संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा नाम जो आध्यात्मिक जगत के सच्चे संत हैं और सबसे बड़ी बात समाज सुधार के लिए प्रयत्नशील समाज सुधारक (Social reformer) हैं। संत रामपाल जी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। साथ ही, उनका ज्ञान अद्वितीय है और सबसे बड़ी बात यह है कि वे सभी पवित्र धर्मग्रंथों के अनुसार सही भक्ति विधि बताते हैं।
सतभक्ति से लाभ प्रोग्राम द्वारा समाज के ऐसे लोगों को सामने लाया गया जो न जाने कितनी समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सद्भक्ति से उनकी सभी समस्याएं खत्म हो गईं और उन्हें एक नई ज़िंदगी मिली जो आज लाखों लोगों के लिए उदाहरण हैं। तो आज हम आपको एक ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी से परिचित करवाएंगे जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ बल्कि शारीरिक और आर्थिक लाभ भी मिला।
"सतभक्ति से लाभ-Benefits of True Worship" की थीम इस प्रकार है
- आप बीती ( लोगो की दुख भरी कहानियां)
- प्रेरणा (संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की)
- बदलाव ( नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी)
- अनुभव (नाम लेने से पहले और बाद का)
- समाज को संदेश
- सारांश
ऋषिपाल (Rishi Pal ) जी की आपबीती
मेरा नाम ऋषिपाल (Rishi Pal) है। मैं गांव - जोली, जिला - अंबाला, हरियाणा से हूँ। पहले हम देवी-देवताओं की बहुत ज्यादा भक्ति करते थे। ब्रह्मा, विष्णु, महेश और दुर्गा माता की भक्ति करते थे। नवरात्रों में व्रत रहना, नैनादेवी, कांगड़ा चामुंडा सब जगह मैं माता दुर्गा के यहाँ गया था। घर में आसन लगाया हुआ था, मैं माता दुर्गा की बहुत ही ज्यादा भक्ति करता था, शनिवार का व्रत रखता था। पितरों की पूजा और हिन्दू धर्म में चली आ रही सब पूजाएं करते थे लेकिन माता दुर्गा की बहुत ज्यादा भक्ति करते थे।
संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
मैंने संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा 25 मार्च 2017 में ली। 2011 से मेरी माताजी संत रामपाल जी महाराज की शरण में थी जिनका मैं बहुत ज्यादा विरोध करता था। संत रामपाल जी महाराज का मैं इतना ज्यादा विरोध करता था कि जब भी मेरी माताजी सत्संग या कहीं भी गुरुजी की शरण में जाती थी तो मैं बहुत भला-बुरा बोलता था उनको। और नशा बहुत ज्यादा करता था, मेरी माताजी मुझे बहुत समझाती थी कि बेटा तू छोड़ दे इसको और परमात्मा संत रामपाल जी महाराज की शरण में आजा लेकिन मैंने उनकी कभी नहींं मानी। मैं उनको गालियां भी देता था लेकिन वो हमेशा कहती थी कि बेटा तुझे अभी पता नहींं, जब पता चलेगा तो बहुत रोयेगा।
मैं इतना नशा करता था, कोई नशा ऐसा नहींं है कि मैं नहींं करता था। मैं बीड़ी, तम्बाकू, गुटका, शराब, कुकी, सुल्फा, गांजा, गोली, कैपशूल सबका नशा करता था। सूखा नशा मैं इतना करता था कि एक नशा करके तो मुझे रात को नींद नहींं आती थी इसलिए 3 डोज लेता था, पहले शराब पीता था, फिर गांजा पीता था और फिर भी कुछ कमी रह गयी तो गोली-कैपशूल खाता था। ऐसा नहींं है कि मैं शौक से नशा करता था, मैं मजबूरन नशा करता था। मेरे पिताजी इसी नशे से ग्रस्त होकर मर गए, वो भी बहुत ज्यादा नशा करते थे क्योंकि हमारे घर प्रेत-बाधा थी। जब मैं सुध में होता था तो मैं मेरे बच्चों को देखकर रोया करता था, छोटे-छोटे बच्चे थे 2 लड़कियां और 1 लड़का, तो मैं ये सोचकर रोया करता था कि तू तो मर जायेगा फिर इनके साथ क्या होगा, तू तो मर जायेगा तेरे पिताजी भी मर गए इस नशे से लेकिन इनका क्या होगा। लेकिन मैं मजबूर इतना हो जाता था कि नशे बिना रह नहींं सकता था।
