आयु वृद्धि होती है या नहीं?: एक ऋषि की कथा | Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj

जानिए क्या आयु वृद्धि हो सकती है या नहीं?

आयु वृद्धि होती है या नहीं
आयु वृद्धि होती है या नहीं


एक ऋषि की कथा 

एक ऋषि था। उसको किसी ने हस्तरेखा देखकर बताया कि आपकी तीन दिन आयु शेष है। वह ऋषि चिंतित हुआ और बोला कि कोई उपाय बताओ जिससे मेरी आयु चार वर्ष बढ़ जाए, मैं भक्ति करना चाहता हूँ। ऋषि को उस ज्योतिष शास्त्र ने बताया कि आप तो अच्छे उद्देश्य के लिए आयु वृद्धि चाह रहे हो, चलो प्रजापति ब्रह्मा जी के पास चलते हैं। वे जीवों के उत्पत्तिकर्ता हैं। ब्रह्मा जी के पास गए और उद्देश्य बताया तो ब्रह्मा जी ने कहा कि मैं तो उत्पत्ति तो कर सकता हूँ। आयु की वृद्धि का अधिकार मेरे पास नहीं है। फिर सोचा कि विष्णु जी के पास चलते हैं। ऋषि जी का उद्देश्य अच्छा है। तीनों विमान में बैठकर विष्णु जी के पास गए। उद्देश्य बताया तो विष्णु जी ने कहा कि यह काम तो शंकर जी का है। वह संहार करते हैं, उन्हीं से प्रार्थना की जाए। ऋषि जी का जीवन वृद्धि का उद्देश्य भक्ति के लिए अच्छा है।


ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अपमान

विष्णु जी, ब्रह्मा जी तथा वे दोनों सब शंकर जी के पास गए। उनको उद्देश्य बताया तो शंकर जी ने कहा कि ऋषि जी का उद्देश्य तो बहुत अच्छा है, परंतु मेरे को तो जो आदेश धर्मराज से आता है, उन्हीं की मृत्यु का आदेश यमदूतों-भूतों को करता हूँ। चलो! धर्मराज के पास चलते हैं। उस दिन उस ऋषि जी की मृत्यु का दिन था। तीनों (ब्रह्मा-विष्णु-शिव) देवता तथा ऋषि और ज्योतिष शास्त्र मिलकर धर्मराज के कार्यालय में गए तथा ऋषि की आयु वृद्धि के लिए कहा तथा उद्देश्य बताया कि यह केवल भक्ति के लिए आयु वृद्धि चाहता है। धर्मराज ने उस ऋषि का खाता खोला तो उसमें उसी दिन उसी समय मृत्यु लिखी थी। उस ऋषि की तुरंत मृत्यु हो गई। तीनों देवता धर्मराज से नाराज हो गए।


कहा कि आपने हमारी इज्जत नहीं रखी। आपने यह अच्छा नहीं किया। धर्मराज ने वह लेख दिखाया जो उस ऋषि की मृत्यु के विषय में था। उसमें लिखा था कि ऋषि जी की मृत्यु धर्मराज के कार्यालय में ब्रह्मा-विष्णु-शिव तथा ज्योतिष शास्त्र की उपस्थिति में दिन के इतने बीत जाने पर हो। आप जी ने तो मेरा कार्य सुगम कर दिया। यह लेख मैं नहीं लिखता।

 


यह तो विधाता की ओर से अपने आप लिखे जाते हैं। यदि आप आयु बढ़वाना चाहते हैं तो अपनी आयु में से दान कर दो तो मैं इसकी आयु बढ़ा सकता हूँ। यह बात सुनकर सब चले गए। यह कथा सुनाकर नारद जी ने कहा कि इस बचे हुए समय में खूब नारायण-नारायण करले। नारद जी चले गए। अजामेल की चिंता ओर बढ़ गई कि भक्ति का लाभ क्या हुआ?

परमेश्वर कबीर साहेब आयु बढ़ा सकते है 

दो वर्ष जीवन शेष था। परमेश्वर कबीर जी एक ऋषि वेश में अजामेल के घर प्रकट हुए। अजामेल ने श्रद्धा से ऋषि का सम्मान किया। अपनी समस्या बताई। ऋषि रूप में सतपुरूष जी ने कहा कि आप मेरे से दीक्षा लो। आपकी आयु बढ़ा दूँगा। लेकिन अजामेल ने नारद जी से कथा सुनी थी कि जो आयु लिखी है, वह बढ़-घट नहीं सकती। विचार किया कि दीक्षा लेकर देख लेते हैं। दोनों ने दीक्षा ली। नारायण नाम का जाप त्याग दिया। नए गुरू जी द्वारा दिया नाम जाप किया। मृत्यु वाले वर्ष का अंतिम महीना आया तो खाना कम हो गया, परंतु मंत्र का जाप निरंतर किया।


अंतिम दिन भोजन भी नहीं खाया, मंत्र जाप दृढ़ता से करता रहा। वर्ष पूरा हो गया। एक महीना ऊपर हो गया, परंतु भय फिर भी बरकरार था। ऋषि वेश में परमेश्वर आए। दोनों पति-पत्नी देखते ही दौड़े-दौड़े आए। चरणों में गिर गए। गुरूदेव आपकी कृपा से जीवन मिला है। आप तो स्वयं परमेश्वर हैं। परमेश्वर जी ने कहा कि


मासा घटे ना तिल बढ़े, विधना लिखे जो लेख। सच्चा सतगुरू मेट कर, ऊपर मारे मेख।। 


अब आपकी आयु के लेख मिटाकर कील गाड़ दी है। जब मैं चाहूँगा, तब तेरी मृत्यु होगी। दोनों मिलकर भक्ति करो। अपने पुत्र को भी उपदेश दिलाओ। पुत्र को उपदेश दिलाया। भक्ति करके मोक्ष के अधिकारी हुए।

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