ज्योति पटेल (Jyoti Patel) जी की आपबीती, संत रामपाल जी से नाम उपदेश लेने से जीवन हुआ सुखी

संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा नाम जो आध्यात्मिक जगत के सच्चे संत हैं और सबसे बड़ी बात समाज सुधार के लिए प्रयत्नशील समाज सुधारक (Social reformer) हैं। संत रामपाल जी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। साथ ही, उनका ज्ञान अद्वितीय है और सबसे बड़ी बात यह है कि वे सभी पवित्र धर्मग्रंथों के अनुसार सही भक्ति विधि बताते हैं।

सतभक्ति से लाभ प्रोग्राम द्वारा समाज के ऐसे लोगों को सामने लाया गया जो न जाने कितनी समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सद्भक्ति से उनकी सभी समस्याएं खत्म हो गईं और उन्हें एक नई ज़िंदगी मिली जो आज लाखों लोगों के लिए उदाहरण हैं। तो आज हम आपको एक ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी से परिचित करवाएंगे जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ बल्कि शारीरिक और आर्थिक लाभ भी मिला।


सतभक्ति से लाभ-Benefits of True Worship की थीम इस प्रकार है:-


  • ज्योति पटेल (Jyoti Patel) जी की आपबीती
  • संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
  • नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी में आये बदलाव
  • नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
  • मेरा समाज को संदेश
  • सारांश

ज्योति पटेल (Jyoti Patel) की आप बीती 


मेरा नाम ज्योति पटेल (Jyoti Patel) है। मैं इंदौर, मध्यप्रदेश की रहने वाली हूं। मैं पूर्ण गुरु की तलाश में सभी गुरुओं के सत्संगों में जाया करती थी वैसे तो पूजा पर मुझे विश्वास नहीं था जो कई लोग बहुत शौक से करते हैं। मुझे यह पता था कि
 "गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, जिन गोविंद दिया मिलाय।।"

श्री कृष्ण जी मेरे इष्ट थे तो गोविंद मेरे दिमाग में रहते थे, इसी कारण से में गुरु की तलाश में रहती थी। हमारे घर के पीछे सिंधी कॉलोनी थी, वहां निरंकार जी व बाबा हरदेव सिंह जी का सत्संग होता था तो मैं उसमें भी जाती थी। मैं राधास्वामी, ब्रह्मकुमारी और आर्य समाजियोंं के सत्संग में भी जाया करती थी। हमारे घर के पड़ोसी गायत्री परिवार से जुड़े हुए थे तो 5 साल से मैं उनके साथ दीप-यज्ञ, हवन जहां भी होता था उसमें भी मैं जाती थी।

मैंने किसी से उपदेश नहीं लिया, नाम उपदेश इसलिए नहीं लिया क्योंकि मैं संतुष्ट नहीं थी कि यह जो भी बता रहे हैं मुझे ऐसा लगता था कि थोड़ा थोड़ा सबके पास है, पूरा किसी के पास नहीं है। फिर उसके बाद मेरी शादी हो गई। शादी होने के बाद स्थिति ऐसी आ गई थी कि मैं अध्यात्म से दूर हो गई। घर में बीमार रहने लगी, बीमारियों के चलते आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई और फिर मेरे ससुराल वाले पंडितों के पास मुझे लेकर जाने लगे न चाहते हुए भी, सोचा कि शायद यहां कुछ तो लाभ हो जाए।

ज्योतिषियों के पास, तांत्रिकों के पास पर वहां से भी कुछ हासिल नहीं हुआ। मेरी शादी के 2 महीने बाद ही मुझे पीलिया हो गया और पीलिया इतना ज्यादा हो गया कि वह लीवर पर आ गया जो मेरा लीवर इतना कमजोर हो गया था कि मैं घर में जो नल का पानी आता है, वह नहीं पी पाती थी। अगर गलती से पानी पी लिया तो मुझे 2 दिन अस्पताल में गुजारने पड़ते थे। इसके चलते मुझे घर में आरओ लगवाना पड़ा और मुझे डकार की समस्या इतनी ज्यादा थी कि मैं परिवार में किसी के बीच में बैठ नहीं पाती थी। ऐसा लगता था कोई भूत हो और बोल रहा हो इस तरीके से डकारें आती थीं।

