आज हम आप को पूर्ण गुरु (संत) की पहचान क्या है?-Identity of a True Saint के बारे में Hindi में बताएँगे.
संतो की वाणी में पूर्ण गुरु (संत) की पहचान?
गुरु बनाने की परंपरा भी बहुत पुरानी रही है। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में एक गुरु अवश्य बनाता है ताकि गुरु उनके जीवन को नई सकारात्मक दिशा दिखा सके। जिस पर चलकर व्यक्ति अपने जीवन को सफल व सुखमय बना सके एवं मोक्ष प्राप्त कर सके।
गुरु की महत्ता को बताते हुए परमेश्वर कबीर जी कहते हैं कि
कबीर, गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान।
गुरु बिन दोनों निष्फल हैं, पूछो वेद पुराण।।
कबीर, राम कृष्ण से कौन बड़ा, उन्हों भी गुरु कीन्ह।
तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन।
भावार्थ :- कबीर परमेश्वर जी हमें बता रहे हैं कि बिना गुरु के हमें ज्ञान नहीं हो सकता है। गुरु के बिना किया गया नाम जाप, भक्ति व दान- धर्म सभी व्यर्थ है।
■ उपर्युक्त लिखी गई कुछ पंक्तियां एवं दोहों से हमें यह तो समझ में आ गया कि बिना गुरु के ज्ञान एवं मोक्ष संभव नहीं है।
वर्तमान में व्यक्ति के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि यदि वह गुरु धारण करना चाहे तो वह किसे गुरु बनाए? उसकी सामर्थ्य और शक्ति का मापदंड कैसे निर्धारित किया जाए । वर्तमान में बड़ी संख्या में गुरु विद्यमान हैं और अधिकतर से धोखा ही धोखा है ऐसे हालात में क्या हम एक सच्चे और नेक गुरु को खोज पाएंगे? आज पूरे विश्व में धर्म गुरुओं व संतों की बाढ़ सी आई हुई है । मुमुक्षु को समझ में नहीं आता है कि सच्चा (अधिकारी) सतगुरु कौन है जिनसे नाम दीक्षा लेने से उसका मोक्ष संभव हो सकता है?
पवित्र सदग्रंथों के आधार पर सच्चे सद्गुरु की पहचान
जो गुरु शास्त्रों के अनुसार भक्ति करता है और अपने अनुयाइयों अर्थात् शिष्यों द्वारा करवाता है वही पूर्ण संत है। चूंकि भक्ति मार्ग का संविधान धार्मिक शास्त्र जैसे - कबीर साहेब की वाणी, नानक साहेब की वाणी, संत गरीबदास जी महाराज की वाणी, संत धर्मदास जी साहेब की वाणी, वेद, गीता, पुराण, कुरआन, पवित्र बाईबल आदि हैं। जो भी संत शास्त्रों के अनुसार भक्ति साधना बताता है और भक्त समाज को मार्ग दर्शन करता है तो वह पूर्ण संत है अन्यथा वह भक्त समाज का घोर दुश्मन है जो शास्त्रों के विरूद्ध साधना करवा रहा है। इस अनमोल मानव जन्म के साथ खिलवाड़ कर रहा है। ऐसे गुरु या संत को भगवान के दरबार में घोर नरक में उल्टा लटकाया जाएगा।
सबसे पहले हम पवित्र गीता जी से प्रमाण देखते हैं। गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में गीता ज्ञान दाता ने तत्वदर्शी संत (सच्चा सतगुरु) की पहचान बताते हुए कहा है कि वह संत संसार रूपी वृक्ष के प्रत्येक भाग अर्थात जड़ से लेकर पत्ती तक का विस्तारपूर्वक ज्ञान कराएगा।
यजुर्वेद अध्याय 19 के मंत्र 25 व 26 में लिखा है कि वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा। वह तीन समय की पूजा बताएगा। सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के देवताओं का सत्कार एवं संध्या आरती अलग से बताएगा वह जगत का उपकारक संत होता है।
■ तीन बार में नाम जाप देने का प्रमाण
गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में लिखा है कि
ऊं, तत् , सत् , इति, निर्देश: , ब्रह्मण: , त्रिविध: , समृत: ।
ब्राह्मणा: , तेन, वेदा: , च, यज्ञा: , च , विहिता: , पुरा।।
भवार्थ:- (ऊं) ब्रह्म का (तत्) यह सांकेतिक मंत्र परब्रह्म का (सत्) पूर्णब्रह्म का (इति) ऐसे यह (त्रिविध:) तीन प्रकार के (ब्रह्मण:) पूर्ण परमात्मा के नाम सिमरन का (निर्देश:) संकेत( समृत:) कहा है (च) और (पुरा) सृष्टि के आदिकाल में (ब्राह्मण:) विद्वानों ने बताया कि (तेन) उसी पूर्ण परमात्मा ने (वेदा:) वेद (च) तथा (यज्ञा:) यज्ञ आदि (विहिता:) रचे।
■ यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 30 मे:-
व्रतेन दीक्षाम् आप् नोति दीक्षया आप् नोति दक्षिणाम् ।
दक्षिणा श्रध्दाम् आप् नोति श्रध्दया सत्यम् आप्यते।।
भावार्थ:- इस वेद मंत्र में सच्चे गुरु की पहचान बताते हुए कहा गया है की सच्चा सतगुरु उसी व्यक्ति को शिष्य बनाता है जो सदाचारी रहे। अभक्ष्य पदार्थों का सेवन व नशीली वस्तुओं का सेवन न करने का आश्वासन देता है ।
■ महान संतों के आधार पर सच्चे सतगुरु की पहचान क्या है?
