सुखदेव रजत (Sukhdev Rajat) जी की आपबीती, संत रामपाल जी महाराज से प्राप्त सतभक्ति से जीवन हुआ सुखी

संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा नाम जो आध्यात्मिक जगत के सच्चे संत हैं और सबसे बड़ी बात समाज सुधार के लिए प्रयत्नशील समाज सुधारक (Social reformer) हैं। संत रामपाल जी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। साथ ही, उनका ज्ञान अद्वितीय है और सबसे बड़ी बात यह है कि वे सभी पवित्र धर्मग्रंथों के अनुसार सही भक्ति विधि बताते हैं।



सतभक्ति से लाभ प्रोग्राम द्वारा समाज के ऐसे लोगों को सामने लाया गया जो न जाने कितनी समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सद्भक्ति से उनकी सभी समस्याएं खत्म हो गईं और उन्हें एक नई ज़िंदगी मिली जो आज लाखों लोगों के लिए उदाहरण हैं। तो आज हम आपको एक ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी से परिचित करवाएंगे जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ बल्कि शारीरिक और आर्थिक लाभ भी मिला।

"सतभक्ति से लाभ-Benefits of True Worship" की थीम इस प्रकार है


  • सुखदेव रजत (Sukhdev Rajat) जी की आपबीती
  • संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
  • नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी में आये बदलाव
  • नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
  • मेरा समाज को संदेश
  • सारांश


सुखदेव रजत (Sukhdev Rajat) जी की आप बीती

मेरा नाम सुखदेव रजत (Sukhdev Rajat) है। मैं गांव बिजरोनी, शिवपुरी (मध्यप्रदेश) से हूँ। पहले हम सतपाल जी महाराज की भक्ति करते थे। देवी की भक्ति करते थे और 1 लाख रूपये का देवी का मंदिर भी बनवाया था। सतपाल जी महाराज जी की भक्ति मैंने 11 साल तक की थी लेकिन उससे मुझे कोई लाभ नहीं मिला। वो सोहम् नाम देते थे, सो भीतर और हम् बाहर। 

हमने बच्चे का बहुत इलाज करवाया, शिवपुरी गए और वहाँ बच्चों के डॉक्टर एमडी गुप्ता से बच्चे का इलाज करवाया। लेकिन बच्चे को बचा नहीं पाए। हमने देवी-देवताओं से भी खूब प्रार्थना की कि हमारा बच्चा सही हो जाए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मेरी पत्नी को बेटा खत्म होने के बाद सपने आते थे, 2-4-6 महीने सही हो जाती थी और फिर बीमार हो जाती थी। हम सतपाल जी महाराज जी के पास भी गए उन्होंने कहा बेटा ठीक हो जाओगे लेकिन कोई आराम नहीं मिला। फिर मैं परेशान होकर दारू, बीड़ी, मुर्गा, पुड़िया खाने पीने लग गया था। मेरी 2 लड़कियां हैं और एक ही लड़का था जो रक्षाबन्धन से 8 दिन पहले खत्म हुआ था। लड़कियां अपने भाई को राखी बांधने के लिए तैयार थीं लेकिन लड़का 8 दिन पहले ही खत्म हो गया। कोई देवी-देवता उसे बचा नहीं पाए। हमने देवी की इतनी भक्ति की, नवरात्रों के नौ दिन मैं व्रत करता था, कुछ नहीं खाता था। लेकिन जब लड़का बीमार हो गया तो मैंने देवी के आगे बहुत प्रणाम की लेकिन वो बचा नहीं पाई। मैंने सोच लिया था कि ये भगवान है नहीं। तभी से मैंने दारू शुरू कर दी और मांस खाने लगा। तो मेरे घर वाले सतपाल जी महाराज जी की भक्ति करते थे और मैं मांस खाना, दारू पीना करता था तो मुझे घर से, गांव से भगा दिया।

संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा

संत रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा मैंने 20 अगस्त 2016 को ली थी। मैं अपने रिश्तेदार के घर गया था। उनके घर में संत रामपाल जी महाराज जी के पोस्टर लगे थे तो उन्होंने पूछा आप कहाँ से आये तो मैंने कहा मैं बिजरोनी से आया हूँ। उन्होंने बोला कि आप संत रामपाल जी महाराज जी से नाम ले लो आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। मैंने कहा कि इनके बारे में तो ऐसे-ऐसे बोलते हैं तो वो बोले कि आप ये पुस्तक "ज्ञान गंगा" ले जाओ और सत्संग देखना TV पर। तो मैं बोला कि हमने भक्ति बहुत कर ली देवी-देवताओं की लेकिन कोई आराम नहीं हुआ।

हमारी 2 लड़कियां हैं, लड़का खत्म हो गया रक्षाबंधन से पहले तो हमें बस लड़का चाहिए। वो बोले कि ये तो परमात्मा रुंगे में देते हैं, ये तो हो ही जायेगा आप तो मोक्ष के बारे में सोचो और बोले कि आप ये पुस्तक ज्ञान गंगा ले जाओ, इसे पढ़ना और सत्संग देखना और आपको समझ में आये तो ग्वालियर जाकर नामदान ले लेना। मैंने पुस्तक पढ़ी और सत्संग देखा, ज्ञान समझ आया तो ग्वालियर जाकर मैंने संत रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा ले ली। 

नाम दीक्षा लेने के बाद जिंदगी में आए बदलाव

संत रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा लेने के बाद मैंने संत रामपाल जी महाराज जी को दण्डवत प्रणाम किया और अरदास लगाई कि गुरुजी मेरी 2 बेटियां हैं उनको एक भाई दे दो। पहले वाला भाई रक्षाबंधन से 8 दिन पहले ही खत्म हो गया था। परमात्मा से प्रार्थना लगाने के 9 महीने बाद ही परमात्मा ने दोनों बहनों को एक भाई दे दिया। 

मेरे पैरों में गांठ थी शुरू से ही जिसका इलाज मैंने शिवपुरी, गुना, ग्वालियर में करवाया था लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। लेकिन परमात्मा सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम लेने के बाद मेरी वो गांठ ठीक हो गई। मेरे एक फोड़ा सा था जिसमें से मिट्टी सी निकलती थी। लेकिन संत रामपाल जी महाराज जी की शरण ग्रहण करने के एक महीने बाद ही वो फोड़ा जब मैंने एक दिन देखा तो बिल्कुल साफ हो गया था।

संत रामपाल जी महाराज जी से नाम लेने से पहले मेरी पत्नी के पेट में डॉक्टर ने एक 6-7 mm की पथरी बताई थी। लेकिन नाम लेने के बाद जब हमने अल्ट्रासाउंड करवाया तो वो बिल्कुल ठीक हो गयी थी। मेरी पत्नी को बुरे-बुरे सपने आते थे, छोटे छोटे मुर्दा-जिन्दे बच्चे उनके सपनों में आते थे। लेकिन संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में आने के बाद उनको सपने आना भी बंद हो गया और वो ठीक हो गई।

भक्तमति को ग्वालियर नामदान सेंटर से नाम दिलाने के एक महीने बाद हमारे ऊपर आर्थिक तंगी आ गई। मेरे पास चप्पल पहनने जितने भी पैसे नहीं थे। मेरे भाई ने मुझसे बोला कि संत रामपाल जी महाराज से जुड़ने के कारण तेरी यह स्थिति हुई है कि तू चप्पल भी खरीदकर नहीं पहन पा रहा। तो मैंने बोला भाई साहब परमात्मा जो कि पिताजी होते हैं उनको पता है कि बच्चों को क्या कमी है, किस चीज की जरूरत है। परमात्मा हैं संत रामपाल जी महाराज जी, उन्हें पता है अपने बच्चों को क्या जरूरत है तो उन्होंने कहा देखेंगे तो मैंने कहा ठीक है तो वो चले गए। मैं रात को सोया हुआ था तो गुरुजी आये और मुझे पैसे देकर गए।

