Spiritual Research: Information about HathYog and Meditation [Hindi]| Spiritual leader Saint Rampal Ji Maharaj

नमस्कार दर्शकों ! "खबरों की खबर का सच " के इस कार्यक्रम में आपका बहुत बहुत स्वागत है। आज हम आपके लिए क्या होता है खंड पाठ और खुला पाठ? (Information about HathYog and Meditation [Hindi]) से जुड़ी जानकारी लेकर आये हैं।

कहते हैं यदि आप आंतरिक शांति, खुशी और सुख की अनुभूति करना चाहते हैं तो ध्यान करना सीखें मैडिटेशन या ध्यान केंद्रित करना हमारे शरीर व दिमाग के लिए बहुत अच्छा माना गया है। आजकल के लाइफस्टाइल में किसी को तनाव न हो, ऐसा कहना गलत ही होगा। बच्चों से लेकर सभी उम्रदराज़ के वर्गों में भी तनाव देखने को मिलता है। जिसे देखो वही टेंशन में दिखाई देता है। तनाव को दूर करने के लिए कुछ लोग नींद की गोलियों का इस्तेमाल करते हैं तो कुछ नशे को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना लेते हैं।

Information about HathYog and Meditation [Hindi

कुछ लोग घूमने-फिरने से टेंशन कम करने की कोशिश करते हैं। तो वहीं बच्चों को तनाव मुक्त करने के लिए ड्राइंग , डांस, म्यूज़िक , लेंगवेज ,स्वीमिंग और स्केटिंग क्लासेज़ ज्वाइन करा दी जाती हैं। जितने लोग हैं उनके पास उतने ही तनावमुक्त होने के उपाय भी मौजूद हैं। परंतु बहुत से लोग हैं जो मैडिटेशन करते समय भी अपने मन को कंट्रोल नहीं कर पाते हैं। पुरातन समय में ऋषि , मुनियों व योगियों ने भी तनाव मुक्त रहने ,एकाग्रचित्त होने और परमात्मा प्राप्ति के लिए हठयोग , समाधि या ध्यान लगाना जैसी क्रियाएं की । भारत में ध्यान का अभ्यास हजारों वर्षों से किया जाता रहा है क्योंकि लोग जानते थे कि यह तनाव को कम करता है, मन को शांत रखता है और आंतरिक एकाग्रता को बढ़ाता है।


1970 के दशक में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के चिकित्सा शोधकर्ताओं ने भारत में किए जाने वाले ध्यान के एक रूप का अध्ययन शुरू किया।  उन्होंने पाया कि ध्यान के अभ्यास के दौरान शरीर में विश्राम प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है, जिससे शरीर को गहरी नींद मिलती है। जो नींद के बाकी हिस्सों की तुलना में अधिक गहरी होती है।  उन्होंने यह भी पाया कि नियमित मेडिटेशन के माध्यम से तनाव को कम किया जा सकता है।

मैडिटेशन (Meditation) के बारे में लोगों के विचार

समाधी या Meditation करने के अलग अलग उद्देश्य हो सकते हैं। कोई योग की इच्छा से  Meditate करता है, कोई मानसिक शांति प्राप्त करने के उद्देश्य से, तो कोई भगवान प्राप्ति के उद्देश्य से समाधि लगाता है। मैडिटेशन करने वाले अपना अनुभव कुछ इस तरह बताते हैं।



  • कोई कहता है उन्हें बहुत शांति मिलती है, शरीर में एक अलग सी एनर्जी आती है, बहुत अच्छा और हल्का महसूस होता है।
  • किसी-किसी को तो मैडिटेशन के दौरान अद्भुत दिव्य प्रकाश दिखाई देता है।
  • कुछ भगवान प्राप्ति के उद्देश्य से हठ योग करते हैं । 
  • कुछेक को विभिन्न देवी देवताओं के दर्शन भी होते हैं।
  • तो किसी को स्वर्ग के दर्शन होते हैं।
  • वहीं कुछ लोग सिद्धियुक्त हो जाते हैं। 


मैडिटेशन (Meditation) करते समय आ रही दिक्कतों और अन्य जानकारी के बारे में 


1.बहुत से लोगों में मैडिटेशन की अवस्था में बैठने से घुटने जाम होने का खतरा बना रहता है, ऐसे में वह मैडिटेशन कैसे करें ? 

2.दिन में कितनी बार और कब-कब मैडिटेशन करना चाहिए? 

3.मैडिटेशन से क्या-2 लाभ व हानियां हो सकती हैं? 4.मैडिटेशन करने का क्या उद्देश्य होना चाहिए? 5.मैडिटेशन करने का सही तरीका क्या है?

6.मैडिटेशन, ध्यान लगाना, समाधि लगाना व हठ योग करना क्या है?


मैडिटेशन कैसे करते हैं?


