सतभक्ति से लाभ प्रोग्राम द्वारा समाज के ऐसे लोगों को सामने लाया गया जो न जाने कितनी समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सद्भक्ति से उनकी सभी समस्याएं खत्म हो गईं और उन्हें एक नई ज़िंदगी मिली जो आज लाखों लोगों के लिए उदाहरण हैं। तो आज हम आपको एक ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी से परिचित करवाएंगे जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ बल्कि शारीरिक और आर्थिक लाभ भी मिला।
"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" की थीम इस प्रकार है
1. कामिनी (Kamini) जी की आपबीती
2. संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
3. नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी में आये बदलाव
4. नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
5. मेरा समाज को संदेश
6. सारांश
कामिनी (Kamini) जी की आपबीती
मेरा नाम कामिनी (Kamini) है। मैं गांव परसोदा, जिला बालोद, छत्तीसगढ़ की रहने वाली हूं। संत रामपाल जी महाराज से नाम उपदेश लेने से पहले मैं हिंदू धर्म के अन्य सभी देवी देवताओं को मानती थी और शिव जी को मैं खास इष्ट देव जी के रूप में मानती थी। इनकी भक्ति से लाभ तो मुझे कुछ भी नहीं हुआ बल्कि नुकसान ही होता चला गया। सबसे पहले मुझे प्रेत बाधा की समस्या शुरू हुई। और यह प्रेत बाधा की समस्या मेरे साथ लगभग एक साल तक चलती रही। मैं किसी को बताती नहीं थी, अंदर ही अंदर घुटती रहती थी और एक समय ऐसा आया कि मैं बहुत परेशान होने लग गई, घर वाले भी परेशान रहने लग गए थे।
वह प्रेत बाधा मेरे शरीर में प्रवेश करके बहुत ज्यादा आवाजें करती थी, घरवालों को परेशान रखती थी और सबके घरों में लाइट जला करती थी लेकिन हमारे घर में लाइट बंद हो जाती थी। कुछ भी लाइट जलाते थे वह बंद हो जाती थी मतलब रोशनी रहती ही नहीं थी और शारीरिक रूप से भी वह मुझे नुकसान पहुंचाती थी। यह सिलसिला लगभग एक साल से चल रहा था लेकिन 4 महीने से मैं इससे बहुत ज्यादा परेशान रहने लगे गयी थी। शिव जी को ईष्ट देव के रूप में मानती थी और उनकी भक्ति से मुझे कुछ भी लाभ नहीं मिला, ना आध्यात्मिक लाभ मिला, ना शारीरिक लाभ मिला।
संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
संत रामपाल जी महाराज से नाम उपदेश मैंने 11 अप्रैल 2014 को लिया। संत रामपाल जी महाराज से नाम उपदेश लेने की प्रेरणा मुझे उनके सत्संग सुनकर हुई। मेरे परिवार में मेरे एक चाचा हैं वह दूसरे गांव में रहते हैं। जब उन्हें पता लगा कि मेरे परिवार में एक गुड़िया है उसको प्रेत बाधा की समस्या है। वे लोग पहले से ही संत रामपाल जी महाराज से जुड़े हुए थे हमें पता नहीं था। जब वह हमारे घर पर आए तो उन्होंने बताया कि इन्हें संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा दिला दो, यह पूरी तरह से ठीक हो जाएगी। उसी दौरान किसी ओर ने भी बताया कि एक मीरा दत्ता नाम का कोई मुसलमान है आप उसके पास ले जाइए वहाँ पर यह ठीक हो जाएगी। तो फिर मैं रो रही थी कि मैं किसके पास जाऊं तब मैं शिवजी को मानती थी तो मैं शिवजी के सामने ही जाकर बोली कि जो सच्चे भगवान है मुझे उन्हीं के पास ले चलो।
उसी दिन मेरे घर में संत रामपाल जी महाराज का सत्संग चला और उस रात को मैं चैन की नींद सोई पहले मैं रात को सो नहीं पाती थी। दूसरे दिन मैंने वापस संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग सुना और उस रात को भी मैं अच्छे से सो पाई। तीसरे दिन मैंने संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग नहीं सुना और फिर से मेरे साथ वही सब होने लगा जो पहले होता था। जोर-जोर से चिल्लाना, आवाजें करना, घर की लाइट चले जाना। मेरे चाचा जी बोले की, जिस दिन यह संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग सुनती है उस दिन तो आराम से सोती है और जिस दिन नहीं सुनती उस दिन वापस वह समस्या होने लगती है। फिर मैं रोजाना सत्संग सुनने लगी और मुझे ज्ञान हुआ कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश की भक्ति करने वालों को कोई भी लाभ नहीं मिलता। वह हमारी किस्मत से ज्यादा हमें नहीं दे सकते, वह पूर्ण परमात्मा नहीं हैं, उनसे ऊपर कोई अन्य परमात्मा है। जब यह बात हमें पता लगी तो उसी दिन हमने हमारे घर में लगी सभी देवी देवताओं की तस्वीर और शंकर जी की तो बहुत सारी तस्वीर लगी थी वह सब उतार कर ऊपर रख दिया। फिर संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग सुनते हुए हमें बहुत सारा ज्ञान हो गया और हमें पता लगा कि वह एक परमात्मा कोई ओर है। तब हमनें ठान लिया कि हम संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेंगे फिर हम संत रामपाल जी महाराज जी के सतलोक आश्रम बरवाला गए और 11 अप्रैल 2014 को नाम दीक्षा ली।
नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी में आये बदलाव
संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद मुझे बहुत सारे लाभ मिले। मेरी भूत-प्रेत बाधा थी वह संत रामपाल जी महाराज से नाम उपदेश लेने के बाद खत्म हो गई। संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद मुझे सबसे बड़ा लाभ यह भी मिला कि सही आध्यात्मिक ज्ञान मिला। जब मैं छोटी थी तो मेरे दिमाग में बहुत सारे प्रश्न रहते थे कि इस सृष्टि की रचना कैसे हुई है? हम सब कहां से आए हैं? सब बोलते हैं कि भगवान एक है और फिर हमसें इतने सारे देवी देवताओं की भक्ति क्यों करवाई जाती है? यह शंकाएं बचपन से ही मेरे दिमाग में रहती थी और इन शंकाओं का समाधान संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में जाने के बाद ही हुआ। दूसरा लाभ यह हुआ कि पहले मुझ में एक शक्ति थी कि जब कोई मरने वाला होता था तो उसमें से एक अजीब सी बदबू आती थी जिससे मुझे पता लग जाता था कि अब यह मरने वाला है और वही बदबू अब मेरे शरीर से आने लगी थी तो मैंने सोच लिया था कि अब तो मरना पक्का है। लेकिन जब संत रामपाल जी महाराज जी ने अपना आशीर्वाद भरा हाथ मेरे सिर पर रखा तब से मुझे कुछ भी नहीं हुआ। मैं बिल्कुल ठीक हूं लेकिन वह शक्ति संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद भी मेरे अंदर थी फिर मैंने गुरु जी से प्रार्थना करी कि गुरु जी मुझे यह शक्ति नहीं चाहिए। जब मुझे पता लगता है कि कोई मरने वाला है तो मैं रात भर सो नहीं पाती। बहुत डरावना सा लगता है और उस दिन से वह शक्ति मेरे अंदर नहीं है। अब मैं जान भी नहीं पाती हूं कि कोई मरने वाला है। तो यह भी एक लाभ मुझे संत रामपाल जी महाराज की शरण में जाने के बाद मिला। मुझे एक लाभ और मिला। परमात्मा अपनी वाणी में कहते हैं कि:
सतगुरु शरण में आने से, आई टले बला।
जो मस्तक में सूली हो, वो कांटे में टल जा।।
ऐसा मेरे साथ कई बार हुआ। एक बार मैं कहीं जा रही थी तो बहुत भयंकर एक्सीडेंट हुआ। मैं कहीं ओर गिरी, जो मेरे साथ थे वह कहीं ओर गिरे और मैं बेहोश हो चुकी थी लेकिन संत रामपाल जी महाराज जी की दया से इतना भयंकर एक्सीडेंट होने के बाद भी जिस तरह से हमारा एक्सीडेंट हुआ था जो चोट लगनी थी उतनी चोट नहीं लगी बहुत नॉर्मल चोट आई थी और वह कुछ दिनों में ठीक हो गई थी। और उन दिनों लगातार मेरे साथ कुछ ना कुछ ऐसे हादसे होते रहते थे।
