पुंजालाल दास (Punja lal) जी की आपबीती, संत रामपाल जी से नाम उपदेश लेने से जीवन हुआ सुखी

संत रामपाल जी महाराज एक ऐसा नाम जो आध्यात्मिक जगत के सच्चे संत हैं और सबसे बड़ी बात समाज सुधार के लिए प्रयत्नशील समाज सुधारक (Social reformer) हैं। संत रामपाल जी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। साथ ही, उनका ज्ञान अद्वितीय है और सबसे बड़ी बात यह है कि वे सभी पवित्र धर्मग्रंथों के अनुसार सही भक्ति विधि बताते हैं।
सतभक्ति से लाभ प्रोग्राम द्वारा समाज के ऐसे लोगों को सामने लाया गया जो न जाने कितनी समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सद्भक्ति से उनकी सभी समस्याएं खत्म हो गईं और उन्हें एक नई ज़िंदगी मिली जो आज लाखों लोगों के लिए उदाहरण हैं। तो आज हम आपको एक ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी से परिचित करवाएंगे जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ बल्कि शारीरिक और आर्थिक लाभ भी मिला।

"सतभक्ति से लाभ-Benefits of True Worship" की थीम इस प्रकार है:-


  • पुंजालाल दास (Punja lal) जी की आपबीती
  • संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा
  • नाम दीक्षा लेने के बाद कि जिंदगी में आये बदलाव
  • नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव
  • मेरा समाज को संदेश
  • सारांश


पुंजालाल दास की आप बीती


मेरा नाम पुंजालाल दास (Punja lal) है। मैं देवास का रहने वाला हूं। सन् 1987 में मैंने अपनी नौकरी से रिटायरमेंट ले लिया। मैं टेलीग्राफ डिपार्टमेंट से रिटायर्ड हूं। परमात्मा की प्राप्ति के लिए मैं बचपन से ही भक्ति किया करता था। पूर्ण परमात्मा की खोज के लिए मैं शुरू से ही हमारे गांव में जो भजन मंडली थी, उसमें भजन करने भी जाता था। उसी दौरान मेरी नौकरी लग गई और मैं गायत्री परिवार से जुड़ गया। गायत्री परिवार से जुड़ने के बाद मैं भगवान बुद्ध के जो विपश्यना शिविर होते हैं उनमें विपश्यना शिविर भी करने गया, वहां पर मैंने दो बार कैंप किए। वहां पर भी संतुष्टि नहीं मिली। उसके बाद मैं दिल्ली में संत राजेंद्र सिंह जी हैं, उनसे जुड़ गया। वहां पर भी कोई लाभ नहीं मिला। उसके बाद राधास्वामी पंथ, संत गुरमीत सिंह पंथ से भी मैं जुड़ा। 

महाराष्ट्र में चारों धामों की तीर्थ यात्रा भी करके आया, अमरनाथ के दर्शन भी किए। मन की शांति और परमात्मा कहीं पर भी नहीं मिला। नेपाल में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भी किए वहां से भी कोई संतुष्टि नहीं मिली। परमात्मा की खोज के लिए चारों तरफ भटक रहा था। न तो आत्मिक शांति मिली और न किसी प्रकार का कोई लाभ, लाभ का तो मानो जैसे नामोनिशान ही मिट गया हो। अब धीरे-धीरे मेरी आर्थिक स्थिति भी बहुत ज्यादा खराब होने लग गई। मेरा देवास में 40/60 का मकान है, मुझे इतनी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा जिसके चलते मेरा आधा मकान मैंने सिर्फ डेढ़ लाख रुपए में बेच दिया। 

गांव वाले भी इतना परेशान हो गए थे अगर मैं किसी भी गली से निकलता, तो सामने मुझे आता देख कर, छिप जाते थे कि कहीं अब यह भाई साहब मुझसे पैसे न मांग ले। मैं अपनी जिंदगी में आर्थिक और सामाजिक, हर तरह की परेशानी से गुजरा चुका हूं। मेरा कोई मान सम्मान ही नहीं था, न परिवार में, न समाज में। मैं पूरी तरह से बहुत ज्यादा दु:खी हो गया था। इसके साथ मेरा परिवार प्रेत बाधा से भी बहुत पीड़ित था। इतना धार्मिक होने के बाद भी किसी प्रकार का कोई लाभ मुझे देखने को नहीं मिला बल्कि परेशानियां दिन प्रतिदिन बढ़ती ही चली गई।

संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने की प्रेरणा


संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा की प्रेरणा मुझे ज्ञान गंगा पुस्तक को पढ़कर हुई। मेरी बेटी का एक बेटा है, उसने मुझे ज्ञान गंगा पुस्तक लाकर दी और बोला कि नाना जी, आप यह पुस्तक पढ़ना। मैंने उस पुस्तक को पढ़ना शुरू किया और मेरा एक मित्र है, बालगढ़ देवास में, मैंने उसको भी ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़ने को दी। ज्ञान गंगा पुस्तक को पढ़ने के बाद दोनों ने विचार किया कि भाई चलो इस संत के पास चलते हैं, आखिर कौन हैं वो संत जो ऐसा ज्ञान बता रहे हैं। परमात्मा की खोज तो पहले ही थी ज्ञान गंगा पुस्तक को पढ़ने के बाद थोड़ी उम्मीद जगी। उसके बाद बरवाला आश्रम में पहुंचे। 

आश्रम में पहुंचने के बाद वहां के भक्तों ने हमसे पूछा कि क्या आपकी नाम दीक्षा लेने की इच्छा है? मैंने कहा कि ऐसा तो हम सोच कर नहीं आये। हम तो केवल परमात्मा के बारे में जो संत रामपाल जी महाराज ज्ञान बता रहे थे उसको देखकर यहां आए हैं। फिर हमें संत रामपाल जी महाराज जी के जो नाम दीक्षा लेने से पहले कुछ नियम होते हैं, वह नियम बताए गए और जो नियम थे वो नियम मैं शुरू से ही निभा रहा था। उसके बाद हमने नाम दीक्षा ले ली। मेरे साथ मेरे पूरे परिवार ने भी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ले ली है।



नाम दीक्षा लेने के बाद जिंदगी में आए बदलाव


संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद हमारी जो पूर्ण परमात्मा की खोज थी, वह पूरी हुई। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं और संत रामपाल जी महाराज जी ने यह बात हमारे सभी पवित्र सद्ग्रन्थों से प्रमाणित करके बताई है। नाम दीक्षा लेने के बाद जो पहला बदलाव हमारी जिंदगी में हुआ, वह यह था कि हमें आत्मिक शांति मिली। हमारी आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई थी, हमें हमारा मकान भी बेचना पड़ा था लेकिन संत रामपाल जी महाराज जी की कृपा से आज मेरी आर्थिक स्थिति बहुत ही अच्छी है।

मेरा मकान भी बन गया और परमात्मा ने वह कर्ज भी उतार दिया। मुझे पता भी नहीं लगा कि पैसा कहां से आया और कैसे कर्ज उतर गया। आज मुझे किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ती, परमात्मा अपने आप सब व्यवस्था कर देते हैं। एक बदलाव यह हुआ कि मेरे परिवार में प्रेत बाधा की समस्या थी, वह भी समाप्त हो गई है। आज मेरे पूरे परिवार ने संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ले ली है। 

संत रामपाल जी महाराज ने एक बार मुझे जीवनदान भी दिया। घर की छत के ऊपर पानी की टंकी रखी हुई है और उसी के नीचे कमरे में पंखा लगा हुआ है तो एक दिन उस पंखे में स्पार्किंग हो रही थी मैंने कनेक्शन कटवा दिया। ऊपर पानी की टंकी में जाकर देखा कि कहीं उसमें तो करंट नहीं है, कनेक्शन कटवाने के बावजूद मुझे वापस बिजली के करंट का एहसास हुआ और मैं नीचे आया तो बच्चों ने मेरे शरीर पर टेस्टर लगा कर देखा तो मेरे पूरे शरीर में करंट फैला हुआ था। 

