बबलू नागर (Bablu Nagar) जी की आपबीती, संत रामपाल जी से नाम उपदेश लेने से जीवन हुआ सुखी



संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा नाम जो आध्यात्मिक जगत के सच्चे संत हैं और सबसे बड़ी बात समाज सुधार के लिए प्रयत्नशील समाज सुधारक (Social reformer) हैं। संत रामपाल जी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। साथ ही, उनका ज्ञान अद्वितीय है और सबसे बड़ी बात यह है कि वे सभी पवित्र धर्मग्रंथों के अनुसार सही भक्ति विधि बताते हैं।

सतभक्ति से लाभ प्रोग्राम द्वारा समाज के ऐसे लोगों को सामने लाया गया जो न जाने कितनी समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सद्भक्ति से उनकी सभी समस्याएं खत्म हो गईं और उन्हें एक नई ज़िंदगी मिली जो आज लाखों लोगों के लिए उदाहरण हैं। तो आज हम आपको एक ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी से परिचित करवाएंगे जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ बल्कि शारीरिक और आर्थिक लाभ भी मिला।

सतभक्ति से लाभ-Benefits of True Worship" की थीम इस प्रकार है


  • बबलू नागर (Bablu Nagar) जी की आपबीती
  • संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
  • नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी में आये बदलाव
  • नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
  • मेरा समाज को संदेश
  • सारांश


बबलू नागर  (Bablu Nagar) की आप बीती


मेरा नाम बबलू नागर (Bablu Nagar) है। मैं ग्राम आसपुर जिला एटा उत्तर प्रदेश (UP) का निवासी हूं। मैं ब्रह्मा, विष्णु व महेश की भक्ति करता था। उसके साथ-साथ मन में लालसा हुई कि गुरु बनाऊं, तो मैंने मथुरा में जो जय गुरुदेव बाबा का मंदिर है उसके करीब एक नरौली पुल है, वहां पर नागा पंथ के साधु थे जिनकी बहुत लंबी जटाएँ थीं, तलवार धारण किए हुए थे मैंने उनसे नाम दीक्षा लेकर अपने मन में शांति बनानी चाही और खूब भक्ति भी करी।

गुरु भी बनाया और ब्रह्मा, विष्णु, महेश की भक्ति भी की लेकिन इतना सब करते हुए भी मेरी समस्याएं कभी खत्म नहीं हुईं। मेरी हालत को देखते हुए मैं आपको जितना भी बताऊं, वह शायद कम ही पड़ेगा, मेरा लीवर, फेफड़े, गुर्दे मेरा पूरा शरीर बेकार हो चुका था। एक डॉक्टर हैं आगरा में, आर. सी. गुप्ता जो हॉर्ट विशेषज्ञ हैं, जब मैं उनके पास गया तो डॉक्टर साहब ने मेरी रिपोर्ट देखकर कहा कि इनका लीवर पूरा खराब हो चुका है, इनके फेफड़े भी खराब हैं, गुर्दे भी खराब हैं, ये अब 10 -15 दिन से ज्यादा दिन नहीं जी पाएंगे, इनकी जो भी इच्छा है खाने की वह सब इनको खिलाओ।

जब हॉस्पिटल से मैं घर वापस आया तो मेरी पत्नी को यह बात पता लगी तो वह रोने लगी और कहने लगी कि हमने तुम्हें बहुत समझाया है, तुम माने नहीं अब इन छोटे-छोटे बच्चों की तरफ देखो। क्या खाएंगे, कैसे रहेंगे, तुम तो चले जाओगे। तुम्हारे बाद हमारा क्या होगा तो मैंने उनसे कहा कि जो होना था हो गया। मेरी हालत ऐसी थी कि मेरा पूरा शरीर सूज गया था, मैं बिल्कुल मरने की कगार पर खड़ा था। 

पार्क में मेरी चारपाई डाल दी गई और चारपाई के पास एक मटका रख दिया गया, जिसमें मैं सारे दिन थूकता रहता था। मुंह से खून निकलता था और घर वाले भी इतने ज्यादा परेशान हो गए थे कि कोई पास तक नहीं आता था। मेरे जो बड़े भाई हैं उन्होंने सोचा कि यह मर जाएगा इसके बच्चे भूखे मरेंगे तो इसका बीमा करवा देते हैं क्योंकि मेरी हालत बिल्कुल मरने जैसी हो गई थी। 