थोड़े दिनों के बाद मेरे एक बेटी हुई और जब मेरी बेटी 2 महीने की थी, तब से मुझे कमर में दर्द हुआ था। दर्द इतना ज्यादा था कि मैं 5-6 किलो वजन भी नहीं उठा सकती थी। अपनी बेटी को भी जब दूध पिलाना होता था तो एक तकिया पैरों के नीचे, एक पैरों के ऊपर और एक पीठ के पीछे लगाना पड़ता था तब मैं उसको दूध पिला पाती थी। वह इतनी छोटी थी कि मैं उसे गोद में भी लेने के लिए तरसती थी।

मेरी हालत ऐसी थी रात 8:00 बजे के बाद में खाना नहीं खा पाती थी। सिर्फ दो रोटी खाती थी अगर वह दो रोटी भी मैने 8:00 बजे से पहले नहीं खाई और 8:00 बजे के बाद 10 से 15 मिनट भी ज्यादा हो गया तो मुझे उल्टियां शुरू हो जाती थी। मेरी रीढ़ की हड्डी में प्रॉब्लम थी। मुझे असहनीय दर्द होता था। थोड़ा सा झुक भी नहीं पाती थी और मेरी उम्र भी सिर्फ 25 साल ही थी पूरा जीवन पड़ा था। जीवन ऐसा लग रहा था जैसे मानो कोई नरक हो गया हो। घर के पास में साईं बाबा का मंदिर था मैं सुबह शाम वहां घूमने जाती थी।

मैं जब भी साईं बाबा की मूर्ति को देखती तो वह ऊपर अंगुली बताते थे कि "सबका मालिक एक" है और मैं जब उस मंदिर के चक्कर लगाती तो वहां पीछे ओम् बना हुआ था। उस ओम् से मैं बहुत आकर्षित होती थी। ओम् के ऊपर से सिर रखकर साईं बाबा से यही कहती थी कि आप बोलते हो "सबका मालिक एक" है और ऊपर जो मालिक है वह कौन है मुझे यह जानना है। इस ओम् (ॐ) का क्या राज है, इस ब्रह्मांड का क्या राज है? मुझे यह जानना है। बस इतनी प्रार्थना करके घर वापस आ जाती थी। फिर भी ज्योतिषियों के पास जाती थी, कहीं से लाभ नहीं होता था। डॉक्टर से भी कोई आराम नहीं मिल रहा था। 

मेरे साथ में भूत प्रेत बाधा भी थी। जब मैं रात को सोती थी तो मुझे ऐसा लगता था कि मेरी चारपाई के पास 5-6 लोग आकर खड़े हो जाते हैं। मुझे महसूस होता था लेकिन मैं जब घर में किसी को बताती थी तो सब कहते थे कि तुम्हारे दिमाग का वहम है। तो मैंने सोचा घर में कोई ध्यान नहीं दे रहा और दिन में काम करो, रात में जागना। ऐसे में तो मेरी तबीयत और ज्यादा खराब हो जाएगी। मेरे परिवार के 200 सदस्यों ने राधास्वामी से नाम ले रखा था और मैं गुरु की तलाश करते थक चुकी थी। फिर मैंने सोचा क्यों न राधास्वामी से नाम ले लूं लेकिन मन में आता था कि इनका ज्ञान भी अधूरा है। ऐसे करते करते मेरी परेशानियां दिन प्रतिदिन बढ़ती चली गईं। न ठीक से खाना खा पाती, न दिन में चैन और न रात में। मैं बहुत ज्यादा परेशान हो गयी थी।

संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा


बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज से मैंने नाम दीक्षा 24 नवंबर 2011 को ली। मुझे संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा ज्ञान गंगा पुस्तक को पढ़कर हुई। ज्ञान गंगा पुस्तक, मुझे हमारे पड़ोसी जोकि राजस्थान के रहने वाले हैं व संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य हैं उनसे प्राप्त हुई। जब मैंने ज्ञान गंगा पुस्तक के 7 पेज ही पढ़े थे उस दिन मुझे अच्छी नींद आई जैसे एक बच्चा अपनी मां की गोद में सोता है बेफिक्र होकर तो मैंने सोचा जब इस बुक में ही इतनी पावर है तो जिन्होंने इस बुक को लिखा है, उनमें कितनी पावर होगी। यह सोचकर मैंने उनसे कहा कि मुझे आपके गुरु जी संत रामपाल जी महाराज की कोई सत्संग की कैसेट लाकर दे दो क्योंकि मैं पुस्तक नहीं पढ़ पाती हूं, मेरे ऊपर घर का काम ज्यादा है।

तो उन्होंने मुझे सत्संग की कैसेट लाकर दी और जो संत रामपाल जी महाराज सत्संग कर रहे थे उसमें राधास्वामी से ज्ञान चर्चा हो रही थी। जनवरी 2012 में राधास्वामी पंथ का सत्संग होना था तो मैं वहां से नाम लेने वाली थी क्योंकि मेरे परिवार के 200 सदस्यों ने राधास्वामी से नाम ले रखा था और मैं गुरु की तलाश करते करते थक चुकी थी तो राधास्वामी से नाम लेने का सोच लिया था। लेकिन जब संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुना जिसमें संत रामपाल जी राधास्वामी की ही बुक खोल खोल कर बता रहे थे। बिल्कुल उंगली रख रख कर बता रहे थे कि यह जो राधास्वामी पंथ है, यह काल का पंथ है। इसमें जो नाम हैं, यह काल के हैं जो काल की भक्ति करते हैं, वह काल के मुंह में ही जाएंगे। उनको कभी सुख हो ही नहीं सकता। मैंने उसी समय अपने अंतर्मन से प्रार्थना कर ली, बस यही मेरे गुरु हैं और भविष्य में मैं जब भी नाम लूंगी, इन्हीं से लूंगी। लेकिन मुझे मेरे परिवार से कोई उम्मीद नहीं थी कि मुझे कोई यहां भेजेगा।

अजनबीयों के साथ घर की बहू और अकेले मुझे कैसे भेजते? लेकिन बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज को अपनी शरण में लेना था और परमात्मा ने दया करी। मेरी कुछ सहेलियां तैयार हुई उनमें से एक मेरे रिश्ते में ननंद ही लगती है जो मेरे से उम्र में बड़ी भी थी। मेरे परिवार वाले राजी हो गए और उनके साथ मुझे सतलोक आश्रम बरवाला भेज दिया। जब मैं बरवाला गई थी तो मैंने सोचा था एक बार तो मैं घूम फिर कर ही आऊंगी उसके बाद दोबारा जाऊंगी तब नाम लूंगी। पर जब मैं आश्रम में गई तो मुझे ऐसा लगा कि अगर कल को मेरी सांसें ही नहीं रहेगीं तो मैं दोबारा कैसे आऊंगी? आई हूं तो नाम भी ले लेती हूं। आश्रम में जाने के बाद दूसरे दिन मैंने संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ले ली।


नाम दीक्षा लेने के बाद जिंदगी में आए बदलाव

संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद मेरी सारी परेशानियां खत्म हो गईं। जब मैंने संत रामपाल जी महाराज से नाम लिया और मैं आश्रम से वापस घर आई तो मेरी जो बेटी 15-16 किलो की थी उसको मैंने खुद अपनी गोदी में लिया। अपना बैग उठाया और मैं उसको लेकर ट्रेन में चढ़ी-उतरी, स्टेशन पर उसको लेकर घूमी लेकिन मुझे कोई भी समस्या नहीं हुई। कोई दर्द नहीं हुआ। जब मैं घर आई तो पानी की टंकी रहती है उसमें पीने का पानी आता है मैं पहले भर नहीं पाती थी पर उस दिन मैंने 15 लीटर की कैन अपने हाथों से उठाई। मुझे कोई दर्द नहीं हुआ उसके बाद मैं कपड़े धोकर छत पर लेकर गयी। नाम दीक्षा लेने से पहले मैं 15 दिन तक छत पर नहीं जाती थी। 15 दिन में एक बार कपड़े इसलिए धोती थी कि एक ही दिन मुझे दर्द सहन करना पड़ेगा। नाम दीक्षा लेने के बाद जब मैं कपड़े लेकर छत पर गई तो मुझे कोई दर्द नहीं हुआ।