बीड़ी तो मैं जब 10-12 साल का था तब से पीता था। जब मैं आता था तो पड़ोसी भी सोचते थे कि अब ये आ गया अब इनके घर लड़ाई होगी, इतनी लड़ाई रोज हमारे घर में हुआ करती थी। वो कहते हैं ना भूत-बंगला तो भूत-बंगला था हमारा घर, प्रेत बाधा थी हमारे घर में और बहुत ज्यादा तंग थे हम लोग। मेरी माताजी समझाया करती थी कि बेटे तू नाम ले ले संत रामपाल जी महाराज से लेकिन मैं उनको बहुत भला-बुरा कहता था और कभी उनकी नहींं सुनी। जब मैं नशा करके थक लिया, पूरा खत्म हो लिया, मेरे अंदर 50 किलो से भी कम वजन रह गया था।
जब मैं रात को सोता था तो सुबह उठता तो पूरा शरीर गीला हो जाता था, रात को प्रेत आत्माएं मुझे बहुत तंग करती थीं, कई बार दर्शन देती थीं तो मेरे ऊपर बहुत दबाव हो जाता था अगर मैं थोड़ा-सा नशे से बाहर हो जाता था। फिर एक दिन परमपिता परमेश्वर संत रामपाल जी महाराज की मेरे ऊपर कृपा हुई, पता नहींं मैंने कोई पुण्य किया होगा जिससे कि मैंने मेरी माता से संत रामपाल जी की पुस्तक "ज्ञान गंगा" ली जबकि मेरी माताजी मुझे पहले भी कहती थी कि बेटा ये पुस्तक पढ़ ले मैंने कभी नहींं पढ़ी।
कई बार मुझे वो पुस्तक दी मैंने ऐसे ही रख दी। दास का एक छोटा-सा टेप सर्विस का काम है, मैं वो पुस्तक अपनी माता से लेकर दुकान पर चला गया। 2-3 दिन वो पुस्तक वहां भी पड़ी रही। एक दिन दोपहर में मैं खाली था तो मैंने सोचा आज पढ़ते हैं पुस्तक को क्योंकि मेरी माताजी बैठकर पढ़ा करती थी पुस्तक को और मैं देखा करता था। तो मैंने वो पुस्तक खोली और पढ़ी। मैंने किसी का इंटरव्यू नहींं देखा था और ना ही उसमें जो इंटरव्यू लिखे हैं वो पढ़े थे। मैंने बस उस पुस्तक ज्ञान गंगा का पेज खोला और उसको पढ़ना शुरू किया, 4-5 पेज ही मैंने पढ़े।
मेरी दुकान में ऐसा कोई स्थान नहींं था जहां बीड़ी का बंडल और माचिस ना मिले, चौबीसों घण्टे मेरे मुंह में बीड़ी रहती थी तो मैंने बीड़ी हाथ में ले रखी थी और पुस्तक आगे थी तो जब पुस्तक पढ़ी तो बीड़ी का स्वाद बिगड़ गया, मैंने वो बीड़ी गिरा दी और मेरे से बीड़ी नहींं पी गयी। मैंने पुस्तक के 1-2 पेज और पढ़े, फिर रख दी और घर आ गया। 3 दिन ऐसे ही चला और 3 दिन में आधी पुस्तक पढ़ दी तो मेरे से रहा नहींं गया। मैंने अपने मामाजी, उन्होंने भी संत रामपाल जी से नामदीक्षा ली हुई है, उनको फ़ोन किया और मेरी माताजी से कहा कि मैं नाम लेना चाहता हूँ तो उन्होंने कहा कि आ जाओ। मैं अपने मामाजी के पास गया, वो मुझे कुरुक्षेत्र लेकर गए, वहां पर जाकर मैंने संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा ली।
नाम दीक्षा लेने के बाद जिंदगी में आए बदलाव
संत रामपाल जी महाराज से नाम लेने के बाद हमें बहुत लाभ प्राप्त हुए। मेरी पत्नी बहुत ज्यादा बीमार रहती थी। उसको 2-2 महीने मैं अस्पताल में उठाकर फिरता था, उसको छाती में तेजाब बनता था, पानी का भी उसका तेजाब ही बनता था कोई बेनिफिट नहींं होता था। तो मैं 2-2 महीने अपनी पत्नी के साथ अस्पताल में रहता था। लेकिन संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेने के बाद वो बिल्कुल सही है। मैंने भी संत रामपाल जी महाराज से दीक्षा ली और उसने भी दीक्षा ली है, वो भी परमात्मा संत रामपाल जी महाराज की शरण में है।
दूसरा, हमारे घर में जो प्रेत-बाधा थी वो भी बिल्कुल खत्म है। पहले हमारा घर बिल्कुल नरक था, हमारे घर में रिश्तेदार भी नहींं आते थे कि इनका घर तो भूत-बंगला है। हर समय लड़ाई होती थी, मैं बोलता रहता था कभी माताजी के साथ, कभी पत्नी के साथ। तो अब बिल्कुल सही है, कोई प्रेत-बाधा नहींं है, बिल्कुल सही जिंदगी जी रहे हैं। पहले मैं दुकान पर रात को 12-12 बजे तक काम करता था और जेब में 10 रुपये भी नहींं निकलते थे, इतना बुरा हाल था मेरा। आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी मेरी, 10-10 रुपये के लिए तंग रहता था। जैसे मेरी पत्नी की दवाई चलती थी तो बहुत दिक्कत आती थी। अब परमात्मा की दया से ना ही तो मेरे घर में कोई बीमारी है और बढ़िया जीवन जी रहा हूँ, कोई परेशानी नहींं है, प्रेत-बाधा नहींं है।
