Dhanna Bhagat Story in [Hindi]-धन्ना भगत की कथा: Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj

जानिए Dhanna Bhagat Story in Hindi-धन्ना भगत की कथा: के बारे में Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj के माध्यम से.


Dhanna Bhagat Story in Hindi-धन्ना भगत की कथा

राजस्थान प्रान्त में एक जाट जाति में धन्ना नामक भक्त था। गाँव में बारिश हुई। सब गाँव वाले ज्वार का बीज लेकर अपने-अपने खेतों में बोने के लिए चले। भक्त धन्ना जाट भी ज्वार का बीज लेकर खेत में बोने चला। रास्ते में चार साधु आ रहे थे। भक्त ने साधुओं को देखकर बैल रोक लिए। खड़ा हो गया। राम-राम की, साधुओं के चरण छूए। साधुओं ने बताया कि भक्त! दो दिन से कुछ खाने को नहीं मिला है। प्राण जाने वाले हैं। धना भक्त ने कहा कि यह बीज की ज्वार है। आप इसे खाकर अपनी भूख शांत करो। भूखे साधु उस ज्वार के बीज पर ही लिपट गए। सब ज्वार खा गए। भक्त का धन्यवाद किया और चले गए। धन्ना भक्त की पत्नी गर्म स्वभाव की थी। भक्त ने विचार किया कि पत्नी को पता चलेगा तो झगड़ा करेगी। इसलिए कंकर इकट्ठी करके थैले में डाल ली जिसमें ज्वार डाल रखी थी।


Dhanna Bhagat Story in Hindi sant rampal ji
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भक्त ने ज्वार के स्थान पर कंकर बीज दी। लग रहा था कि जैसे ज्वार बीज रहा हो। धन्ना जी भी सब किसानों के साथ घर आ गया। दो महीने के पश्चात् सब किसानों के खेतों में ज्वार उगी और धन्ना जी के खेत में तूम्बे की बेल अत्यधिक मात्रा में उगी और मोटे-मोटे तूम्बे लगे। खेत तूम्बों से भर गया। पड़ोसी खेत वाले ने धन्ना की पत्नी से कहा कि आपने खेत में ज्वार नहीं बोई क्या? आपके खेत में तूम्बों की बेल उगी हैं? अनगिनत मोटे-मोटे तूम्बे लगे हैं। धन्ना जी की पत्नी खेत में गई। जाकर देखा कि सबके खेतों में ज्वार उगी थी, परंतु बारिश न होने के कारण मुरझाई हुई थी। धन्ना जी के खेत में तूम्बों की बेल अत्यधिक मात्रा में उगी थी। तूम्बे भी विशेष मोटे-मोटे थे। धन्ना जी की पत्नी ने एक तूम्बा तोड़ा और सिर पर रखकर घर की ओर चल पड़ी। धन्ना जी के पास कुछ भक्त बैठे थे।


धन्ना भक्त के खेत में कंकर से ज्वार पैदा कर दीं

Dhanna Bhagat Story hindi


धन्ना जी ने देखा कि भक्तमति तूम्बा लिए आ रही है। खेत में गई थी। भक्तों से कहा कि आप शीघ्र चले जाओ। वे चले गए। भक्तमति ने आकर तूम्बा भक्त के सिर पर दे मारा और बोली कि बालक तेरे को खाऐंगे। बीज कहाँ गया? धन्ना जी कुछ नहीं बोले। अपने सिर का बचाव किया। तूम्बा पृथ्वी पर लगते ही दो भाग हो गया। उसके अंदर से बीज जैसी स्वच्छ मोटी-मोटी ज्वार निकली। धन्ना जी की धर्मपत्नी को आश्चर्य हुआ। ज्वार देखकर खुशी हुई। विचार किया कि अन्य तूम्बों में भी ज्वार हो सकती है।


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भक्त को साथ लेकर उस तूम्बे वाली ज्वार को घर में रखकर खेत में पहुँची। चद्दर बिछाकर तूम्बे फोड़ने लगी। धड़ी-धड़ी (पाँच-पाँच किलो) ज्वार एक तूम्बे से निकली। ढ़ेर लग गया। अन्य किसानों की फसल बारिश न होने से सूख गई। एक दाना भी हाथ नहीं लगा। धन्ना भक्त ने सब गाँव वालों को लगभग दस-दस मन यानि चार-चार क्विंटल ज्वार बाँट दी। उनके बच्चे भी भूखे थे। अपने घर भी शेष ज्वार ले गए। पत्नी भी भक्ति पर लग गई। दोनों का उद्धार हो गया।

"गरीब, धना भगति की धुनि लगी, बीज दिया जिन दान। सूका खेत हरा हुवा, कांकर बोई जान"।।


वाणी नं. 110 का सरलार्थ यही है कि धन्ना भक्त की परमात्मा में तथा धर्म-कर्म में ऐसी धुन (लगन) लगी कि ज्वार का बीज ही दान कर दिया। देते को हर देत है। इसी कारण से परमात्मा जी ने सूखा खेत हरा कर दिया जिसमें कंकर बोई थी। उस सूखे खेत (क्षेत्र) को तूम्बों की बेलों से हरा-भरा कर दिया।


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2 Comments

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  2. waheguru ji ka khalsa waheguru ji ki fateh

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