बुढि़या और बाजीद की कथा | Spiritual Leader Saint Rampal Ji

जानिए ‘‘बुढि़या और बाजीद की कथा’’ के बारे में Spiritual Leader Saint Rampal Ji के माध्यम से.


बुढि़या और बाजीद की कथा

एक समय बाजीद राजा राज्य-घर त्यागकर जंगल में साधना कर रहे थे। एक कुतिया ने 8 बच्चों को जन्म दिया। उसको बहुत भूख लगी थी। एक बुढि़या अपनी 4 रोटी कपड़े में बाँधकर खेत में काम के लिए जा रही थी। बाजीद ने कहा, माई! इस कुतिया को एक रोटी डाल दो। यह भूख से मरने वाली है। साथ में 8 बच्चे और मरेंगे। बुढि़या चतुर थी। उसने कहा कि मेरे खून-पसीने की कमाई है, यह कैसे दे दूँ? संत ने कहा कैसे रोटी डालोगी? बुढि़या ने कहा कि आप अपनी भक्ति का चौथा भाग मुझे दे दो, मैं रोटी डाल दूँगी।


budhiyan and bajid ji ki katha
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संत ने अपनी साधना का ( भाग संकल्प कर बुढि़या को दे दिया। वृद्धा ने एक रोटी कुतिया को डाल दी। फिर भी कुत्ती भूखी थी। करते-करते चारों रोटी कुतिया को डाल दी और संत बाजीद जी ने अपनी सर्व भक्ति कमाई वृद्धा को संकल्प कर दी जिससे कुतिया (सुनही) तथा उसके बच्चों का जीवन बचा। रोटी देने से माई को भक्ति की कमाई प्राप्त हुई और बाजीद जी भक्ति पुण्यहीन हो गया, परंतु कुतिया और उसके बच्चों को जीवन दान देने के कारण स्वर्ग प्राप्ति हुई।


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