एक दिन जब मैं रसोई में काम कर रही थी तो मेरा छोटा भाई कड़ाही में तेल गर्म करके रखा हुआ था, तो मुझे ध्यान नहीं था। मुझे लगा कि वह पानी है यह सोचकर मैंने उस कढ़ाई में अपना हाथ डाल दिया और हाथ डालने के बाद मुझे एहसास हुआ कि यह पानी नहीं तेल है। मेरे हाथ में एक चम्मच थी वह उसी कढ़ाई में छोड़कर मैं हाथ धोकर वापस आ गई और मैंने अपनी छोटी बहन को बोला कि इस चम्मच को बाहर निकल लो। जब मेरी छोटी बहन ने उस कढ़ाई में अपने सिर्फ दो अंगुली ही डाली थी कि वह बहुत जोर से चिल्लाने लगी और बोली कि इसमें तेल तो बहुत ज्यादा गर्म है। ऐसे परमात्मा मेरी हमेशा रक्षा करते हैं। आज मैं संत रामपाल जी महाराज की दया से पूरी तरह से स्वस्थ हूं।
नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
संत रामपाल जी महाराज की शरण में जाने के बाद हमें सही आध्यात्मिक ज्ञान का पता लगा और आज तक हम जिन देवी देवताओं की भक्ति करते आए थे वह भक्ति शास्त्रों के विरुद्ध थी, जिससे उनकी भक्ति करने वालों को कोई भी लाभ नहीं मिल पाता। संत रामपाल जी महाराज सभी शास्त्रों से प्रमाणित करके शास्त्रों के अनुकूल सतभक्ति बताते हैं। संत रामपाल जी महाराज सभी पवित्र शास्त्रों को खोल खोल कर दिखाते हैं जिनसे उनके सत्संग सुनने वालों को बहुत सारा ज्ञान याद भी हो जाता और बहुत सारी शिक्षाएं भी मिलती हैं।
मेरा समाज को संदेश
मैं अपने सभी भाई बहनों से हाथ जोड़कर यह प्रार्थना करना चाहती हूं कि आप एक बार संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग यह जानने के लिए ही सुने कि आखिर क्या कारण है आज संत रामपाल जी महाराज जी के जेल जाने के बाद भी लाखों लोग उनसे जुड़ रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जो ज्ञान देते हैं वे पूर्णतया शास्त्रों पर आधारित है कोई भी मनगढ़ंत बात नहीं है। वह जो भी बात बोलते हैं सभी शास्त्रों से बहुत सारे प्रमाण दिखाते हैं इसलिए मैं सभी से हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हूं कि आप संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लो और अपना कल्याण करवाओ। संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के लिए उनके विभिन्न टीवी चैनल पर सत्संग आते हैं, सत्संग के दौरान नंबर दिए जाते हैं आप उन नंबर पर संपर्क करके अपने नजदीकी नामदान सेंटर का पता करें और वहां जाकर नि:शुल्क नाम दीक्षा ले सकते हैं।
सारांश
"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" प्रोग्राम में बताया गया कि "संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद लोगों को लाभ हो रहे हैं" पूर्णतः सत्य हैं। जिसका आप चाहें तो निरीक्षण भी कर सकते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ों अनुयाई हैं और ऐसे लाखों उदाहरण हैं जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद बहुत सारे लाभ मिले हैं। संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति से कैंसर, एड्स व अन्य लाइलाज बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथ ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, 5, सूक्त 162 मंत्र 5 और सूक्त 163 मंत्र 1-3 में प्रमाण है कि हर बीमारी का इलाज सतभक्ति से ही संभव है, साथ ही वह परमात्मा अपने साधक की अकाल मृत्यु तक टाल सकता है और उसे 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है तथा उस परमात्मा की सतभक्ति से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं।
संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान पवित्र वेद, पवित्र शास्त्रों के अनुसार है और पवित्र गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में जिस तत्वदर्शी संत के बारे में जिक्र आया है वह तत्वदर्शी संत कोई ओर नहीं संत रामपाल जी महाराज ही हैं। तो देर ना करते हुए आप भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझे और उनसे नाम दीक्षा लेकर मोक्ष मार्ग प्राप्त करें और 84 लाख योनियों के जन्म मरण से छुटकारा पाएं।
1 Comments
Very Interesting . Feel Happy to Read .
ReplyDeleteAmit