संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा नाम जो आध्यात्मिक जगत के सच्चे संत हैं और सबसे बड़ी बात समाज सुधार के लिए प्रयत्नशील समाज सुधारक (Social reformer) हैं। संत रामपाल जी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। साथ ही, उनका ज्ञान अद्वितीय है और सबसे बड़ी बात यह है कि वे सभी पवित्र धर्मग्रंथों के अनुसार सही भक्ति विधि बताते हैं।
सतभक्ति से लाभ प्रोग्राम द्वारा समाज के ऐसे लोगों को सामने लाया गया जो न जाने कितनी समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सद्भक्ति से उनकी सभी समस्याएं खत्म हो गईं और उन्हें एक नई ज़िंदगी मिली जो आज लाखों लोगों के लिए उदाहरण हैं। तो आज हम आपको एक ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी से परिचित करवाएंगे जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ बल्कि शारीरिक और आर्थिक लाभ भी मिला।
सतभक्ति से लाभ-Benefits of True Worship की थीम इस प्रकार है
- 1. राजकुमार (Rajkumar) जी की आपबीती
- 2. संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
- 3. नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी में आये बदलाव
- 4. नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
- 5. मेरा समाज को संदेश
- 6. सारांश
राजकुमार (Rajkumar) जी की आप बीती
मेरा नाम राजकुमार (Rajkumar) है। मैं गांव - दौलतपुर, जिला - बुलंदशहर, उत्तरप्रदेश का रहने वाला हूँ। संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने से पहले हम अपने समाज में प्रचलित साधनायें करते थे। जैसे देवी-देवताओं की पूजा करना, त्यौहार मनाना, गंगा स्नान करना। हमारे घर में ऐसा नियम था कि हर पूर्णमासी को जिसका भी नम्बर लगता कोई ना कोई गंगा स्नान करने जाता था और इस नियम का लगभग 5-7 साल हमने पालन किया। जैसे कहते हैं ना देवताओं की भक्ति करने से, भगवान की भक्ति से दुःख दूर होते हैं और जो परेशानियां आती हैं वो टल जाती हैं, ऐसा कुछ भी हमें नहीं दिख रहा था जिससे कह सकें कि देवी-देवताओं की भक्ति करने से ये सुख मिलता है।
फिर हमें पहले से ही ये प्रेरणा थी कि अगर परमात्मा है तो हमारे दुःख दूर क्यों नहीं करता, हम ऐसे भगवान की भक्ति करें जो हमसे बात करे यानि भगवान के बारे में बताने वाला कोई संत मिले, जो हमें हमारे ज्ञान की जो तड़प है कि परमात्मा ने ये सृष्टि बनाई, ये सब कुछ बनाया ये क्यों बनाया? हम दुःखी क्यों है? और यहां से सुखी होने का रहस्य क्या है? इसके बारे में बताने वाला संत मिले यानि भगवान के बारे में बताने वाला संत मिले जिसको हम गुरु बनाकर के भक्ति करें, तो ये साधनायें हम करते थे।
एक छोटी सी घटना है। हमारे परिवार में एक मुकदमा चला था जमीन का, उसमें हमें पैसों का बहुत नुकसान हुआ था। मेरे पिताजी दिल्ली सिलाई का काम करते हैं। ये एक मजदूरी की तरह है कि परिवार का एक सदस्य जिस पर परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी हो और वो ही व्यक्ति अगर मुकदमा लड़ेगा, तारीखों पर जाएगा, पैसे खर्च करेगा तो फिर परिवार का पालन-पोषण कैसे होगा? मतलब परिवार की आर्थिक तंगी बहुत ज्यादा हो गई, जिसकी वजह से हमने भक्ति की आड़ लेनी चाही।