बाहरी दुनिया से खुद को अलग करके ध्यान लगाना, अपनी अंतरात्मा को जागृत करना, खुद को समझने की कोशिश करना इत्यादि मैडिटेशन है। इसमें दोनों पैरों से पालथी मार कर बैठना या क्रोस लैग्स करके बैठना, आंखे बंद करके बाहरी दुनिया के प्रभाव से प्रभावित न होते हुए धीरे धीरे खुद पर ध्यान केंद्रित करते हुए ,मन के विचारों पर रोक लगाने की प्रक्रिया को मैडिटेशन करना कहा जाता है। मैडिटेशन दिन के किसी भी समय में अपनी सहुलियत अनुसार किया जा सकता है।


मैडिटेशन करते समय विचारों का विरोध नहीं किया जाता परन्तु विचारों के साथ खुद को बहकने भी नहीं दिया जाता। ध्यान लगाते समय बहुत से विचार मन में उठने लगते हैं परंतु निरंतर अभ्यास से ये सब विचार खत्म हो जाते हैं और एक शून्य पर आकर टिक जाते हैं। ऐसे में मन भटकता नहीं और एक स्थान पर केंद्रित हो जाता है। एकाग्रचित्त होकर यदि ध्यान लगाया जाए तो हमारे मन में आने वाले सभी विचारों पर कुछ समय के लिए लगाम लग जाती है और हमारे दिमाग पर इसका बहुत ही अच्छा और/positive प्रभाव पड़ता है , जिससे हमारे सोचने ,समझने की क्षमता बढ़ती है और नकारात्मक विचारों पर रोक लग जाती है। 


मैडिटेशन (Meditation) करने से होने वाले लाभ व हानियां


पहले बात करेंगे मैडिटेशन से होने वाले लाभ की


मैडिटेशन करने से मन को शांति मिलती है, दिमाग तेज़ होता है, सोचने समझने की क्षमता बढ़ती है, नकारात्मकता खत्म होती है, अच्छे विचार मन में आते हैं, तनाव दूर होता है, शरीर चुस्त व तन्दरुस्त रहता है।


मैडिटेशन करने से होने वाली हानियां


वहीं दूसरी तरफ यदि हम ज़बरदस्ती यह क्रिया करते हैं या गलत तरीके से करते हैं तो यह घातक हो सकता है। लंबे समय तक मैडिटेशन करने से घुटनों के जाम होने या घुटनों में दर्द होने जैसी समस्याओं का भी सामना पड़ सकता है। ऐसा कहते हैं ना Extreme of Everything is Bad अर्थात आवश्यकता से अधिक हर चीज़ बुरी है। 

ब्राउन यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए 2017 के अध्ययन में 60 लोगों के ध्यान के अनुभव की जांच की गई। अध्ययन के दौरान यह पता चला है कि ध्यान प्रतिभागियों की भावनाओं, सामाजिक संपर्क को प्रभावित करते हुए आश्चर्यजनक नकारात्मक दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है। अध्ययन के कुछ विषयों ने hallucinations, loss of motivation और पिछली दर्दनाक यादों के फिर से जीवित होने की सूचना दी।

आध्यात्मिक मार्ग में मैडिटेशन को हठयोग कहा गया है

आध्यात्मिक मार्ग में मैडिटेशन को हठ योग भी कहा जाता है। हठ योग करना मतलब ज़बरदस्ती शरीर की आरामदेह स्तिथि के खिलाफ जाकर लंबे समय तक एक ही जगह पर एक ही स्थिति में बैठ कर ध्यान लगाना। जो शरीर के लिए ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक मार्ग के साधकों के लिए बहुत ही हानिकारक है। 

श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 6 के श्लोक 16 में हठ योग के विषय में यह स्पष्ट किया है कि हठ योग छोड़ कर कर्म योगी बनना श्रेष्ठ है। 


गीता अध्याय 6 का श्लोक 16


न, अति, अश्नतः, तु, योगः, अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः।

न, च, अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः, न, एव, च, अर्जुन।।


गीता अनुसार एकान्त में बैठ कर विशेष आसन बिछाकर साधना करना वास्तव में श्रेष्ठ नहीं है। इसलिए हे अर्जुन (तु) इसके विपरीत उस पूर्ण परमात्मा को प्राप्त करने वाली (योग) भक्ति न तो एकान्त स्थान पर विशेष आसन या मुद्रा में बैठने से तथा न ही (अति) अत्यधिक (अश्नतः) खाने वाले की (च) और (अनश्नतः) न बिल्कुल न खाने वाले अर्थात् व्रत रखने वाले की (च) तथा (न) न ही (अति) बहुत (स्वप्नशीलस्य) शयन करने वाले की (च) तथा (न) न (एव) ही (जाग्रतः) हठ करके अधिक जागने वाले की (अस्ति) सिद्ध होती है।


कहीं मैडिटेशन करना तप करने के समान तो नहीं है?