कबीर साहेब सच्चे सद्गुरु की पहचान बताते हुए अपनी वाणी में कहते हैं कि
जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै (बतावै), वाके संग सभि राड़ बढ़ावै।
या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मै तो से वर्णी।।
भावार्थ:- कबीर साहेब अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को इस वाणी में यह समझा रहे हैं कि जो मेरा संत अर्थात् सच्चा सतगुरु जब समाज को सत भक्ति मार्ग बताएगा तब वर्तमान के धर्मगुरु उसके विरोध में खड़े होकर राजा व प्रजा को गुमराह करके उसके ऊपर अत्याचार करेंगे एंव उसके साथ सभी संत व महंत झगड़ा करेंगे।
गरीब दास जी महाराज अपनी वाणी में कहते हैं कि
सतगुरु के लक्षण कहूं, मधुरे बैन विनोद।
चार वेद षट् शास्त्र, कहै आठरा बोध।
अर्थात जो गुरु चार वेद छह शास्त्र और 18 पुराणों आदि सभी सद्ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा वही सच्चा सतगुरु होगा।
गरीब दास जी महाराज अपनी अमृतवाणी में लिखते हैं कि
गरीब स्वांसा पारस भेद हमारा, जो खोजे सो उतरे पारा।
स्वासा पारा आदि निशानी, जो खोजे सो होय दरबानी।।
स्वांसा ही में सार पद , पद में स्वांसा सार।
दम देही का खोज करो, आवागमन निवार।।
जैसा कि हमने ऊपर में पवित्र श्रीमद्भगवद गीता के अध्याय 17 के श्लोक 23 मे प्रमाण देखा कि सच्चा सतगुरु तीन बार में नाम जाप देते हैं । इसी का प्रमाण अब हम संतों की वाणी में देखते हैं।
■ गुरु नानक देव जी की वाणी में प्रमाण:-
चहुऊं का संग , चहुऊं का मीत , जामै चारि हटावै नित।
मन पवन को राखै बंद , लहे त्रिकुटी त्रिवेणी संध।।
अखण्ड मण्डल में सुन्न समाना , मन पवन सच्च खण्ड टिकाना।
अर्थात पूर्ण सतगुरु (सच्चा सतगुरु) वही है जो 3 बार में नाम दें और स्वांस की क्रिया के साथ सुमिरन का तरीका बताएं जिससे जीव का मोक्ष संभव हो सके। सच्चा सतगुरु तीन प्रकार के मंत्रों को तीन बार में उपदेश करेगा इसका वर्णन कबीर सागर ग्रंथ पृष्ठ नंबर 265 बोध सागर में भी मिलता है ।
तो चलिए हम वर्तमान में उपस्थित कुछ संतो के विचार व उनके अध्यात्मिक ज्ञान को लेते हैं और जांच करते हैं कि उपर्युक्त सभी प्रमाण किन महान संतों पर बैठता है।
■ प्रश्न:- क्या परमात्मा अपने साधकों को पाप से मुक्त कर सकता है अर्थात प्रारब्ध के पाप कर्मों को नष्ट कर सकता है या नहीं ?
भारत देश के तमाम धर्मगुरुओं जैसे
- श्री आसाराम जी महाराज
- श्री शिव दयाल जी महाराज
- श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
- श्री रुक्मणी कृष्ण प्रभु जी महाराज
- जैन साध्वी वैभवश्री जी
- श्री तुलसीदास जी महाराज
इन सभी का मानना है कि साधक को प्रारब्ध के पाप कर्म भोगने ही पड़ेंगे।
जबकि संत रामपाल जी महाराज ने सद्ग्रंथों से यह प्रमाणित करके बताया है कि परमात्मा साधक के घोर से घोर पाप को भी काट कर उनकी आयु 100 वर्ष कर देता है। आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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