इसी क्रम में किसी ने सलाह दी कि आप आसाराम बापू जी से नाम ले लो और गुरु बनाकर भक्ति करने से दुःख दूर होते हैं तो हमने आसाराम बापू जी से 2001 में दीक्षा ली थी। जब इस दास की उम्र लगभग आठ साल थी। आसाराम से नामदीक्षा हमारी मम्मीजी, पापाजी और मैंने तीनों ने साथ ली थी। उसके बाद भक्ति की लेकिन भक्ति का कोई खास फायदा नहीं हुआ। हमारे पिताजी को दमा-सांस की बीमारी थी और इतनी भयंकर थी कि कभी-कभी वो अपने दैनिक कार्य जैसे सुबह उठकर अपना सामान्य काम करना वो भी नहीं कर पाते थे और हमारे मम्मी जी को BP low की समस्या थी, हर तीसरे दिन उनका BP low हो जाया करता था।
बहुत समस्या रहती थी जिससे वो अपना दैनिक कर्म जैसे नहाना, धोना, पूजा करना इत्यादि में भी उनको दिक्कत होती थी। अब आसाराम जी से जो भक्ति ली थी तो उनका नियम था कि सुबह उठकर नहा-धोकर ही पूजा-पाठ करना हैं। अब जो बीमार व्यक्ति है वो कैसे पूजा-पाठ करेगा तो इस तरह से भक्ति करते हुए भी दिक्कतें आ रहीं थी।
संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा 27 जून 2005 में ली थी। सन् 2004 में हमारे पिताजी करावलनगर, दिल्ली में काम करने जाते थे। घर से जैसे वो वहां के लिए रवाना हुए तो एक सतीश भक्त जी करावलनगर, दिल्ली के हैं तो उनके घर में परमेश्वर स्वरूप संत रामपाल जी महाराज का 4 दिवसीय सत्संग था 14-18 अप्रैल 2004 में तो पिताजी ने देखा वहां पोस्टर लगे हुए थे कि काल कौन है? हम सभी देवी-देवताओं की इतनी भक्ति करते हैं फिर भी दुःखी क्यों हैं? वो परमेश्वर कौन है जो हमें दुःखी से सूखी कर सकता है? इन सभी प्रश्नों का उत्तर पाने के लिए और ज्ञान की तड़प को पूरा करने के लिए हम भक्ति कर रहे थे और यहां जब उससे सम्बंधित बातें पढ़ी तो पिताजी को बड़ी खुशी हुई।
तो उन्होंने वहां रुक्के सत्संग सुना तो सत्संग में सतगुरुदेवजी संत रामपाल जी महाराज बता रहे थे कि जो ब्रह्मा, विष्णु, महेश की भक्ति करते हैं उनके पाप नहीं कट सकते, उनके दुःख दूर नहीं हो सकते क्योंकि ये इनकी शक्ति से बाहर की बात है और इन देवी-देवताओं की भक्ति नहीं करनी चाहिए। आसाराम जी, सुधांशु जी ये गलत भक्ति बताकर के भक्त समाज को गुमराह कर रहे हैं इसके बारे में संत रामपाल जी सत्संग में समझा रहे थे। ये सब बातें सुनकर के मेरे पिताजी को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा क्योंकि मेरे पिताजी और हम सबने आसाराम जी से नामदीक्षा ले रखी थी कि भाई ये तो आसाराम जी के बारे में गलत बोल रहे हैं, किसी के बारे में ऐसा नहीं बोलना चाहिए।
लेकिन संत रामपाल जी महाराज ने ये जानकारी देने के साथ-साथ सद्ग्रन्थ दिखाए जैसे गीताजी, वेद, पुराण दिखाए। उन सब में गुरुजी ने उंगली रख-रख के पढ़ाया कि देखो सद्ग्रन्थ हमें ऐसे बताते हैं तो जब पिताजी ने ये सच्चाई देखी तो उन्हें बहुत ही ज्यादा अचंम्भा लगा कि ये तो सच्ची बात है जो हमारे ग्रंथ बता रहे हैं। श्रीमद्भगवद्गीता का हम एक अध्याय का रोजाना पाठ करते थे क्योंकि हमें बताया गया था कि गीता के पाठ से ज्ञान यज्ञ और उससे हमारे दुःख दूर होते हैं लेकिन उसमें रहस्य क्या है ये हम नहीं समझ पाए। जब संत रामपाल जी महाराज ने प्रोजेक्टर के माध्यम से श्रीमद्भागवत गीता को पढ़ाया और उसके रहस्य से परिचित करवाया तो पिताजी को बहुत अचंम्भा हुआ कि अरे हमारे सद्ग्रन्थ ये बता रहे हैं और हम ये साधना कर रहे हैं इसलिए हम दु:खी हैं।
