शिव, शंकर और रूद्र में क्या अंतर है? | Spiritual leader Saint Rampal Ji Maharaj

नमस्कार दोस्तों की खबर के इस प्रोग्राम में आज हम चर्चा करेंगे कि शिव, महेश, रुद्र, सदाशिव, महादेव, महाकाल कौन है ? जिसे  Spiritual leader Saint Rampal Ji Maharaj जी ने अपने सत्संगों में समझाया है.

दोस्तों जैसे कि सभी जानते हैं कि ब्रह्मा जी का कार्य है उत्पत्ति करना, विष्णु जी का पालन, शंकर जी का संहार करना और रूद्र जो इन तीनों से अलग है उनका कार्य है स्वर्ग लोक में देवताओं की मृत्यु करना। दोस्तों ब्रह्मा विष्णु महेश जी पृथ्वी लोक, स्वर्ग लोक, पाताल लोक इन तीनों लोकों में एक-एक विभाग के स्वामी है, भगवान है। 

रजोगुण ब्रह्मा जी, सतगुरु विष्णु जी तमोगुण शंकर जी और महाशिव महाकाल जो है वह गुनातीत माने गए है। दोस्तों यहां आपको बताना चाहेंगे कि भगवान शिव और सदाशिव एक नहीं दो हैं। सदाशिव, महाशिव महाकाल यह सब ब्रह्म (काल) के अन्य नाम है और इस थोड़ी सी भिन्नता के कारण बहुत से लोग भगवान शिव को ही सदाशिव मान लेते हैं जो गलत है।

शिव और सदाशिव पुत्र-पिता के संबंध को दर्शाते हैं। वैसे अक्सर देखने में आता है कि शिवजी.... शंकर जी को भी बोला जाता है और काल ब्रह्म, ज्योति निरंजन को भी बोलते हैं, लेकिन पुराणों में शिव और महाशिव दोनों का जिक्र आया है।

दरअसल बात यह है कि काल ब्रह्म देवी दुर्गा जी के पति और तीनों देव ब्रह्मा विष्णु महेश जी के पिता जी है। जी हां देवी दुर्गा, अष्टंगी, शेरावाली ब्रह्मा विष्णु महेश जी की माता है। देवी भागवत के स्कंद 3 में इसका प्रमाण है। दोस्तों ये बातें शायद आपको अटपटी लग रही हो परंतु वेद पुराणों के अनुसार यह 101% सत्य है।

शंकर जी के विषय में बहुत सी मिथ्यक बातें प्रचलित हैं। हिन्दू धर्म में भगवान शिव जी को लेकर बहुत सी महिमा गायी जाती है।  शिव अजर है, अमर है, अविनाशी है, मृत्युंजय है। और जब उनकी यह महिमा सुनते हैं तो ऐसा लगता है कि भगवान शिव शंकर की उपासना करेंगे तो हमारी मृत्यु भी टल ही जाएगी। पर सबसे बड़ी मिथ्या अब तक यही रही है कि भगवान शिव अजर-अमर, अविनाशी परमात्मा है ! लेकिन ऐसा बिल्कुल नही है। परमेश्वर कोई और है। 

यहाँ हम आपको देवी भागवत महापुराण का एक छंद पढ़कर सुनना चाहेंगे जिसमें ये स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि उनका जन्म-मृत्यु होता है, वे अजर अमर नहीं है। देवी भागवत के पृष्ठ 123 पर भगवान शिव स्वयं कह रहे हैं कि उनकी उत्पत्ति यानी जन्म हुआ है और मृत्यु भी होगी, वे नित्य नहीं है, अविनाशी नही हैं। इस पुराण में लिखी कुछ पंक्तियों से स्पष्ट हो जाता है कि भगवान शिव शंकर की जन्म मृत्यु होती है। जिससे उनकी महिमा में जुड़ने वाले शब्द मृत्युंजय, कालयजय, महाकाल का कोई अर्थ नहीं रह जाता।

दोस्तों आज हम उन सभी उलझनओं को सुलझाने की कोशिश करेंगे जो कहीं ना कहीं भक्त समाज के अंदर एक शंका उत्पन्न कर देती।

दोस्तों ओम् नमः शिवाय मंत्र का जाप और शिवलिंग की पूजा कर भक्त समाज सोचता हैं कि वह शंकर जी की ही आराधना कर रहे हैं लेकिन वास्तविकता तो यह है कि ना तो ॐ नमः शिवाय मंत्र शंकर जी का है और ना ही शिवलिंग पूजा से शंकर जी प्रसन्न होते हैं। शायद आपको बुरा लगे परंतु यह सत्य है कि शिवलिंग पूजा एक बहुत ही बेशर्म पूजा है दरअसल शिव पुराण के अनुसार एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु जी का युद्ध हुआ तब उनके पिता काल सदाशिव ने उनके अभिमान को दूर करने के लिए बीच में एक तेजोमय स्तंभ खड़ा कर दिया फिर बाद में उस स्तंभ को अपने लिंग आकार स्वरूप दिखाया और कहां की है पुत्रों तुम नित्य ही इसकी आराधना करना।जिसके बाद यह शिवलिंग की पूजा प्रारंभ हो गई।

दोस्तों अक्सर देखने मे आया है कि अधिकतर लोग यही जानना चाहते हैं कि भगवान शिव तो परम परमेश्वर हैं तो फिर वे समाधि क्यों लगाए रहते हैं?