संत रामपाल जी महाराज की दया से अब मैं अपने घर के नल का पानी भी पी सकती हूं। अब मुझे कोई समस्या नहीं होती। अब मुझे कोई भूत प्रेत की बाधा भी नहीं है। परमात्मा ने खूब मौज कर रखी है। किसी बात की कोई कमी नहीं है, कमी है भी तो हम में ही है। परमात्मा ने तो सब कुछ दे रखा है।



नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव

जब मैंने संत रामपाल जी महाराज जी की पुस्तक ज्ञान गंगा पढ़ी और उनके सत्संग सुने तब मुझे लगा कि आज मेरी खोज पूरी हो गई, मुझे पूर्ण गुरु मिल गए। मैं गुरु की तलाश में पता नहीं कितने गुरुओं की शरण में गई लेकिन किसी का भी ज्ञान पूरा नहीं लगा। संत रामपाल जी महाराज जी एक ऐसे गुरु हैं जो सभी वेद शास्त्रों को खोल खोल कर प्रमाणित करके बताते हैं कि "कबीर साहिब ही पूर्ण परमात्मा" हैं और आज तक हम जिन की भक्ति करते आए हैं, वह नाशवान हैं, उनकी जन्म और मृत्यु होती है। हम कहते हैं सबका मालिक एक है, वह एक मालिक कबीर परमात्मा है।
संत रामपाल जी महाराज जी ने एक बार मुझे जीवनदान भी दिया। हुआ ऐसे कि मेरे परिवार में कोई भी इस बात से राजी नहीं था कि मैं संत रामपाल जी महाराज से नाम लूं और उन्होंने मेरी भक्ति छुड़वाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद हर तरह उन्होंने पूरी कोशिश करी कि मैं भक्ति छोड़ दूं। मैंने उनसे कहा जब मैं आपको अपनी समस्या बताती थी तो आप कहते थे कि मेरे दिमाग का वहम है पर अब जब मेरी सारी समस्याएं खत्म हो गई तो आप मेरा विरोध क्यों करते हो? मुझे जाने दिया करो पहले तो आप मुझे डॉक्टर के पास भी नहीं लेकर जाते थे वह भी खर्चा लगता था। मैं मेरे पति से भी कहती थी कि आप भी चलिए संत रामपाल जी महाराज के आश्रम में लेकिन वह नहीं माने उन्होंने मुझे भी मना कर दिया जाने के लिए।

मेरे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था फिर मैंने सोचा अगर मोक्ष के लिए शरीर मिला है और इस शरीर से मेरा मोक्ष ही नहीं होगा तो यह शरीर मेरे लिए किसी काम का नहीं। मेरे पति दो दिन पहले ही सल्फास के इंजेक्शन लेकर आये थे वह इंजेक्शन मैंने पी लिये। जब मेरे पति को पता चला तो मुझे हॉस्पिटल लेकर गए। उस हॉस्पिटल से मुझे दूसरे हॉस्पिटल में भेज दिया। दूसरे हॉस्पिटल में जब लेकर गए तो मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया था लेकिन मेरी चेतना थी, वह ठीक थी मैं सबको सुन पा रही थी।