तो पिताजी ने चार दिन लगातार वहां सत्संग सुना और इस दास को भी परमात्मा का ज्ञान सुनने का सुअवसर प्राप्त हुआ और भक्ति व भगवान की तलाश थी, उसके बारे में जानकारी मिली। बड़ी खुशी हुई कि हे परमात्मा हम आपके लिए तड़प रहे थे और अब हमारी तड़प पूरी हो जाएगी, ज्ञान की भूख पूरी हो जाएगी। फिर वो पुस्तकें हमने पढ़ी तो उन पुस्तकों के पढ़ने से हमें यथार्थ ज्ञान हुआ कि सृष्टि कैसे रची गयी है, कोई जानकार बता सके कि सृष्टि रचना कैसे हुई, तो संत रामपाल जी महाराज ने सबूतों के साथ सृष्टि रचना सुनाकर के सभी धर्मों के पवित्र सद्ग्रन्थों से यह प्रमाणित कर दिया कि पूर्ण परमात्मा कौन है, कैसे सृष्टि रची गयी।
इसके बाद हम तीनों सतलोक आश्रम करौंथा गए और वहाँ से सतगुरु रामपाल जी से नामदीक्षा ली। नाम लेने के बाद उनके दर्शनों के लिए गए तो सतगुरु रामपाल जी ने दूर से ही देखकर बता दिया कि आप लोगों की भक्ति में आस्था तो बहुत है लेकिन यहां आने में बहुत समय लगा दिया आप लोगों ने, हमें देखते ही गुरुजी ने बता दिया था कि आप करावलनगर, दिल्ली से आये हो और ये ज्ञान तो आपने एक साल पहले ही सुन लिया था, इतना समय कैसे लगा दिया? ये ज्ञान तो जादू का काम करता है यानी हमें विश्वास हुआ कि ये स्वयं परमात्मा हैं हमारे बिना बताए ही इन्होंने सब बता दिया कि हम करावलनगर से आये हैं और एक साल पहले इन्होंने सत्संग सुना था।
नाम दीक्षा लेने के बाद जिंदगी में आए बदलाव
संत रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा लेने के बाद हमें बहुत सारे लाभ प्राप्त हुए। जैसे - हमारी मम्मी को BP Low की समस्या आये दिन रहती थी तो संत रामपाल जी महाराज से दीक्षा लेने के बाद उनको BP Low की कोई समस्या नहीं रही जोकि उन्हें पहले रहती थी। और हमारे पिताजी को दमा-सांस की समस्या थी वो भी बिल्कुल ठीक हो गयी और अब परमात्मा की ऐसी दया है वो बिल्कुल ठीक रहते हैं और अपना दैनिक कार्य आराम से कर लेते हैं। और जब हम सत्संग में आते थे तो लोग ताने मारते थे कि तुम्हारे संत रामपाल जी महाराज पूर्ण संत हैं, सच्ची भक्ति बताते हैं, तो उससे पूर्ण सुख होने चाहिए, तुम्हारा कच्चा घर है, पक्का क्यों नहीं है, उनसे कहकर पक्का घर बनवाओ, आप अपना घर ना बना लो। तो इस तरह से ताने मारते थे। तो हमारी मम्मी जी ने सतगुरुदेवजी से दर्शनों की लाइन में प्रार्थना की कि गुरुजी इस तरह से बोलते हैं तो गुरुजी ने कहा कोई बात नहीं बेटा, बोलने दो उनको, परमात्मा सब दया करेंगे और रही घर बनवाने की बात, तो घर परमात्मा बनवाएंगे। परमात्मा 120 साल काशी में झोपड़ी में रहकर गए थे, झोपड़ी इतनी बुरी नहीं है, आप भक्ति करो बस परमात्मा सबकुछ ठीक करेंगे।