पूरे शरीर में करंट फैलने के बावजूद भी मैं जिंदा था। यह संत रामपाल जी महाराज जी की दया ही थी, मुझे एक नया जीवनदान मिला। मुझे पाइल्स की शिकायत भी होती थी, डॉक्टर ने ऑपरेशन करवाने का बोला था लेकिन संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में आने के बाद मुझे किसी ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ी और आज मैं 10 किलोमीटर तक भी पैदल चला जाऊं तो भी किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं होती। परमात्मा की दया से आज मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं। संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में आकर मैं बहुत खुश हूं और मेरा परिवार भी पूरी तरह से सुखी है।




नाम लेने से पहले और बाद का अनुभव


संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में आने के बाद पहली बात तो यह पता लगी कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं। आज तक मैंने शास्त्रों के विरुद्ध भक्ति की थी जिस कारण मैं परमात्मा की खोज में चारों तरफ भटकता रहा लेकिन परमात्मा नहीं मिला। नाम दीक्षा लेने के बाद मुझे यह अनुभव हुआ कि जिस सुख शांति के लिए आज पूरा संसार चारों तरफ भटक रहा है, वह सुख शांति केवल पूर्ण संत की शरण में आकर ही मिल सकती है। क्योंकि पूर्ण संत के पास सभी पवित्र शास्त्रों पर आधारित पूर्ण ज्ञान व पूर्ण परमात्मा की जानकारी होती है और आज मुझे पूर्ण संत और पूर्ण परमात्मा दोनों संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में मिले।

समाज को संदेश

समाज के अपने छोटे बड़े सभी भाई बहनों से यही प्रार्थना करना चाहता हूं कि जिस तरह से मैं परमात्मा को प्राप्त करने के लिए भटक रहा था, कहीं से किसी प्रकार का कोई लाभ, सुख-शांति मुझे नहीं मिली लेकिन संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में आने से मुझे पूर्ण परमात्मा भी मिले, सुख शांति भी मिली। तो आप भी अपनी पुराने रीति रिवाजों को छोड़कर संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर शास्त्रों के अनुसार सही भक्ति करें, जिससे आपको लाभ में मिलेंगे और पूर्ण परमात्मा भी।

और मैं समाज के उन लोगों से यह भी कहना चाहूंगा कि जैसे आप सोचते हैं कि संत रामपाल जी महाराज सभी देवी-देवताओं की भक्ति छुड़वाते हैं तो मैं आपको यह सच बताना चाहता हूं कि संत रामपाल जी महाराज उन सभी देवी-देवताओं की सही भक्ति विधि बताते हैं। आज तक हम जो भी भक्ति कर रहे थे, वह लोक वेद पर आधारित अंध श्रद्धा भक्ति है जिसका शास्त्रों में कोई वर्णन नहीं है। वर्तमान में शास्त्रों के अनुसार सही भक्ति विधि संत रामपाल जी महाराज जी के पास है, उनसे नाम दीक्षा लेकर अपने जीवन का कल्याण करवायें।

सारांश


"सतभक्ति से लाभ-Benefits by True Worship" प्रोग्राम में बताया गया कि "संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद लोगों को लाभ हो रहे हैं" पूर्णतः सत्य हैं। जिसका आप चाहें तो निरीक्षण भी कर सकते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ों अनुयायी हैं और ऐसे लाखों उदाहरण हैं जिनको संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद बहुत सारे लाभ मिले हैं। 

संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई भक्ति से कैंसर, एड्स व अन्य लाइलाज बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। क्योंकि धर्मग्रंथ ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, 5, सूक्त 162 मंत्र 5 और सूक्त 163 मंत्र 1-3 में प्रमाण है कि हर बीमारी का इलाज सतभक्ति से ही संभव है, साथ ही वह परमात्मा अपने साधक की अकाल मृत्यु तक टाल सकता है और उसे 100 वर्ष की आयु प्रदान करता है तथा उस परमात्मा की सतभक्ति से असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान पवित्र वेद, पवित्र शास्त्रों के अनुसार है और पवित्र गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 में जिस तत्वदर्शी संत के बारे में जिक्र आया है वह तत्वदर्शी संत कोई ओर नहीं संत रामपाल जी महाराज ही हैं। तो देर ना करते हुए आप भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझे और उनसे नाम दीक्षा लेकर मोक्ष मार्ग प्राप्त करें और 84 लाख योनियों के जन्म मरण से छुटकारा पाएं।

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