दोस्तो कहा जाता है तथा प्रमाण भी लिखा है कि शिव जी की आयु ब्रह्मा, विष्णु जी से भगवान शिव की सबसे अधिक है इसके पिछे एक कारण है।

पुराणों के अनुसार एक बार दुर्गा देवी ने भगवान शिवशंकर से कहा था कि पुत्र तुम्हें क्या चाहिए? तब भगवान शंकर ने देवी से अमर होने की प्राथना की, कि माँ मैं अमर होना चाहता हूँ मुझे अमर होने का वरदान दे दो।

इस पर देवी दुर्गा ने कहा कि पुत्र इस लोक में जो जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है। मैं तुम्हें अमर नहीं कर सकती। पर तुम्हें अधिक आयु का रहस्य बता देती हूँ। यह सुनकर भगवान शिव एक तरफ से तो दुखी थे कि अमर नहीं हो सकते पर यह जानकर प्रसन्न हो गए कि अमर नहीं हो सकता तो क्या हुआ, सबसे अधिक आयु तो होगी। फिर माता दुर्गा ने शिव जी को वह रहस्य उजागर किया जिससे शिवजी की तीनो देवो से सबसे अधिक आयु प्राप्त हुई।


दोस्तों आपने देखा होगा कि भगवान शिव अपना अधिक समय समाधि व्यवस्था में ही लीन रहते हैं।

जब दुर्गा माता से भगवान शंकर ने सबसे अधिक आयु का रहस्य पूछा तो दुर्गा ने बताया-

पुत्र यह शरीर स्वांसों से चलता है और शरीर की आयु भी स्वांसों पर निर्भर करती है। यदि हम  स्वांसों पर थोड़ा नियंत्रण रखें और स्वांस कम ले तो हम आयु बढ़ा सकते हैं। इसके लिए आप समाधि लगाओ तथा  स्वांसों पर पूरी तरह नियंत्रण रख पाओगे। माता की आज्ञा पाकर भगवान शिव समाधि अवस्था में ही अधिकतर रहने लगे जिससे वो अधिक आयु का आनंद ले सकें।

अब आपको भगवान शिवशंकर जी की आयु पर नजर डालते है। 


शिव जी की आयु की गिनतीबहुत बड़ी है। इसे short करने के लिए हम भगवान ब्रम्हा जी की आयु से भगवान शिवजी की आयु का पता करेंगे। 


ब्रम्हा जी की आयु सात करोड़ बीस लाख (7,20,00,000) चतुर्युग है (एक चतुर्युग चार युगों से बनता है ) है। विष्णु जी की आयु ब्रम्हा जी की आयु से 7 गुना अधिक है। और इसी प्रकार भगवान शिव की आयु विष्णु जी की आयु से 7 गुना अधिक है। अर्थात ब्रम्हा जी की आयु को यदि हम 49 से गुण भगवान शिव जी की आयु है।


अब बात करते हैं मंत्र की

शिव पुराण के संस्कृत संस्करण में पृष्ठ 26 पर सदाशिव (ब्रम्हा, विष्णु, महेश के पिता, काल-ब्रह्म) का मन्त्र ॐ लिखा है जिसे अनुवादकों ने ॐ नमः शिवायः कर दिया है जो गलत है। गीता अध्याय 8 के श्लोक 13 में केवल एक ॐ मन्त्र का जाप करने को कहा गया है जो ब्रह्म-काल-सदाशिव का है। ॐ नमः शिवायः मन्त्र का कहीं विवरण नहीं है।


दोस्तों हम देखते हैं कि भगवान शिव जी भी भक्ति किया करते है, लेकिन किसकी? 

कुछ लोगों का मनना है कि भगवान शिव विष्णु जी की भक्ति साधना में लीन रहते हैं तो कोई कहता है कि वे विष्णु जी के अवतार श्री रामचन्द्र जी के नाम का जाप करते हैं। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि शिव शम्भू अपनी ही भक्ति करते हैं। लेकिन अब हम बताएंगे कि वास्तव में भगवान शिव किसकी भक्ति करते है? 


