सतभक्ति से लाभ प्रोग्राम द्वारा समाज के ऐसे लोगों को सामने लाया गया जो न जाने कितनी समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सद्भक्ति से उनकी सभी समस्याएं खत्म हो गईं और उन्हें एक नई ज़िंदगी मिली जो आज लाखों लोगों के लिए उदाहरण हैं। तो आज हम आपको एक ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी से परिचित करवाएंगे जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ बल्कि शारीरिक और आर्थिक लाभ भी मिला।
सतभक्ति से लाभ-Benefits of True Worship" की थीम इस प्रकार है
- शत्रुघ्न तेवतिया (Shatrughan Tevatia) जी की आपबीती
- संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
- नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी में आये बदलाव
- नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
- मेरा समाज को संदेश
- सारांश
शत्रुघ्न तेवतिया (Shatrughan Tevatiya) जी की आप बीती
मेरा नाम शत्रुघ्न तेवतिया (Shatrughan Tevatia) है। मैं फरीदाबाद (हरियाणा) का रहने वाला हूँ। पहले मैं भक्ति नहीं करता था लेकिन मेरे परिवार वाले भक्ति करते थे, उन्होंने एक गुरु बना रखा था जिनका नाम गोपाल आनन्द है। उनका भी ज्ञान मैंने देखा था क्योंकि मम्मी-पापा वो भक्ति करते थे तो मैंने भी देखा था क्या वो भक्ति बताते हैं। उनके मेरे को मन्त्र भी पता थे। "ओम नमो: भगवते वासुदेवाय" ये मन्त्र का जाप करने के लिए उन्होंने कहा कि तुम्हारा सब ठीक रहेगा। उस संत से वह भी ठीक थे लेकिन वह अपने स्तर तक ही ठीक थे, वो अपनी पूंजी खत्म कर रहे थे। हमको सुख दे रहे थे जो थोड़ी बहुत हो जाते हैं लाभ, बस इतना ही था। मेरा कभी ना दिल किया वो भक्ति करने का और ना कभी आस्था हुई। मैं अभी MBA कर रहा हूँ नोएडा से और अपना बिज़नेस साथ-साथ चलाता हूँ स्वास्थ्य का।
संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
नाम दीक्षा लेने के बाद जिंदगी में आए बदलाव
मुझे सबसे पहले तो ये भक्ति करने से अंदर की शान्ति मिली है। मैं विकारों से दूर हो गया हूँ। मैं नशा नहीं करता था और मांस-अंडा भी नहीं खाता था लेकिन मैं जिस समूह में बैठता था वहां सारे लड़के ये सब जरूर करते थे। मजबूरन मेरा ये सहयोग जरूर बन जाता था कि लाकर देना पड़ जाता था। बस इससे ज्यादा मेरा कोई ऐसा सहयोग नहीं था। परमात्मा की दया ऐसी हुई कि वो सारे लोग भी अलग हो गए और मेरे को ऐसी शांति मिली उन लड़कों से अलग होने से और मेरे को बीड़ी तक की बदबू आ जाती है ना तो मैं उस आदमी को भगा देता हूँ कि भाई यहां से दूर चला जा मेरे से नहीं झिलेगा ये और मैं दोस्ती भी खत्म कर देता हूँ कि जो आदमी विकार नहीं छोड़ सकता वो दोस्ती क्या निभाएगा। मैं उनसे भी अलग हो जाता हूँ।
मेरे पढ़ाई में भी लाभ हुआ। मैं किसान परिवार से हूं तो मेरे की पढ़ाई-लिखाई में कभी रुचि नहीं हुई। ना मैं पढ़ता था, 50-60 परसेंट आ गए वो बहुत है। परमात्मा की दया से मेरी पढ़ाई में रुचि बनी, आज की दिनांक में मैं जहां मेरे 50-60 परसेंट भी मुश्किल से आते थे, अब मैं 70-75 परसेंट भी आसानी से ले आता हूँ। कोई भी चिंता नहीं होती।