मैडिटेशन करना एक तरह से तप करने के समान है। जो भगवान प्राप्ति के उद्देश्य से समाधी अभ्यास करते हैं वह उनका तप बन जाता है। परन्तु किसी भी सद्ग्रंथ में तप करने को नहीं कहा गया है जिससे यह सिद्ध होता है कि आध्यात्मिक मार्ग में तप करना मना है। तप से रिद्धि-सिद्धि तो प्राप्त हो सकती है पर ईश्वर प्राप्ति असम्भव है। प्रभु के आदेश के विरुद्ध जाकर हठ, तप और योग करने से जीव पाप का भागी बनता है और मोक्ष प्राप्ति से वंचित रह जाता है।


मैडिटेशन करने का उद्देश्य क्या होना चाहिए?

दोस्तों! मैडिटेशन यानि ध्यान अलग-अलग उद्देश्य से किया जाता है। कुछ लोग मानसिक शांति पाने व तनाव से दूर रहने के लिए मैडिटेशन करते हैं तो कुछ लोग आध्यात्मिक मार्ग में आगे बढ़ने के लिए मैडिटेशन करने का सहारा लेते हैं। मैडिटेशन करने का एक ही उद्देश्य होना चाहिए- परमात्मा और मोक्ष प्राप्ति। जी हाँ, परमात्मा मिल गए तो हर तरह का लाभ स्वत: ही मिल जाएगा।


मैडिटेशन करने का सही तरीका क्या है? (सहज समाधी)

बहुत से योगीजन, सन्त, ऋषि मैडिटेशन करने की सलाह तो देते हैं। परंतु वास्तविक मैडिटेशन क्या है जिससे मोक्ष प्राप्त हो सकता है? उसे कैसे करते हैं यह नहीं बता पाते? 

वर्तमान समय में पूरे विश्व में एक महान सन्त धरती पर विद्यमान हैं जिन्होंने मैडिटेशन की सही प्रक्रिया बताई है जिससे जीव यहाँ के भौतिक लाभ ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक लाभ तक प्राप्त कर सकता है। वह महापुरुष जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी हैं जो पूरे विश्व को सहज समाधी का सही तरीका बता रहे हैं।

परमात्मा कबीर जी ने अपनी अमृत वाणी में कहा है-


कबीर, गुरु गोबिंद कर जानिए, रहिए शब्द समाए।

मिले तो दण्डवत बन्दगी, नहीं पल पल ध्यान लगाएं।।


सहज समाधि के द्वारा सोते, जागते, उठते ,बैठते, खाते ,पीते जीवन के हर‌ क्षण में उस एक परमात्मा की याद में तड़प बनाए रखने को सहज समाधि कहते हैं।

अपने गुरुजी को परमात्मा जानों और उनके द्वारा दिये नाम-शब्द का सुमरिन दिन-रात करते रहो और जब जब गुरुजी मिलें तब- तब उन्हें दण्डवत प्रणाम कीजिये और उनका ज्ञान सुनिए। यदि नहीं मिल पाते तो पल पल उनका ध्यान करो, उनके दिए मन्त्रों का सुरति और निरति से जाप करो।

इस तरह अपने गुरु में पल पल ध्यान लगाने की क्रिया को सहज समाधी बताया है जिसमें न तप करना है और न ही एक जगह बैठे रहकर समाधिस्त होना है। चलते फिरते, उठते बैठते परमात्मा के द्वारा दिये नाम मंत्र में ध्यान लगाए रखना है । यही है सहज समाधी यानी वास्तविक मैडिटेशन । इस तरह से मैडिटेशन करने से न तो शरीर में कोई हानि होती है और न ही आध्यात्मिक मार्ग में। स्वांस उं स्वांस से अपने अधिकतर समय में नाम जाप करते रहना चाहिए। इस तरह की सहज समाधी करने से हमें जो लाभ मिलते हैं उनकी गिनती नहीं कि जा सकती।

ये कलयुग के मध्य का भक्ति युग चल रहा है या यूं कहें कि यह मोक्ष का गोल्डन पीरियड चल रहा है जो युगों पर्यन्त मिलता है। ऐसे समय में मनुष्य जीवन होना, तत्वदर्शी सन्त का मिलना और उस सतज्ञान हो जाना बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। 

आज हमें मोक्ष के इस गोल्डन समय में मनुष्य जन्म प्राप्त है। तो अब आपको केवल उस सन्त की शरण में जाकर उनके द्वारा दी जा रही भक्ति विधि तथा नाम-मन्त्रों को प्राप्त करना है, जिन्हें प्राप्त करके आप सहज समाधिस्त होकर अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं और मोक्ष प्राप्त करने का सुअवसर पाएंगे।

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