नमस्कार दर्शकों ! "खबरों की खबर का सच " के इस कार्यक्रम में आपका बहुत बहुत स्वागत है। आज हम आपके लिए क्या होता है खंड पाठ और खुला पाठ? (Information about What is Khula Path and Akhand Path? [Hindi]) से जुड़ी जानकारी लेकर आये हैं।
स्वागत है आपका खबरों की खबर का सच कार्यक्रम में दर्शकों हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई इन सभी धर्मों के नाम और क्रियाएं अलग हो सकती है। जप करना, तप करना, व्रत रखना, निमाज पढ़ना, हलाल करना, प्रार्थना करना, ये सब क्रियाएं सभी धर्मों में एक सी नहीं होती। कहीं जाप चलता है तो कहीं केवल प्रार्थना ही कि जाती है। कहीं तप चल रहा है तो कहीं कुर्बानी दी जा रही है। कही भजन चलते हैं तो कहीं मोमबत्ती जगाकर ईसाह मसीह को याद किया जाता है। परंतु एक धार्मिक क्रिया ऐसी है जिसे हर धर्म का व्यक्ति करता है और उस क्रिया को करना श्रेष्ठ माना जाता है।
नित्य पाठ करना
सभी धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मोक्ष प्राप्ति के लिए कुल पांच यज्ञ करनी होती हैं जिनमे से एक यज्ञ: ज्ञान यज्ञ है। ज्ञान यज्ञ में ज्ञान ग्रहण करने की इच्छा से श्रद्धालु ग्रंथो का अध्ययन करते है, उनका नित्य पाठ करते है।
ज्ञान यज्ञ सभी यज्ञों में सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। वो इसलिए क्योंकि जब तक जीव को ज्ञान नहीं होता तब तक वह भक्ति की सही दिशा प्राप्त नहीं कर सकता इसलिए ज्ञान यज्ञ में जीव ज्ञान ग्रहण करता है और ज्ञान होने के बाद सही पथ का पता लगता है जिससे जीव भृमित नहीं होता और सही मार्ग की ओर चलता है।
सभी धर्मो के लोग ज्ञान ग्रहण करने व मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए अपने अपने धार्मिक ग्रंथों का नित्य पाठ करना उचित समझते हैं।
हर धर्म में पाठ करना आम बात
हिन्दू लोग वेद, गीता, पुराण, रामायण, महाभारत आदि उपनिषदों का पाठ करते हैं। तो वहीं ईसाई धर्म के लोग पवित्र बाइबिल को पढ़कर मानसिक शांति प्राप्त करते हैं। सिख धर्म मे गुरु ग्रंथ साहेब का पाठ प्रमुख माना जाता है तो मुस्लिम धर्म मे कुरान शरीफ की आयतें पढ़ना और निमाज अदा करना सबसे महत्त्वपूर्ण क्रिया मानी जाती है।
अपने अपने धर्म के ग्रंथों का पाठ करने और उसी को सर्वश्रेष्ठ बताने वाले श्रद्धालुओं को आज हम एक ऐसे पाठ के बारे में बताएंगे जिसकी वाणीयों से हर धर्म के व्यक्ति को ही नहीं पशु पक्षियों तक को लाभ मिलता है और पर्यावरण शुद्ध होता है। आज हम बात करेंगे जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी द्वारा बताये गए ग्रंथ साहेब के पाठ की विधी के बारे में जिससे श्रद्धालुओं को सर्वोत्तम लाभ मिलता है।What is Khula Path and Akhand Path? What are the Benefits of doing these path? Explained by SA News Team. Watch Video on YouTube👇https://t.co/bGqqmJFAY0
— SA News Channel (@SatlokChannel) February 21, 2021
पूर्ण परमात्मा द्वारा बनवाये सद्ग्रन्थ में जो ज्ञान है उसमें उन सभी धर्मों के ज्ञान के साथ साथ पूर्ण परमात्मा का भी ज्ञान है। आदरणीय संत गरीब दास साहिब जी, गाँव छुड़ानी, जिला झझर, हरियाणा को 10 वर्ष की आयु में परमात्मा इस प्यारी आत्मा को मिले सब ज्ञान करवाया और आशीर्वाद देकर, नाम दीक्षा देकर चले गए। उसके बाद से भगवान के आशीर्वाद से उन्होंने परमात्मा का ज्ञान प्रकट किया और उनके द्वारा बोली गयी बानी को लिखा जाता रहा और आखिर में उस बानी को एकत्रित करके एक ग्रन्थ साहिब बना दिया गया। उस ग्रन्थ साहिब की बानी में ऐसी शक्ति है कि कोई वाणी में अदला बदली नहीं कर सकता, जिसने करने की कोशिश की उन्हें उसकी सजा भगवान द्वारा मिली।
आज हम उसी पवित्र ग्रन्थ साहिब के पाठ का जिक्र कर रहे हैं। आदरणीय गरीबदास जी महाराज जी द्वारा रचित ग्रन्थ साहिब में सभी युगों का, सभी धर्मों का, आने वाले कल का और बीत चुके कल का सब ज्ञान लिखा है। ऐसे पवित्र ग्रंथ का पाठ करने से पाठ करने वाले व पाठ सुनने वाले को बहुत लाभ मिलता है। सद्ग्रन्थ साहिब के पाठ की सही विधी संत रामपाल जी महाराज जी ने बताई जिसके बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।
क्या होता है खंड पाठ और खुला पाठ?