तो डॉक्टर मेरे पति से कह रहे थे कि अगर इन्होंने कोई दूसरा जहर पिया होता तब तो फिर भी बच जाते लेकिन इन्होंने जो जहर खाया है इसका पृथ्वी पर अभी तक कोई तोड़ नहीं बना है। इसका विदेशों में भी कोई तोड़ नहीं है आप इसे विदेश ले जाओगे, वहां पर भी इसका काई तोड़ नहीं है। इसलिए इसका इलाज मत करवाओ यह मरेगी ही मरेगी। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया कि अब इसको कोई नहीं बचा सकता। डॉक्टर भी मुझे बार-बार आकर यही बताते कि इस पृथ्वी पर अब तेरे को कोई नहीं बचा सकता। 6 दिन गुजर गये हॉस्पिटल में। सातवें दिन सब डॉक्टर आए और मेरे पति को बुलाया और कहा कि 15 मिनट के बाद आपकी पत्नी का लीवर फट जाएगा क्योंकि इसका पूरा हार्ट खराब हो चुका है फेल हो चुका है। किडनी खराब हो चुकी है।

यह 15 मिनट बाद मर जाएगी अब आप उसको वापस ले जाने की तैयारी करो। उस समय मेरे पति ने अचानक रोते हुए कहा कि अब शायद इसके गुरु संत रामपाल जी महाराज ही इसे बचा सकते हैं तब हमने गुरुजी के पास प्रार्थना लगाई। तब संत रामपाल जी महाराज का जवाब आया, कहा कि काल ने जो करना था वह कर चुका अब बेटी के पास मैं खुद जाता हूं। उस समय ऐसा चमत्कार हुआ जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था।

उस समय मेरी वापस जांच हुई और रिपोर्ट आधे घंटे बाद आई वह बिल्कुल सही थी। तब डॉक्टर ने कहा कि यह पहला केस है जो इतना खतरनाक जहर खाने वाला ठीक हुआ है। फिर मैं हॉस्पिटल से घर आई घर आने के बाद में संत रामपाल जी महाराज के पास आश्रम में गई। संत रामपाल जी महाराज ने मुझे यह जीवनदान दिया है उन्हीं की कृपा से आज मैं जिंदा हूं। यह केवल पूर्ण संत ही कर सकता है क्योंकि पूर्ण संत के पास ही उस परमात्मा की दी हुई शक्ति होती है जो वर्तमान में केवल पूर्ण संत, संत रामपाल जी महाराज हैं।

समाज को संदेश

मैं समाज को यही कहना चाहती हूं कि संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण परमात्मा हैं। वह इस धरती पर आए हुए हैं हम जैसों के दुःखों के निवारण के लिए। यहां सभी जीव दु:खी हैं। इसलिए संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में आएं और अपना मोक्ष करवाएं। यहां के सुख भी पाएं और पूर्ण मोक्ष भी। जैसे मेरी सभी समस्याएं संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद खत्म हो गईं वैसे ही आप सब की समस्याएं भी संत रामपाल जी महाराज ही ठीक कर सकते हैं क्योंकि संत रामपाल जी महाराज के पास ही वह वास्तविक ज्ञान व वास्तविक भक्ति मंत्र है। तो आप भी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लें और अपना कल्याण करवाएं।

सारांश


"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" प्रोग्राम में बताया गया कि "संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद लोगों को लाभ हो रहे हैं" पूर्णतः सत्य हैं। जिसका आप चाहें तो निरीक्षण भी कर सकते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ों अनुयायी हैं और ऐसे लाखों उदाहरण हैं जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद बहुत सारे लाभ मिले हैं। 

संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति से कैंसर, एड्स व अन्य लाइलाज बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथ ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, 5, सूक्त 162 मंत्र 5 और सूक्त 163 मंत्र 1-3 में प्रमाण है कि हर बीमारी का इलाज सतभक्ति से ही संभव है, साथ ही वह परमात्मा अपने साधक की अकाल मृत्यु तक टाल सकता है और उसे 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है तथा उस परमात्मा की सतभक्ति से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान पवित्र वेद, पवित्र शास्त्रों के अनुसार है और पवित्र गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में जिस तत्वदर्शी संत के बारे में जिक्र आया है वह तत्वदर्शी संत कोई ओर नहीं संत रामपाल जी महाराज ही हैं। तो देर ना करते हुए आप भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझे और उनसे नाम दीक्षा लेकर मोक्ष मार्ग प्राप्त करें और 84 लाख योनियों के जन्म मरण से छुटकारा पाएं।

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