परमात्मा की दया से ये दास भंडारे में सेवा कर रहा था, परमात्मा ही करवाते हैं सेवा, उस दौरान मम्मी जी ने मेरे कहा कि आप गुरुजी से प्रार्थना लगवाओ घर बनवाने के बारे में क्योंकि परेशानी इतनी आ रही थी। लोग तंग करते थे कि आप पैसे खर्च करते हो तो पैसा इकट्ठा करके आप घर ना बनवा लो, क्यों तंग होते हो और गुरुजी को भी भला-बुरा कहते थे तो इस दास ने परमात्मा संत रामपाल जी महाराज के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना की कि हे परमात्मा आप सबकी सुनते हो, सबके दु:ख दूर करते हो, एक अरदास इस दास की भी सुनलो परमात्मा हमारा घर बनवा दो। गुरुजी ने एक बार इस दास को देखा और बोले कि कोई बात नहीं बेटा बन जायेगा घर, बनवा देंगे।
उसके 15 दिन बाद ही हैरान करने वाली बात हुई कि जो लोग हमारा विरोध करते थे वो लोग हमारे साथ खड़े हो गए, उन्होंने कहा कि आपको घर बनाना है, घर की जरूरत है तो आप हमसे पैसा ले जाओ और घर बनाओ अपना। तो परमात्मा की ऐसी दया हुई कि 2 महीने के अंदर-अंदर ही घर बनकर तैयार हो गया अपना, जिसकी वजह से घर बनाने के बारे में लोगों का ताना देना भी बंद हो गया। और गांव के प्रधान की एक स्कीम होती है घर बनवाने के बारे में तो वहां भी हम बहुत बार फॉर्म लेकर पहुंचे ताकि सरकार की स्कीम के तहत हमारा घर बन जाये लेकिन उन्होंने कोई सुनवाई नहीं करी।
आप समझते हो कि बिना पैसे के कोई काम आगे नहीं बढ़ता और हमारे गुरुजी का आदेश रिश्वत देने का नहीं है इसलिए वहां हमें सफलता नहीं मिल पा रही थी लेकिन सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से प्रार्थना करने के बाद हमारा घर बना। परमात्मा ने बहुत ही दया की हमारे ऊपर और आज हम उस घर में आराम से रह रहे है। और एक लाभ ओर है जैसे नामदीक्षा लेने से पहले हम चूल्हे पर खाना पकाते थे तो परमात्मा ने गैस कनेक्शन करवाया और अड़ोसी-पड़ोसी कहते थे कि तुम तार डालो, घर में उजाला हो जाएगा ये लैंप, दीया क्यों जलाते हो तो हमारे गुरुजी ने समझाया कि बेटा चोरी से काम नहीं करना अगर भगवान ने सुविधा देनी है तो 1 नम्बर से देगा, 2 नम्बर से मत करना चाहे बिना सुविधा के रह लेना। तो परमात्मा के वचनों का पालन करते हुए हम दीया या लैंप से ही पढ़ाई करते थे, दास ने इंटर तक की पढ़ाई लैंप से की है और उसके बाद परमात्मा ने बिजली का कनेक्शन करवाया और वो ऐसी सुविधाएं है जो कभी खत्म नहीं होंगी, हम सतभक्ति कर रहे हैं, जो परमात्मा अपनी तरफ से सुविधाएं देता है वो खत्म नहीं होती लेकिन हमें नियम में रहकर भक्ति करनी होती है जिससे परमात्मा वो सुविधाएं देता है।
परमात्मा ने इस दास और हमारी मम्मी जी के साथ में अनहोनी की थी। जब दास 9वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा था तो परीक्षा नजदीक थी तो देर रात तक पढ़ाई करनी पड़ती थी तो नींद ना आये पढ़ते हुए तो रात को 10-11 बजे दास चाय बनवा लेता था और उसके बाद फिर पढ़ने के क्रम में लग जाता था। तो इसी क्रम में मम्मी ने चाय बनाई तो पतीली में ऊपर वाली साइड में एक छिपकली थी जो दिखाई नहीं दी थी तो मम्मी ने उसी में चाय बनाकर हमें दे दी। मम्मी को भी पता नहीं लगा उस समय और उसके बाद वो चाय मेरे गिलास में भी हो गयी और मम्मी जी के गिलास में भी गयी।