एक बार मैं कॉलेज से अमृतसर जा रहा था। मेरे पास बुलेट बाइक थी 2 बन्दे हम थे और 2 दूसरी बाइक पर थे। हम अमृतसर गए हुए थे और वहां से लौट रहे थे 100 Km/h की स्पीड मेरी थी, इस बात का गवाह मेरा दोस्त है मैं उसका पता भी बता सकता हूँ। हम दोनों 100 की स्पीड में चल रहे थे तो सामने डिवाइडर से एक औरत बाइक के बिल्कुल सामने आ गयी अब वो मुश्किल से मुश्किल 5 फुट की दूरी पर थी। इतनी दूरी पर ना तो उनका पता चलता कि वो कहाँ गयी और ना हमारा पता चलता कि हम कहाँ गए लेकिन परमात्मा संत रामपाल जी महाराज की ऐसी दया हुई कि उन्होंने उस औरत को ऐसा धक्का मारा कि वो 3 फुट एक तरफ हो गयी और मेरी बाइक उसके बिल्कुल स्पर्श होकर गयी, यहां तक कि उस औरत के बाल मेरे पीछे बैठे दोस्त के मुंह पर भी लगे। उसके बाद वो दोस्त भी कहने लगा कि आज तेरे गुरु ना होते ना तो आज हम दोनों की जान चली जाती।
मेरी मम्मी अपने घर के बरामदे में बैठी हुई थी और सामने वाले घर के सामने एक कार खड़ी थी। उस पड़ोसी का लड़का बैठा था उसमें गाने सुन रहा था और उसने अपने एक सर्वेंट को भी बैठा रखा था जो कि ड्राइवर सीट पर था और वो लड़का कंडक्टर पर बैठ गया। गाने सुनने के लिए बैटरी खत्म ना हो इसके लिए उसने गाड़ी चालू कर ली। जो सर्वेंट बैठा था उसको गाड़ी के बारे में कुछ नहीं पता था तो उसने रेस वाले पर अपना पैर रख दिया, गाड़ी पहले से ही गियर में थी तो वो गाड़ी 180 डिग्री घूमकर हमारे घर में घुसी। हमारे लोहे का बड़ा गेट है वो तोड़ दिया और वो अलग गिरा और सीधी मम्मी के ऊपर ही आ रही थी, ये बात हमारे CCTV में भी कैद है और कई गवाह भी हैं और मम्मी को ऐसा लगा कि किसी ने उठाकर फेंक दिया है। वो पार्क में जाकर गिरी और गाड़ी हमारे ड्राइंग रूम की दीवार तक जाकर तोड़ चुकी थी। ये तो परमात्मा ने बहुत बड़ा लाभ दिया हमें।
मेरे पापा बाहर नाइजीरिया में रहते हैं वो जिस अपार्टमेंट में रहते हैं वह 3 स्टोरी अपार्टमेंट था। ऊपर वाली स्टोरी खाली पड़ी थी और बीच वाले में मेरे पिताजी और उनके ड्राइवर बगैरह रहते थे। तो जब पिताजी नहाने के लिए बाथरूम में गए तो वो हाथ वाले शावर से नहाने लगे तो पता नहीं कहाँ ऊपर फॉल्ट था वायरिंग में जिससे उस शावर में करंट आ गया था। तो पापाजी ने उसे पकड़ा तो परमात्मा की दया से किसी ने पापाजी का हाथ हथेली के पीछे से कसकर पकड़ लिया था जिसके निशान भी बन गए थे और वो करंट केवल पंजे तक सीमित था और पूरे शरीर में कही करंट नहीं था। उसके बाद उन्होंने लकड़ी का डंडा उठाया और उस शावर को खुद से अलग किया और वो हाथ उनको 1-2 घण्टे तक काम भी नहीं किया था तो ये तो उनको लाभ हुआ।
मेरी दादी है नाम उन्होंने भी ले रखा है लेकिन ज्यादा वृद्ध होने के कारण वो कोई भी चीज भूल जाती है तो उनका पैर टूट गया था तो उसका ऑपेरशन RR हॉस्पिटल दिल्ली में होना था जोकि आर्मी का है। उनका ब्लड प्रेशर इतना तेज था कि डॉक्टरों ने कह दिया कि हम इस समय ऑपेरशन नहीं कर सकते और वो गोली भी दे रहे थे BP कम हो जाये लेकिन कम नहीं हुआ। फिर हमने गुरुजी से आश्रम में प्रार्थना करवाई कि परमात्मा ऐसे-ऐसे हो गया है वहां से गुरुजी ने कहा कोई बात नहीं करवा लो। उसी समय उनका BP भी सामान्य हो गया और ऑपेरशन भी सफल रहा।