मैं इतना राक्षस प्रवृत्ति का इंसान था, ऐसा कोई नशा नहीं है जो मैंने नहीं किया। शराब, मांस, तंबाकू, बीड़ी-सिगरेट, अफीम, गांजा, कोकीन सब प्रकार के नशे मैंने किए हैं और मांस तो इतना खाता था कि मैं 10-10 बकरों के गुर्दे कच्चे ही एक साथ खा जाता था। गुंडा-बदमाशी भी मेरे अंदर थी, मैंने बहुत से लोगों को विकलांग कर दिया था, अंग भंग कर दिये थे। एक बार हमारी रसोई में एक शराब की बोतल मिल गई, इतनी हालत खराब होने के बावजूद भी मैंने वह पी ली। पीने के बाद घर में जितने भी शीशे लगे थे अलमारियों में, खिड़कियों में, सब तोड़ डाले और बिजली का बोर्ड भी उखाड़ कर फेंक दिया और मेरे बड़े भैया और जो मेरी भाभी है उनसे भी मैंने मारपीट करी।
अपने साथ-साथ घर वालों को भी बहुत परेशान किया। मेरा एक बेटा है 9 साल का उसको भी आंखों से बिल्कुल दिखाई नहीं देता था, दिन की रोशनी में तो बिल्कुल दिखाई नहीं देता,रात को फिर भी कुछ कुछ नजर आने लगता था। गांव वाले भी बहुत परेशान थे, कोई भी पास आकर नहीं बैठता था। जिंदगी नरक सी बन गई थी, कहीं से कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही थी। सिर्फ एक ही चीज दिखाई दे दी थी वह थी मौत।



संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा


मैंने संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा 14 फरवरी 2014 में ली। संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा मुझे संत रामपाल जी महाराज जी का टीवी पर जो सत्संग आता है और सत्संग के बाद जो भक्तों के इंटरव्यू आते हैं उनको देख कर हुई कि मुझे इन संत को अपना गुरु बनाना चाहिए। मेरी हालत बहुत ज्यादा खराब थी, एक दिन बच्चे टीवी देख रहे थे, जब दूसरा चैनल लगाया तो संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग आया।
सत्संग के बाद एक भक्त जी अपनी आप बीती बता रहे थे कि संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने के बाद उनकी जिंदगी कैसे बदल गई।

उनकी कहानी भी बिल्कुल मेरे जैसी ही थी, वह भी बहुत शराब व सब प्रकार के नशे करते थे और संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर सत भक्ति करने से उनके सभी रोग भी ठीक हो गए और उनकी बुराइयां छूट गईं। उनको देखकर मन में आया कि इनकी शरण में अगर मैं भी पहुंच गया तो सही हो जाऊंगा। फिर उसके बाद हम संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रम में गए और उनसे नाम दीक्षा ले ली।



नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी बदलाव

संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद एक नई जिंदगी मिली। जो हम पहले नरक जैसी जिंदगी जी रहे थे, वह जिंदगी अब कोसों दूर है। जिस दिन नाम दीक्षा ली उसी दिन से हमारी जिंदगी में बदलाव होने शुरू हो गए जैसे मानो हमारी लॉटरी खुल गयी हो। सबसे पहला बदलाव तो यह हुआ कि मैं जो राक्षस प्रवृत्ति का इंसान था, अब सभ्य इंसान बन चुका हूं। किसी प्रकार का कोई नशा नहीं करता और नशा करना तो दूर अगर कोई नशा करता है तो उसका सहयोग भी नहीं करता। संत जी से नाम दीक्षा लेने के 10 - 15 दिन के अंदर ही मैं बिल्कुल ठीक हो गया। मेरे शरीर में जितने भी कष्ट थे, मुझे सांस लेने में भी तकलीफ थी, मेरा लीवर व फेफड़े सब खराब थे, वह बिल्कुल स्वस्थ हो चुके हैं। 

मेरा बेटा जिसको दिखाई नहीं देता था, संत रामपाल जी महाराज जी की कृपा से अब उसको सब दिखाई भी देता है। जो मेरे गांव वाले हैं वह मेरे पास नहीं बैठते थे लेकिन जब से संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में गया, आज पूरे गांव वाले इज्जत से बात करते हैं और आज हर कोई मेरे पास बैठना चाहता है तो यह भी संत रामपाल जी महाराज जी की बहुत बड़ी दया है।

संत रामपाल जी महाराज जी ने एक बार मुझे जीवनदान दिया। एक बार मेरा एक्सीडेंट हो गया था उस एक्सीडेंट में मेरी गाड़ी ट्रक के नीचे चली गई थी। मैं गाड़ी के नीचे और गाड़ी मेरे ऊपर थी। इतना बड़ा एक्सीडेंट होने के बावजूद भी मुझे एक भी खरोंच नहीं आई। वहां इतने लोग खड़े थे सब कह रहे थे कि तुम बच कैसे सकते हो लेकिन संत रामपाल जी महाराज जी की इतनी कृपा है कि इतना बड़ा एक्सीडेंट होने के बाद भी मुझे एक खरोंच तक नहीं आई और एक नया जीवनदान मिला


नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव


बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने के बाद मुझे पता लगा कि वास्तव में गुरु क्या होता है। कैसे एक गुरु आपको सही मार्ग दर्शन करके आपकी जिंदगी को बदल सकता है। यह बात मैंने अपनी जिंदगी में भी अनुभव किया है क्योंकि संत जी से नाम दीक्षा लेने के पहले मेरी जिंदगी एक राक्षस स्वभाव की थी लेकिन सत भक्ति प्राप्त करके मैं एक अच्छा इंसान बना। मेरे मन में जो पहले था कि गुरु बना कर मन की शांति प्राप्त करूंगा, गुरु भी बनाया शांति नहीं मिली। जब से संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ली मन की शांति भी मिली, सही आध्यात्मिक मार्ग मिला और शारीरिक कष्ट भी दूर हुए। वास्तविक मन की शांति केवल पूर्ण गुरु की शरण में आकर ही मिल सकती है और वर्तमान में पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज ही हैं। 

जो काम डॉक्टर नहीं कर सकते वह काम संत रामपाल जी महाराज कर सकते हैं, यह अनुभव भी मैंने किया है। हुआ ऐसे कि एक बार जब संत रामपाल जी महाराज जी मेरे पास डॉक्टर के रूप में आए। मैंने देखा कि यह डॉक्टर कैसे आया? फिर देखते ही देखते वह संत रामपाल जी महाराज के रूप में आ गए। पहले डॉक्टर थे फिर संत रामपाल जी महाराज बन गए। मैं लेटा हुआ था लेटने के बाद मैंने देखा कि मेरा सीना चीर दिया, जब मेरा सीना चीरा तो मुझे कहीं पर भी दर्द नहीं हुआ। मुझे पता लगा कि जो डॉक्टर आये थे वह संत रामपाल जी महाराज थे डॉक्टर के रूप में। उस दिन के बाद मुझे किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं हुई और जो मेरे पहले शारीरिक कष्ट थे, वह भी पूरी तरह ठीक हो गए हैं। पहले से बहुत ज्यादा फायदा मुझे मिला।


समाज को संदेश

मैं समाज के उन लोगों से उन भाइयों, जो किसी भी प्रकार का नशा करते हैं, उन सबसे यही निवेदन करता हूँ कि हमें यह जो मानव शरीर मिला है, यह बार-बार नहीं मिलेगा। इसलिये समय रहते संत रामपाल जी की शरण में आ जाओ। जैसे मैं पहले सभी प्रकार के नशे करता था जिससे मेरा पूरा शरीर खराब हो चुका था, मुझे संत रामपाल जी महाराज जी की शरण मिली और आज मैं बिल्कुल सही हूं। आप भी अपना समय बर्बाद न करते हुए संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लें और अपने जीवन का कल्याण कराएं। जितना जल्दी हो सके, उतनी जल्दी आएं क्योंकि अब समय बहुत नजदीक आ गया है। 

संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान सुनें, उनके सत्संग देखें और उनके जो लाखों-करोड़ों अनुयाई हैं, उनके अनुभव, लाभ देखें। कैसे संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद सभी प्रकार की बुराइयां छूट जाती हैं। संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा आप ज्ञान गंगा पुस्तक के माध्यम से भी ले सकते हैं। ज्ञान गंगा पुस्तक में आश्रम के नंबर हैं, उन नंबरों पर फोन करके अपने नजदीकी नामदान सेंटर का पता करें और वहां से नाम दीक्षा लें। साथ ही, टीवी चैनल पर संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग आता है, सत्संग के दौरान निःशुल्क नाम दीक्षा के लिए मोबाइल नंबर आते हैं, उन नंबरों पर संपर्क करके नाम दीक्षा लें और अपना जीवन धन्य बनाएं


सारांश


"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" प्रोग्राम में बताया गया कि "संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद लोगों को लाभ हो रहे हैं" पूर्णतः सत्य हैं। जिसका आप चाहें तो निरीक्षण भी कर सकते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ों अनुयायी हैं और ऐसे लाखों उदाहरण हैं जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद बहुत सारे लाभ मिले हैं। 

संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति से कैंसर, एड्स व अन्य लाइलाज बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथ ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, 5, सूक्त 162 मंत्र 5 और सूक्त 163 मंत्र 1-3 में प्रमाण है कि हर बीमारी का इलाज सतभक्ति से ही संभव है, साथ ही वह परमात्मा अपने साधक की अकाल मृत्यु तक टाल सकता है और उसे 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है तथा उस परमात्मा की सतभक्ति से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान पवित्र वेद, पवित्र शास्त्रों के अनुसार है और पवित्र गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में जिस तत्वदर्शी संत के बारे में जिक्र आया है वह तत्वदर्शी संत कोई ओर नहीं संत रामपाल जी महाराज ही हैं। तो देर ना करते हुए आप भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझे और उनसे नाम दीक्षा लेकर मोक्ष मार्ग प्राप्त करें और 84 लाख योनियों के जन्म मरण से छुटकारा पाएं।

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