अब चाय पीते-पीते जैसे ही उस छिपकली का मुंह दिखा क्योंकि दीया का उजाला बहुत कम होता है स्पष्ट तौर पर उसमें नहीं दिखता लेकिन उसके बाद मुझे लगा कि चाय वाले गिलास में कुछ है तो उसके बाद दीया के उजाले में देखा तो छिपकली का मुंह खुला हुआ था और उसके पंजे ऊपर को थे तो मैंने कहा मम्मी ये तो हमने जहर खा लिया, छिपकली में तो बहुत जहर होता है सांप के बराबर, तो हमें तो दिक्कत हो जाएगी। अब क्या करें रात को साढ़े 11 बजे का समय है और गांव में ऐसी सुविधा नहीं होती कि डॉक्टर को दिखाओ। सब सोयें पड़ें हैं अब क्या करें। तो हमें संत रामपाल जी महाराज पर पूरा भरोसा था कि जिंदगी और मौत संत रामपाल जी महाराज के हाथ में है। हम परमेश्वर की सद्भक्ति करते हैं हमें कुछ नहीं होगा, इस बात का हमें पूरा विश्वास था।
हमने किसी को कुछ नहीं बोला और हम परमात्मा का अमृत जल प्रसाद लेकर सो गए। उसके बाद हम सुबह उठे तो सोचे कि हम मरे नहीं, परमात्मा ने दया कर दी। इस तरह से उठे की जैसे बिल्कुल फ्रेश मूड से जैसे कि शाम को बुखार की दवाई खाकर व्यक्ति सुबह उठता है एकदम फिट, इस तरह से हम उठे। किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई। अगले दिन मैंने डॉक्टर को बताया कि ऐसे-ऐसे दिक्कत हमारे साथ हुई तो उन्होंने बोला कि अगर चिकनाई की चीज में छिपकली गिरती है तो कुछ नहीं होता लेकिन चाय में तो ऐसा कुछ नहीं होता तो तुम्हें तो बहुत दिक्कत होनी थी, उल्टी होनी थी तो बच सकते थे या फिर तुम्हारी मौत होनी थी तो इस तरह से परमात्मा ने हमारी जीवन की रक्षा की।
रिश्तेदारी में जाते हैं, तो आने-जाने में कई सारी दिक्कतें होती हैं, इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए दास के मन में प्रेरणा हुई कि एक मोटरसाइकिल मिल जाए तो कितना अच्छा हो। नई का हमारा ब्यौन्त नहीं क्योंकि हमारी इतनी आमदनी नहीं थी तो उस स्थिति में परमात्मा से मन ही मन प्रार्थना की कि हे परमात्मा नई भी दिलवाओगे तो आप ही दिलवाओगे। परमात्मा की ऐसी दया हुई जो लोग हमारे विरोधी थे उन्होंने इस काम में हमारी मदद की कि मोटरसाइकिल लेनी है बताओ कितने पैसे चाहिए आपको? तो उन्होंने इस काम में मदद की हमारी और परमात्मा की दया हुई शोरूम में जाकर रोकड़ी भुगतान करके हमारी मोटरसाइकिल निकली।
नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
ये बात बिल्कुल गलत है कि गुरु नहीं बदलना चाहिए। बताया जाता है कि मनुष्य जन्म बहुत मुश्किल से मिलता है और मनुष्य जीवन को प्राप्त करके जो लोग सच्चे गुरु की तलाश करके भक्ति नहीं करते तो उनका मनुष्य जीवन खराब हो जाता है और सच्चे गुरु की पहचान के रूप में सद्ग्रन्थ बताते हैं जैसे श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 7 श्लोक 19 में बताया है कि
"बहूनां जन्मां अन्ते, ज्ञानवान मम प्रपद्यते।
वासुदेव सर्वम इति, स: महात्मा स: दुर्लभ:।।"
यानि पूर्ण परमात्मा ही घट-घट में बसने वाला सबकुछ है, यह बताने वाला संत बहुत मुश्किल से मिलेगा। यानि संत रामपाल जी महाराज ही वो संत हैं जिसकी वजह से हमने आसाराम जी को छोड़कर संत रामपाल जी महाराज की शरण ली क्योंकि मनुष्य जीवन का मिलना बहुत मुश्किल है अगर ये अधूरे गुरु के चक्कर में बर्बाद हो गया तो इसका कोई मोल नहीं लगेगा यानी हमारा जीवन बेकार चला जायेगा, हमें सद्भक्ति नहीं मिल पाएगी। परमेश्वर भी बताते हैं कि