आर्थिक स्थिति भी परमात्मा ने सुधारी थी। किसी की 1-2 लाख आय हो और उसको 10 लाख की आय प्रदान कर दे ये परमात्मा के सिवाय कोई नहीं कर सकता। हमारे घर में आपस के झगड़े खत्म हो गए। हम आपस में प्यार से रहने लगे है। लोग भी आकर देखते हैं कि तुम्हारे तो नियम ऐसे हैं तुम कैसे रह लेते हो, तुम्हारे तो ले नहीं सकते, दे नहीं सकते तो फिर उन्हें समझाते भी हैं तो वो भी समझ जाते हैं कि बात तो तुम्हारी ठीक है कि ऐसे नहीं करना चाहिए। लेकिन मीडिया ने उनको ऐसे दिखा रखा है कि उनको मानने में समय लग रहा है।
नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
ये बिल्कुल सही बात है कि संत रामपाल जी महाराज जी पर आरोप लगे हुए हैं, उसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन आज शिक्षित समाज है। हम जो मीडिया में देखते हैं उसको हम सच मान लेते हैं जबकि वो सच नहीं होता। आज हम अपनी गीता जी को उठाकर देख सकते हैं कि इस पुस्तक में क्या लिखा है, कुरान को उठाकर देख सकते हैं कि भाई वो कह क्या रही है। ऐसे ही हम जब ये चीजें देखें तो हमें पता चला कि असली संत कौन है। संत का मतलब ये नहीं है कि आपने बाल बढ़ा लिए और आपने नारंगी, पीला रंग पहन लिया, ये संत की पहचान नहीं है। संत की पहचान ज्ञान से होती है। हमारे पढ़े-लिखे होने का फायदा यही है कि हम पढ़ सकते हैं कि लिखा क्या है।
संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में आने से कैंसर जैसी बीमारी भी ठीक हो जाती हैं इसका छोटा-सा जवाब यह है कि हमें लाभ लेने का पता नहीं है। हमारे को, जैसे इंजीनियरिंग लगा लो, कॉमर्स लगा लो तो उसका एक सिस्टम होता है, उस सिस्टम से चलोगे तो वो चीज मिल जाएगी। अब जैसे भगवान जिस तरीके से लाभ देते हैं हम उनका अनुसरण ही नहीं करते। हम अपनी मनमानी पूजा करने लग जाते हैं और फिर सोचते हैं हमें भगवान से लाभ नहीं हो रहा। लाभ नहीं हो रहा तो इसका मतलब भगवान नहीं होता। उनके लिए कि भाई छोड़ो भगवान नहीं होता। अपना रोजी रोटी कमाओ, खाओ-पीओ, घूमो और ऐश करो बस।
इन्होंने इतना ही लगा लिया जबकि इससे बिल्कुल अलग परिस्थिति है। हमें पहले तो परखना होगा संत को कि ये जो ज्ञान बता रहा है तो क्या ज्ञान बता रहा है। उसका ज्ञान चेक करो अब जैसे मैं संत रामपाल जी महाराज के बारे में बताऊंगा कि वो हर धर्मगुरु, जितने धर्म हैं इनके बारे में खुले में नेशनल TV पर आकर बताते हैं कि भाई इनका ज्ञान गलत है। किसी ओर संत ने तो कोशिश भी नहीं की आज के दिनांक में आप देख लो मीडिया में देख लो, न्यूज में कोई टिप्पणी भी नहीं करना चाहता किसी संत के ऊपर। उन्हें पता है कि तुम उल्टे मार खाओगे अगर तुम बोल दोगे क्योंकि तुम्हारे पास भी झूठ है और अगला भी ऐसा ही बैठा है।
इसलिए हमें पहले वो लाभ लेने का तरीका ढूंढना है कि वो तरीका क्या है? और वो वेदों में और गीताजी में साफ-साफ बता रखा है, ये मन्त्र है, ये संत से लो और संत की पहचान भी बता रखी है। तो हमें वही करना चाहिए। वो करेंगे तो आज लाखों लोगों को लाभ हो रहा है। सिर्फ एक आशीर्वाद देते हैं गुरुजी संत रामपाल जी महाराज के तो आशीर्वाद से ही कैंसर ठीक हो जाता है। ऐसे कितनों से मैं मिलवा सकता हूँ। मुझे भी ऐसे कई लाभ हुए हैं।
