- आप बीती ( लोगो की दुख भरी कहानियां)
- प्रेरणा (संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की)
- बदलाव ( नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी)
- अनुभव (नाम लेने से पहले और बाद का)
- समाज को संदेश
- सारांश
सुनीता दासी (Sunita Dasi) की आप बीती
मैंने संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा 7 मई 2016 में ली। संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा मुझे मेरे पति से मिली। जब मेरी शादी हुई तो मेरी इच्छा के विरुद्ध हुई थी लेकिन शायद परमात्मा को अपनी शरण में लेना था। मेरे पति ने संत रामपाल जी महाराज जी से पहले ही नाम दीक्षा ले रखी थी, शादी के बाद वह मुझे कहते थे कि आप सत्संग सुना करो। मैं उनसे कहती थी कि हां, हमने राधास्वामी से नाम ले रखा है और मेरे मम्मी पापा ने भी, हम वहां सत्संग में जाते हैं। तो उन्होंने कहा टीवी पर संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग आता है आप एक बार वह सुनिये। मैंने उनसे कहा कि आप मेरे साथ बैठोगे तभी मैं सत्संग सुनूंगी, मुझसे यह बोरिंग काम नहीं होते।
हमारी किराने की दुकान है, वह जल्दी बन्द करके आते और हम साथ बैठकर ही सत्संग देखा करते थे लेकिन जब सत्संग आता था तो मेरी नजर घड़ी पर ही रहती थी कि कब 8:30 बजे और कब मैं यहां से उठ कर जाऊँ। ऐसे करते-करते काफी समय बीत गया लेकिन फिर धीरे-धीरे मेरी दिलचस्पी बढ़ती गई फिर मैंने उनसे कहा आप इसे ब्लूटूथ में लगा दो, मैं काम करते-करते सुन लूंगी। उसके बाद मुझे जो समस्याएं थीं, उनको देखकर मैंने नाम दीक्षा ले ली।
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