परमेश्वर कबीर साहिब जी ने इस विषय में बताया है कि-

हम बैरागी ब्रह्म पद, सन्यासी  महादेव ।

सोहं नाम दिया शंकर को, वो करे हमारी सेव।।

सृष्टि रचना के प्रारम्भ में कबीर साहेब जी एक ऋषि रूप में ब्रम्हा जी, विष्णु जी और शिव जी से मिले थे। तीनों को तत्वज्ञान समझाया था परंतु काल-सदाशिव के प्रभाव के कारण इन्होंने परमात्मा का ज्ञान स्वीकार नहीं किया था। भगवान शिव ने कबीर साहेब जी की बातों को रुचिकर सुना। शिवजी की रुचि देखकर परमात्मा ने उन्हें सोहं मन्त्र का जाप दिया। भगवान शिव जी आज भी इस मंत्र का जाप करते हैं। 

जो मन्त्र भगवान शिव जाप करते हैं उसका आज तक किसी को भेद नहीं था। कबीर परमात्मा ने स्वयं आकर इसका भेद दिया जिसे जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी ने सबके सामने उजागर किया। सन्त रामपाल जी ने बताया कि सोहं जाप अकेला जपने से भी कोई लाभ नही होगा। 

सोहं सोहं जप मरे, व्यर्था जन्म गवांया।

मोक्ष प्राप्ति के लिए जाप की विधि अलग है जो गीता जी अध्याय नम्बर 17 के श्लोक 23 में वर्णित की है। गीता ज्ञान दाता ने अपने मन्त्र ॐ को तो बता दिया पर मोक्ष मन्त्र का पूर्ण ज्ञान न होने के कारण सभी मन्त्रों को खोल नहीं सका और सांकेतिक शब्द तत सत बताए हैं। आज विश्व में ॐ तत सत यह तीन मोक्ष मन्त्रों का जाप करने की सही विधि केवल सन्त रामपाल जी महाराज ही बता सकते हैं।और किसी के पास इन मंत्रों का ज्ञान नहीं। और न ही किसी और को इन मंत्र की दीक्षा देने का अधिकार है। तो दोस्तों आज आपने देखा कि ब्रह्मा विष्णु महेश जी के माता पिता कौन है शेरावाली माता का पति कौन है सदाशिव महाकाल रूद्र शंकर और महेश में क्या अंतर तथा शिवलिंग पूजा क्या है?

आप सभी दर्शकों से निवेदन है कि तत्वज्ञान को जानने में अधिक समय न लगाओ, नकली गुरु और धार्मिक पीरों के पास समय व्यर्थ मत करो, मनुष्य जन्म बहुत अनमोल है इसे ऐसे ही नही गवाओ। सन्त रामपाल जी महाराज जो ज्ञान बता रहे है वह ज्ञान  सत्संगों के माध्यम से अवश्य सुनें या सन्त रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तकों के माध्यम से पढ़ें और अपने मानव जीवन को व्यर्थ होने से बचाये। सन्त रामपाल जी महाराज जी की शरण ग्रहण कर अपना व अपने परिजनों का कल्याण करवाएं।

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10 Comments

  1. Bhai kyu logo ka chutiya Kat ta Hai agar jyada gyan Hai to debate krle mtlb Tu kon se majhab ka chamcha Hai apna naam Bata bencho logo ko parivartan karane ka Naya tool chala raha Hai aur jo Tu ved aur Geeta ka Sahara le raha Hai Mt le ved aur Geeta satya Hai pr puran me hame Pata Hai kya likha tha aur mughalo aur angrezo ne kya likhwa Diya isliye kabir aur rampal ke pille logo ko dharm se hatane ka prayas Mt kr

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    1. Debate Krlo... Unke No. Par Call krke, 2014 mein Sant Rampal Ji Maharaj , ne Sab धर्म गुरु को Debate mein बुलाया था, लेकिन कोई आया ही नहीं । इसे पता चलता है, की यह धर्मगुरु नकली।है, इनको आध्यात्मिक ज्ञान 0 है । केवल संत रामपाल जी महाराज ही सही ज्ञान बता रहे है ।

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    2. Tu bhi chutiya aur tera rampal bhi bakwas mat kar tere rampal ne kabhi ved dekhe bhi hain

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  2. Galat information dena bnd kr aise websites block ho jani chahiye..thodi to sharm kro..

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  4. Brother what are you writing, please. It seems you are wanting us to follow Mr. Rampal ji. To thik se nunn leoo: hum sanatani bhai, Mahakal ke alawa kisi ko follow nahin kar sakte, unhi ke niyamon ke anusaar le bhii lenge aur de bhii denge, isliye logon ko vevkuf mat banaoo bhai, otherwise Mahakal ya unke rudra roop tumhe dand denge.. Samajh jaa bhai, abhi jyada der nahin huaa hai??

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  5. "खाता ना वही ,रामपाल जो कहे वो ही सही"। तुम्हारे रामपाल को ही तत्व ग्यान है,
    क्या खाकर लिख्ते हो इत्तना बेतुका तरक ॐ नम: शिवाय का मत्लब नही श्य्म्भू सवरुप की
    पुजा को अपशब्द से सम्बोधित करते हो और नाम के आगे संत लिखते हो कुछ शर्म करो.

    सलाह्कर्ता--- महेश पंडित दिल्ली

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  6. Yah gyan Raampaal ji ne tumhe diya kya, adhi se jyada baare galat h

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  7. कुछ भी बकेगा क्या?

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  8. tumko bhahut pata hai na ki shiv ji per berham nahi so Jayda Gyan mat bato dhongi hai lord Shiva ka apman ker rahe ho tum kon ho a dongi band ker

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