मेरा समाज को संदेश
मेरी उम्र के मेरे काफी दोस्त हैं और मेरी उनसे इस बात को लेकर काफी चर्चा भी हुई है कि भाई शत्रुघ्न तू इतना समझदार लड़का है तू इन बातों को क्यों मानता है। बोलते हैं कि तू ये भक्ति अभी क्यों कर रहा है, बुढ़ापे में कर लियो। तो मैं उनको समझाता हूँ कि भाई बुढ़ापे में तुम चलने जोगे नहीं रहोगे, ऐसी दुर्गति होगी, अपने घर के बूढ़े देख लियो। फिर वो कहते हैं कि वो बात तो सही है लेकिन अभी हमें ना काम-धाम और इन धंधों में लगे रहने दे। मैं उन्हें खूब समझाता हूँ कि तुम एक बार ज्ञान देखो, सत्संग देखो। 10-15 दिन एक बार सत्संग देखकर देखो, ना अच्छा लगे तो मत देखो भाई। कोशिश तो करो।
ऐसा संत जिन्हें 3 साल हो गए जेलधाम भेज रखा है और उसके बाद भी 7-7 चैनलों पर 7-7 घण्टे सत्संग चल रहा है दिन में। ये चमत्कार नहीं है तो क्या है। 3 साल के बाद अब वो 3 केस में बरी हो चुके हैं, अब कब तक इंतजार करोगे, कभी न कभी तो वो बरी होने ही हैं, बाइज्जत बरी होंगे वो हर केस में। लेकिन तब तक तुम्हारा तो नुकसान हो गया, क्या पता तुम्हारी जिंदगी है कि नहीं है। घर से बाहर निकलो तो एक्सीडेंट हो जाये, कुछ हो जाये, कोई बीमारी ऐसी लग जाए कि तुम खड़े भी ना हो पाओ पैर पे, तो क्या तब जाओगे उनके पास? वो गारंटी ले रहे हैं कि वो सुख भी देंगे, मोक्ष भी कराएंगे और सारी बीमारियों से मुक्त भी कराएंगे।
सारांश
"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" प्रोग्राम में बताया गया कि "संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद लोगों को लाभ हो रहे हैं" पूर्णतः सत्य हैं। जिसका आप चाहें तो निरीक्षण भी कर सकते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ों अनुयायी हैं और ऐसे लाखों उदाहरण हैं जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद बहुत सारे लाभ मिले हैं।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति से कैंसर, एड्स व अन्य लाइलाज बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथ ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, 5, सूक्त 162 मंत्र 5 और सूक्त 163 मंत्र 1-3 में प्रमाण है कि हर बीमारी का इलाज सतभक्ति से ही संभव है, साथ ही वह परमात्मा अपने साधक की अकाल मृत्यु तक टाल सकता है और उसे 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है तथा उस परमात्मा की सतभक्ति से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान पवित्र वेद, पवित्र शास्त्रों के अनुसार है और पवित्र गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में जिस तत्वदर्शी संत के बारे में जिक्र आया है वह तत्वदर्शी संत कोई ओर नहीं संत रामपाल जी महाराज ही हैं। तो देर ना करते हुए आप भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझे और उनसे नाम दीक्षा लेकर मोक्ष मार्ग प्राप्त करें और 84 लाख योनियों के जन्म मरण से छुटकारा पाएं
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