"जब तक गुरु मिले नहीं साँचा, तब तक गुरु करो दस पांचा।"
ये परमेश्वर कबीर जी की वाणी है जिसमें वो समझाते हैं कि जब तक सच्चा गुरु नहीं मिले तब तक गुरु बदल सकते हैं। जैसे एक डॉक्टर से बीमारी ठीक नहीं होती तो बीमारी ठीक कराने के लिए हम दूसरे डॉक्टर के पास जाते हैं, तो उसमें दोष नहीं है, ये तो जीवनरक्षा हुई बहुत अच्छा हुआ। गुरु बदलने में कोई दोष नहीं है। ये धारणा गलत बना रखी है कि गुरु बदलने से दोष लगता है।
समाज को संदेश
मैं भक्त समाज से यही प्रार्थना करना चाहूंगा कि वर्तमान में सच्चे सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं जो शास्त्रों से प्रमाणित करके ज्ञान दे रहे हैं। इनके अलावा सभी धर्मगुरु नकली हैं जो कि भक्त समाज को ठगने का काम कर रहे हैं। अतः आप सभी से प्रार्थना है कि संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान जरूर सुने और अगर आप चाहो तो उसे अपनी धार्मिक पुस्तकों से भी मिला सकते हो। और उनका ज्ञान सुनकर उनकी शरण ग्रहण करें और जैसे वो भक्ति बताएं वैसे भक्ति करके मोक्ष के अधिकारी बने और सतलोक में जाएं। संत रामपाल जी महाराज का सत्संग विभिन्न चैनलों पर आता है। उस सत्संग में नीचे पीली पट्टी पर आश्रम के नम्बर लिखे आते हैं जिन पर सम्पर्क करके आप अपने नजदीकी नामदान केंद्र का पता प्राप्त कर सकते हैं और वहां जाकर संत रामपाल जी महाराज से निःशुल्क नामदीक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
सारांश
"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" प्रोग्राम में बताया गया कि "संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद लोगों को लाभ हो रहे हैं" पूर्णतः सत्य हैं। जिसका आप चाहें तो निरीक्षण भी कर सकते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ोंअ नुयाई हैं और ऐसे लाखों उदाहरण हैं जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद बहुत सारे लाभ मिले हैं।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति से कैंसर, एड्स व अन्य लाइलाज बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथ ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, 5, सूक्त 162 मंत्र 5 और सूक्त 163 मंत्र 1-3 में प्रमाण है कि हर बीमारी का इलाज सतभक्ति से ही संभव है, साथ ही वह परमात्मा अपने साधक की अकाल मृत्यु तक टाल सकता है और उसे 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है तथा उस परमात्मा की सतभक्ति से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान पवित्र वेद, पवित्र शास्त्रों के अनुसार है और पवित्र गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में जिस तत्वदर्शी संत के बारे में जिक्र आया है वह तत्वदर्शी संत कोई ओर नहीं संत रामपाल जी महाराज ही हैं। तो देर ना करते हुए आप भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझे और उनसे नाम दीक्षा लेकर मोक्ष मार्ग प्राप्त करें और 84 लाख योनियों के जन्म मरण से छुटकारा पाएं।
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