अधिक खाने वाला जो पेट भर खाना खा ले तो वह पूरा दिन आलस्य रहता है, सुस्त रहता है ऐसे में भक्ति कर ही नहीं सकता। इसी प्रकार अधिक सोने वाले भक्ति को समय नहीं दे सकते और अधिक जागने वाले तो नींद की कमी से नींद में रहेंगे जिससे भक्ति तो कर ही नहीं सकते। अतः शास्त्रानुसार व्रत रखना गलत है।


दुर्गा माता किसी और कि पूजा करने को कह रही हैं



श्रीमद देवी महापुराण में देवी ने हिमालय राज को अपनी पूजा करने को मना करती है।  दुर्गा जी कहती हैं कि ब्रह्म की पूजा करो, उसका ॐ नाम है। ब्रह्म को लक्ष्य समझो, जीव को बाण और ॐ को धनुष मानो। ॐ रूपी धनुष में जीवात्मा रूपी बाण से ब्रह्म को लक्ष्य करो और उसको पा जाओगे। इससे सिद्ध होता है कि दुर्गा माँ स्वयं किसी और कि पूजा करने के लिए कह रही हैं। परंतु मजे की बात ये है कि ब्रह्म भी अपनी पूजा करने से मना कर देता है। श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 18 के श्लोक 62 व 66 में ब्रह्म अर्जुन से कहता है कि तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही शरण मे जा जिसको पाने के बाद वापिस जन्म-मृत्यु में नहीं आना पड़ता. उस एकमात्र परमेश्वर की शरण मे जाने से ही सम्पूर्ण लाभ प्राप्त होगा। अतः देवी दुर्गा की पूजा करना पूर्णतया व्यर्थ है।


वह परमेश्वर कौन है, जिसकी शरण मे ब्रह्म भी जाने को कह रहा है?


श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 15 के श्लोक 16, 17 में तीन प्रभु के विषय मे बताया है। 

  • क्षर पुरुष-काल-ब्रह्म
  • अक्षर पुरुष-पर ब्रह्म
  • परम अक्षर पुरुष-पूर्ण ब्रह्म-उत्तम पुरुष

वह उत्तम पुरुष परम अक्षर ब्रह्म है जिसकी शरण में जाने से जीव पुनरावर्ती में नहीं आता। पूर्ण ब्रह्म कौन है, उसका क्या नाम है ये वेद प्रमाणित करते हैं।

  • यजुर्वेद अध्याय 5 श्लोक नम्बर 32
  • सामवेद संख्या 1400, अध्याय नम्बर 12, खण्ड 3, श्लोक नम्बर 5
  • अथर्ववेद कांड नम्बर 4 के अनुवाक नम्बर 1, श्लोक 7
  • ऋग्वेद मंडल नम्बर 9, सूक्त 96 के मन्त्र 17, 18, 19


ये प्रमाणित करते हैं परमेश्वर का नाम कबीर है। इतना ही नहीं सभी धर्मों के ग्रन्थ प्रमाणित करते हैं कि कबीर ही परमात्मा हैं। अंतिम रहस्य बताने से पहले आपको बता दे कि ये सब जानकारी एकत्रित करने में हमारी मदद की है सतलोक आश्रम की टीम ने। सतलोक आश्रम के संचालक जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी सभी सद्ग्रन्थों के ज्ञाता हैं, तत्ववेदा हैं। उनके द्वारा दिये इन प्रमाणों से हम नवरात्रों के महत्त्व को सिद्ध कर पाए। नवरात्रि मनाना कितना जरूरी है या यह व्यर्थ है ये हमारे शास्त्रों से ही प्रमाणित हुआ और ये शास्त्र हमें सन्त रामपाल जी ने खोलकर दिखाए व बताए। उनके ज्ञान को व अन्य महापुरुषों के ज्ञान को समझकर नवरात्रि के विषय में सारी जानकारी हमने आपके समक्ष रख दी है। इस जानकारी से आप चाहे तो सही रास्ता चुन सकते हैं और सही भक्ति विधि सन्त रामपाल जी से लेकर अपना कल्याण करवा सकते हैं।

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