सबसे बड़ा लाभ ये हुआ कि जिस परमात्मा को पाने के लिए साधु-संतों ने शरीर गला दिए और राजा-महाराजाओं ने राज छोड़ दिए। लेकिन उस परमात्मा की जानकारी मुझे मिली संत रामपाल जी महाराज के माध्यम से जो कि खुद कबीर साहेब आये हुए हैं संत रामपाल जी महाराज के चोले में। जिस दिन मैंने संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा ली, उस दिन से मेरा नशा बिल्कुल खत्म हो गया। पहले में इतना नशा करता था अब मेरे से बीड़ी पीने वाले के पास खड़ा ही नहींं हुआ जाता, धुंआ से ही बहुत ज्यादा चक्कर आते हैं और अब मैं कोई नशा नहींं करता और बहुत ही बढ़िया जीवन जी रहा हूँ। जो प्रेत-बाधा थी वो भी खत्म हो गयी और आर्थिक स्थिति बहुत सही हो गयी पहले से। पहले लोगों के खेत में फसलें हुआ करती थी मेरे खेत में अड़ंगा होता था। अब बिल्कुल सही है, खेत में बढ़ियां फसल होती है, बढ़ियां मेरा काम चल रहा है परमात्मा की बहुत दया है।
नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
मेरा समाज को संदेश
नशा ऐसे नहींं छूट सकता। सरकार भी नशा छुड़ाने के लिए इतना प्रयत्न करती है लेकिन नशा नहींं छूटता, क्योंकि जब तक ये मन रूपी काल अंदर बैठा है, जब तक ये मनाही नहींं करेगा तब तक नशा नहींं छूट सकता और ये मनाही तब करेगा जब संत रामपाल जी महाराज की शरण में आएंगे क्योंकि ये ही वो सुप्रीम पावर हैं, यही वो परमात्मा है जो नशे से इंसान को निकाल सकते हैं। मेरे पिताजी पढ़े-लिखे और सर्विस में थे, मैं तो इतना पढ़ा-लिखा हूँ नहींं, हम उनके बच्चे थे तो वो भी रोते थे हमें देखकर कि अब मैं मर जाऊंगा मेरे बच्चों का क्या होगा। लेकिन वो मर गए उनका नशा नहींं छूटा, डॉक्टरों ने भी पूरा जोर लगा लिया था।
नशा करते-करते उनको टीबी की बीमारी हो गयी थी, डॉक्टरों ने इतना जोर लगाया कि वो बीड़ी छोड़ दें, लेकिन वो बीड़ी भी नहींं छोड़ सके शराब तो कहां छोड़ सकते थे, बीड़ी भी नहींं छोड़ सके, वो मर गए। तो संत रामपाल जी महाराज ही इस नशे से छुटकारा दिला सकते हैं नहींं तो इस संसार में दूसरी ऐसी कोई शक्ति नहींं है जो इस नशे से बाहर निकाल सकती है। आज कई चैनलों पर संत रामपाल जी महाराज का सत्संग आता है, उस पर पीली पट्टी चलती है उसमें नम्बर आते हैं उन पर सम्पर्क करके संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा ले सकते हैं।
सारांश
"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" प्रोग्राम में बताया गया कि "संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद लोगों को लाभ हो रहे हैं" पूर्णतः सत्य हैं। जिसका आप चाहें तो निरीक्षण भी कर सकते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ोंअ नुयाई हैं और ऐसे लाखों उदाहरण हैं जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद बहुत सारे लाभ मिले हैं।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति से कैंसर, एड्स व अन्य लाइलाज बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथ ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, 5, सूक्त 162 मंत्र 5 और सूक्त 163 मंत्र 1-3 में प्रमाण है कि हर बीमारी का इलाज सतभक्ति से ही संभव है, साथ ही वह परमात्मा अपने साधक की अकाल मृत्यु तक टाल सकता है और उसे 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है तथा उस परमात्मा की सतभक्ति से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान पवित्र वेद, पवित्र शास्त्रों के अनुसार है और पवित्र गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में जिस तत्वदर्शी संत के बारे में जिक्र आया है वह तत्वदर्शी संत कोई ओर नहीं संत रामपाल जी महाराज ही हैं। तो देर ना करते हुए आप भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझे और उनसे नाम दीक्षा लेकर मोक्ष मार्ग प्राप्त करें और 84 लाख योनियों के जन्म मरण से छुटकारा पाएं।
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