- अखंड पाठ वह है जिसमें वाणी का खंडन नहीं होता अर्थात वाणी को विराम नहीं दिया जाता। निरन्तर वाणी का पाठ चलता रहता है। अखण्ड पाठ 3 दिन का होता है। सद्ग्रन्थ साहिब का पाठ पढ़ते समय वाणी को विराम दिए बिना पाठी आपस मे सेवा बदलता हैं। एक के बाद दूसरा पाठी सेवा लेता है। पर बानी खण्ड नही की जाती। इस प्रकार पाठ पढ़ते पढ़ते पहला पाठी उठ जाता है तथा दूसरा पाठी बैठ जाता है। और वाणी का पाठ निरंतर चलता रहता है।
- खुला पाठ 3 दिन का न होकर पांच से 7 दिन तक का भी हो सकता है। खुला पाठ के दौरान वाणी को कुछ समय के लिए विराम दिया जा सकता है। बहुत ही आदर से सद्ग्रन्थ साहेब का पाठ, खुला पाठ के अंतिम दिन तक किया जाता है।
पाठ करने के दौरान पाठी को कौन कौनसी विशेष बातों का ध्यान रखना होता है?
पाठ करते समय ग्रन्थ साहिब को विशेष आदर के साथ एक उच्च स्थान पर स्वच्छ कपड़े बिछाकर रखना होता है। नहा धोकर, स्वच्छ कपड़े पहनकर और सिर पर साफ कपड़ा बांधकर ही पाठ पढ़ना होता है। । पाठ के दौरान आसपास बैठे भक्तजन व अन्य पाठी सेवादार वानी को आदर से सुनते हैं। अमृतवाणी के पाठ के दौरान ग्रन्थ साहिब पर चँवर किया जाता हैं जो परमेश्वर का सत्कार व पूजा में आता है।
पाठ शुरू करने से पहले पाठ प्रकाश की वाणी बोलनी होती है उसके बाद सद्ग्रन्थ साहेब का पाठ प्रारम्भ किया जाता है। इसी प्रकार पाठ सम्पूर्ण होने वाले दिन भोग की वाणी बोलकर परमेश्वर को भोग लगाया जाता है और उसी के साथ पाठ पूरा हो जाता है।
वर्तमान ममें संत रामपाल जी महाराज जी के अलावा कोई भी पाठ को विधिवत नहीं करता और यदि करते भी है तो उस वाणी का अनुसरण नहीं करते। पूरे विश्व में संत रामपाल जी ही ऐसे संत हैं जिनके पास मोक्ष मंत्र है वही एकमात्र ऐसे संत हैं जो अपने अनुयायियों से पांचों यज्ञ करा कर उनको मोक्ष प्रदान करते हैं तो आप सब भी देर न करें कहते हैं-
समझा है तो सिर धर पावं, बहुर नहीं रे ऐसा दांव।
वर्तमान में केवल सन्त रामपाल जी महाराज जी हैं जो पूरे विश्व को तत्वज्ञान से परचित करा रहे हैं और ज्ञान के साथ साथ वो भक्ति विधि भी बता रहे हैं जिससे जीव का मोक्ष होगा। इस जानकारी के साथ अब हम विदा लेते है। फिर मिलेंगे अगले विषय के साथ।
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