 

सुबह उठा तो मैंने पत्नी से कहा कि देखना कुछ पैसे हों मेरी पेंट में तो बहुत ढूंढने के बाद मेरी एक शर्ट में 20 रुपये मिले। भक्त कहते थे कि भक्त का 10 रुपये में खर्चा चलेगा आगे चलकर तो मैं सोचा कि मुझे तो 20 रुपये मिल गए तो दिन का खर्चा चल जाएगा परमात्मा की दया से तो मैंने उसी में संतुष्टि कर ली। रात को सत्संग आया उसमें इंटरव्यू में भक्त जी बोले कि मेरी माँ को गुरुजी ने 5 हजार रुपये दिए थे। फिर मैंने खाते में चेक किया था तो 5400 रुपये थे तो मेरी भक्तमति कहने लगी कि आप भी गांव जाओ और अपने एकाउंट में पैसे चेक करवाओ। तो फिर मैं सुबह उठ कर गांव गया और खाता दिखवाया तो 5654 रुपये थे गुरुजी की दया से। 

नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव

संत रामपाल जी महाराज जी परमात्मा हैं जिन्होंने मुझे नाम लेने के नौवें महीने ही बेटा दिया और हमें कई प्रकार के लाभ दिए। पूर्ण संत की पहचान संत रामपाल जी महाराज जी वेदों और गीता जी से बताते हैं तथा वह पूर्णसंत, संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं।

मेरा समाज को संदेश


मैं भक्त समाज को यही कहना चाहता हूँ कि 

"मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारंबार।

जैसे तरुवर से पता टूट गिरे, बहुर न लगता डार।।"

लोगों को समझना चाहिए कि संत कौन है क्या उसकी पहचान है? मैंने भी सतपाल जी महाराज जी नाम ले रखा था लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। संत की पहचान भी संत रामपाल जी महाराज ने वेदों के अनुसार, गीता जी के अनुसार बताई है, उस संत की शरण में जाना चाहिए। संत रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा लें और अपना कल्याण करवायें। संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग बहुत से चैनलों पर आता है, उसमें नीचे पट्टी पर फ़ोन नम्बर लिखे रहते हैं। उन पर संपर्क करके आप अपने नजदीकी नामदान सेंटर का पता कर वहाँ से नाम दीक्षा ले सकते हैं और अपना कल्याण करवा सकते हैं। 


सारांश

"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" प्रोग्राम में बताया गया कि "संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद लोगों को लाभ हो रहे हैं" पूर्णतः सत्य हैं। जिसका आप चाहें तो निरीक्षण भी कर सकते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ों अनुयायी हैं और ऐसे लाखों उदाहरण हैं जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद बहुत सारे लाभ मिले हैं। 

संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति से कैंसर, एड्स व अन्य लाइलाज बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथ ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, 5, सूक्त 162 मंत्र 5 और सूक्त 163 मंत्र 1-3 में प्रमाण है कि हर बीमारी का इलाज सतभक्ति से ही संभव है, साथ ही वह परमात्मा अपने साधक की अकाल मृत्यु तक टाल सकता है और उसे 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है तथा उस परमात्मा की सतभक्ति से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान पवित्र वेद, पवित्र शास्त्रों के अनुसार है और पवित्र गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में जिस तत्वदर्शी संत के बारे में जिक्र आया है वह तत्वदर्शी संत कोई ओर नहीं संत रामपाल जी महाराज ही हैं। तो देर ना करते हुए आप भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझे और उनसे नाम दीक्षा लेकर मोक्ष मार्ग प्राप्त करें और 84 लाख योनियों के जन्म मरण से छुटकारा पाएं।

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